सांसद बृजमोहन को पितृशोक, समाजसेवी रामजी लाल अग्रवाल का निधन, राजनीति और सत्ता से परे गौसेवा में उम्र खफा दी
रामजीलाल

रायपुर, छत्तीसगढ़ में गोसेवा और सेवा के पर्याय रहे सेठ रामजी लाल अग्रवाल अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। वरिष्ठ समाजसेवी, गौसेवक श्री रामजी लाल अग्रवाल का आज शनिवार दोपहर को 96 वर्ष की आयु में गौ लोक गमन हो गया। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ कर गए हैं। रामजीलाल अग्रवाल की अंतिम यात्रा 25 मई 2025 रविवार को सुबह 10 बजे रामजी वाटिका मौलश्री विहार, वीआईपी. रोड, रायपुर से निकलेगी। अंतिम संस्कार मारवाड़ी शमशान घाट रायपुर में संपन्न होगा।
रामजीलाल अग्रवाल जी अग्रवाल समाज के राष्ट्रीय संरक्षक एवं वरिष्ठ समाजसेवी थे। वे श्रीमती सावित्री देवी अग्रवाल, गोपालकृष्ण अग्रवाल, सांसद एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, अग्रवाल सभा रायपुर के अध्यक्ष विजय अग्रवाल, योगेश अग्रवाल, यशवंत अग्रवाल के पिता, विष्णु अग्रवाल के भाई, पूरनलाल अग्रवाल, राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, कैलाश अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, के चाचा, एवं देवेंद्र अग्रवाल, गणेश अग्रवाल के ताऊजी थे।
गौसेवक रामजी लाल अग्रवाल समाजसेवा के क्षेत्र में किए गए उनके अनगिनत कार्य सदा आदर्श स्थापित करने वाले ही रहेंगे। छत्तीसगढ़ के सभी समाजों के साथ समन्वय बनाकर चलने वाले रामजी लाल अग्रवाल सामाजिक कार्यों के सच्चे सिपाही रहे। अमीर-गरीब की भावना से परे होकर उन्होंने हर वर्ग के साथ खुद को जोड़े रखा है। उन्होंने जीवन को ऐसी दिशा दी कि बाद में वही परिवार के सदस्यों के लिए आदर्श बनते चले गए।
गौ सेवा के लिए उन्होंने अपनी पूरी उम्र लगा दी। जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव में गौ भक्ति से जुड़े राज्य के सबसे बड़े गौशाला के संचालक बन गए। महावीर गौशाला के जरिए उन्होंने अपने आपको धीरे-धीरे पूरी तरह आत्मसात कर लिया। गौशाला जाना नियमित दिनचर्या का हिस्सा हो गया और जीवन का मूल मकसद भी।
उन्होंने समाज के साथ-साथ सरकारों को यह संदेश दिया है कि पृथ्वी में तमाम कार्यों और भक्ति के साथ गौ सेवा और गौ भक्ति भी उतनी ही जरूरी है जितनी अन्य। गौधन हमारी मूल पूंजी है। गौ पालन प्रत्येक जन को करना चाहिए। मनुष्यों में गौमाता सिर्फ नारों में न रहें, उनके जीवन का अभिन्न अंग भी बनें।
संघर्षों के साथ अपनी जीवन यात्रा को आगे बढ़ाने वाले रामजी लाल अग्रवाल सदैव सहज और सरल भी बने रहे। धन से धनवान और मन से मूल्यवान के बीच उन्होंने जीवन को ऐसा बनाया कि वे अच्छा इंसान सबसे पहले बन सके। अपनी नेकदिली और साफ नीयत के साथ उन्होंने समाज के सभी वर्गों के बीच एक खास जगह बनाई।
इन सबसे उन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति और प्रगति मिली। लोगों से भरपूर प्यार मिला। सिद्धि और प्रसिद्धि मिली। लेकिन उन्होंने कभी इसका दुरुपयोग नहीं किया। उन्होंने खुद को समाज के लिए ही पूरी तरह समर्पित रखा। वे राजनीति से पूरी तरह दूर रहे। बेटा बृजमोहन अग्रवाल जरूर राजनीति में चले गए, लेकिन रुचि तब भी समाजसेवा में बनी रही। यही वजह है कि वे सभी राजनीतिक दलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं के लिए प्रिय रहे। उन्होंने कभी किसी के साथ कोई राजनीतिक मतभेद नहीं रखा। सत्ता के जो भी पक्ष और विपक्ष में रहे, सभी उनके लिए समान ही रहे।