
भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को बालीवुड (हॉलीवुड जैसा) के नाम से जाना जाता है।इसके शुरुआत से लेकर अभी तक के सफर में देखे तो अधिकांश फिल्मे नायक प्रधान ही रहती है। नायक के लिए एक अदद नायिका, फिल्म की दूसरी अनिवार्यता है। इसे पुरुष दर्शकों के लिए चक्षु संतुष्टि( eye tonic) भी मान सकते है। सामाजिक फिल्मों के निर्माण के दौर में नायिकाएं अंग प्रदर्शन नहीं करती थीं, इस कारण हेलन, बिंदु, अरुणा ईरानी जैसी डांसर्स ये काम करती थी।
समय बदला और अंग प्रदर्शन का जिम्मा नायिकाओं ने ले लिया तब से ऐसी नायिकाएं खोजी जाने लगी और मिलने भी लगी जो अंग प्रदर्शन के लिए उदारवादी हो। राज कपूर, अपनी फिल्मों के लिए ऐसी ही नायिकाएं खोजते थे सो कपूर खानदान की बहु बेटियों का फिल्मों में प्रवेश निषेध था। रणधीर कपूर ने बबीता से शादी की थी तो ये निषेध बबीता पर भी लागू हुआ। बबीता ने कपूर खानदान की तीन पीढ़ी के रूप में पृथ्वी राज कपूर, राज, शम्मी, शशि कपूर और राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर के साथ काम किया था। रणधीर कपूर से शादी के बाद फिल्मों से रुखसत हो गई लेकिन उनके मन में फिल्मे बसी रही। दो बेटियों करिश्मा और करीना के मां बनने के बाद बबीता ने अपनी महत्वाकांक्षा को दोनों बेटियों में पाला पोसा। कपूर खानदान की हवेली छोड़ी। इसे बगावत भी माना जाता है
बबीता की दोनों बेटियों ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। करीना कपूर की पहली फिल्म “रिफ्यूजी”2000के साल में आई थी। 25साल का वक्त गुजर गया है करीना कपूर को दर्शकों का मनोरंजन करने में । करीना कपूर,का आगमन इक्कीसवीं सदी की पीढ़ी के आगमन का दौर था।स्थापित नायिकाएं या तो उम्र दराज हो रही थी या विवाह कर विदा हो रही थी।
करीना कपूर की खूबी ये भी थी कि उनकी खूबसूरती बेमिसाल थी, राज कपूर की नीली आंख उन्हें विरासत में मिली थी। पश्चिमी बनावट और सुडौल शरीर को अपनी पहचान बनाया। रिफ्यूजी फिल्म में उन्हें अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन के साथ लांच किया गया था। अभिषेक तो चल नहीं पाए लेकिन करीना कपूर ने रफ्तार पकड़ी।
पिछले 25साल में 70फिल्मे करना उनकी उपलब्धि है जिसमें कभी खुशी कभी ग़म,जब वी मेट, चमेली, हीरोइन,थ्री इडियट्स,तलाश, गोलमाल3, रॉ वन, सिंघम रिटर्न, उड़ता पंजाब , बजरंगी भाई जान,वीरे द वैडिंग, बॉडीगार्ड, गुड न्यूज,क्रू, उनकी महत्वपूर्ण फिल्मे रही। 2012में करीना कपूर,ने सैफ अली खान के साथ विवाह कर अपने नाम को KKK कर करीना कपूर खान बन गई। नायकों के दूसरे विवाह के कड़ी में करीना एक और नायिका बन गई। 2014में देश में संप्रदाय की लकीर बढ़ी तो मुश्किलात का सामना करीना कपूर को कम खान को ज्यादा उठाना पड़ा। आम लोगों ने उन्हें नायिका के द्वारा सामाजिक खलनायिका के रूप में देखा गया। बेटे के तैमूर नाम देने पर भी जबरदस्त विरोध भी हुआ। इस साल जब “रिफ्यूजी”फिल्म के 25 साल पूरे हो रहे है तब करीना कपूर 45 साल की उम्र सीमा को लांघ रही है।
एक समय हुआ करता था कि 32 साल की उम्र के पहुंचते पहुंचते नायिकाएं दर्शकों द्वारा नकार दी जाती थी। इससे परे नायिकाएं विवाह भी कर लेती थी। ज्यादातर विवाहित नायिका किसी पुरुष दर्शक के लिए स्वप्न सुंदरी नहीं होती है । स्वप्न लोक में विचरने वाला आम पुरुष दर्शक अविवाहित नायिकाओं के साथ मनचाहे स्वप्न देखने की आजादी लेने वाला होता है।विवाहित नायिका के साथ ऐसा देखा देख सामाजिक निषेध है। करीना कपूर ने इस मिथक को भी तोड़ा है। विवाह के बावजूद वे अविवाहित दर्शकों की तुलना में विवाहित दर्शकों की पसंद बनी हुई है। सिल्वर जुबली साल में ये स्टारडम भी मायने रखता है।
स्तंभकार-संजय दुबे