AIIMS; एम्स-अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन 50 हजार स्वयंसेवकों को एचओसीपीआर प्रशिक्षण देगा
0 हृद्यघात की बढ़ती घटनाओं में जीवन रक्षक की भूमिका निभा सकेंगे यह स्वयंसेवक
रायपुर, सार्वजनिक स्थानों पर हृद्यघात से होने वाली जनहानि को रोकने के लिए अब अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने साथ मिलकर संयुक्त रूप से प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया है। इसके लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत एक वर्ष में 50 हजार से अधिक जागरूक नागरिकों को हैंड्स ओनली कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (एचओसीपीआर) प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा जिसके माध्यम से ये सभी हृदयघात से पीड़ित रोगी को आवश्यक जीवन रक्षक उपचार प्रदान कर चिकित्सकों की मदद करेंगे।
देश में हृदयघात के रोगियों की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए दोनों संस्थानों ने संयुक्त रूप से कार्य करने का संकल्प व्यक्त किया है। इसके लिए एएचए ने 245 मिनी एन मेनीकिन प्रदान किए हैं। इनकी मदद से पुलिसकर्मियों, उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों और छात्रों, एनएसएस-एनसीसी स्वयंसेवकों, अस्पताल स्टॉफ, गार्ड्स आदि को हृद्यघात की स्थिति में सीपीआर प्रदान करने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
परियोजना की समन्वयक एम्स रायपुर के फिजियोलॉजी विभाग की अतिरिक्त प्राध्यापक डॉ. जयश्री घाटे ने बताया कि हृद्यघात की स्थिति में प्रारंभिक समय स्वर्णिम होता है। यदि इस समय रोगी को सीपीआर प्रदान कर दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। देश में 98 प्रतिशत हृद्यघात के प्रकरण में समय पर सीपीआर प्रदान न करने से रोगी की मृत्यु होती है।
इस संदर्भ में जागरूकता और प्रशिक्षण देने के लिए एम्स रायपुर ने यह परियोजना प्रारंभ की है। एमओयू के बाद से अब तक राज्य पुलिस, पैरामिलिट्री के जवानों, एम्स के सिक्योरटी गार्ड्स, एनसीसी-एनएसएस के छात्र, एम्स में रोगियों के परिजनों और अन्य स्टॉफ सहित लगभग 3500 लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। इसके लिए अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल के निर्देशन में 26 सदस्यीय समिति गठित की गई है। प्रशिक्षण पाने वालों को डिजिटल प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जा रहा है।