CBI; 8 अफसरों की निगरानी में स्वास्थ्य मंत्रालय से चल रही थी मेडिकल कॉलेज की सेटिंग,कई बडे खुलासे की संभावना
मेडिकल कालेज घोटाला

0 सीबीआई की टीम आरोपियों से पूछताछ कर रही, 14 अफसरों समेत 36 के खिलाफ FIR दर्ज
रायपुर, सीबीआई ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय , राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के अधिकारियों, बिचौलियों और निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जो भ्रष्टाचार और मेडिकल कॉलेजों को नियंत्रित करने वाले नियामक ढांचे में हेरफेर सहित कई घोर कृत्यों में कथित तौर पर शामिल थे। आरोपियों से पूछताछ में कई चौकाने वाले तथ्य उजागर हो रहे है। आने वाले समय में कई बडे खुलासे होने की संभावना है।
सीबीआई ने राजधानी रायपुर में गत मंगलवार को इस मामले में 8 आरोपियों की गिरफ्तारी की है। इनमें डॉ. मंजप्पा सीएन (इंस्पेक्शन टीम प्रमुख), डॉ. चैत्रा एमएस (निरीक्षण दल की सदस्य), डॉ. अशोक शेलके (निरीक्षण दल के सदस्य), अतुल कुमार तिवारी (SRIMSR, रायपुर के निदेशक), सथीश ए (डॉ. मंजप्पा सीएन का सहयोगी) और रविचंद्र के (आरोपी डॉ. चैत्रा का पति) को CBI की टीम ने गिरफ्तार किया है। इन्हें नया रायपुर स्थित रावतपुरा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च को अनुकूल रिपोर्ट देने के लिए 55 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने सभी आरोपियों को 7 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर सीबीआई को सौंपा है।
सीबीआई की टीम आरोपियों से पूछताछ कर रही है। इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय में चल रही सेटिंग के खेल से पर्दा हट गया है। एजेंसी ने प्राथमिकी में 36 लोगों के नाम दर्ज किए हैं, जिनमें स्वास्थ्य मंत्रालय के आठ अधिकारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण का एक अधिकारी और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के निरीक्षण दल से जुड़े पांच डॉक्टर शामिल हैं। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के चेयरमैन डी पी सिंह, गीतांजलि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार मयूर रावल, रावतपुरा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के चेयरमैन रविशंकर जी महाराज और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया का नाम भी प्राथमिकी में शामिल है।
गठजोड़ की जड़ें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में
सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि इस गठजोड़ की जड़ें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में हैं, जहां आठ आरोपी अधिकारियों ने बड़ी रिश्वत के बदले में बिचौलियों के एक नेटवर्क के माध्यम से अनधिकृत पहुंच, अवैध नकल और अत्यधिक गोपनीय फाइलों और संवेदनशील सूचनाओं को मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों तक पहुंचाने की काफी सोची-समझी योजना चलाई। इसमें आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों ने बिचौलियों के साथ मिलीभगत करके एनएमसी द्वारा आयोजित वैधानिक निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर किया तथा आधिकारिक सूचना से काफी पहले ही संबंधित चिकित्सा संस्थानों को निरीक्षण कार्यक्रम और नामित मूल्यांकनकर्ताओं की पहचान बता दी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पूनम मीणा, धर्मवीर, पीयूष माल्यान, अनूप जायसवाल, राहुल श्रीवास्तव, दीपक, मनीषा और चंदन कुमार आरोपी
सीबीआई ने प्राथमिकी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से पूनम मीणा, धर्मवीर, पीयूष माल्यान, अनूप जायसवाल, राहुल श्रीवास्तव, दीपक, मनीषा और चंदन कुमार को आरोपी बनाया है। उन्होंने कथित तौर पर फाइलों को ढूंढ़कर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई टिप्पणियों की तस्वीरें खींच लीं। सीबीआई के अनुसार, मंत्रालय में चिकित्सा संस्थानों की नियामक स्थिति और आंतरिक प्रक्रिया से संबंधित इस महत्वपूर्ण जानकारी ने कॉलेजों को अत्यधिक लाभ पहुंचाया, जिससे उन्हें निरीक्षण प्रक्रिया में व्यापक धोखाधड़ी करने का अवसर मिला।
लाखों रुपये की रिश्वत का लेन-देन हवाला के जरिए
प्राथमिकी के अनुसार, इस तरह पहले ही मिली जानकारी से मेडिकल कॉलेजों को धोखाधड़ी करने का समय मिल गया, जिसमें अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट हासिल करने के लिए मूल्यांकनकर्ताओं को रिश्वत देना, गैर-मौजूद या प्रतिनिधि संकाय की तैनाती, काल्पनिक रोगियों को भर्ती करना और बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली के साथ छेड़छाड़ करना शामिल है। एजेंसी ने उल्लेख किया है कि एनएमसी की विभिन्न टीम, बिचौलियों और मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के बीच लाखों रुपये की रिश्वत का लेन-देन हवाला के जरिए किया जा रहा है और इसका इस्तेमाल मंदिर निर्माण के नाम सहित कई उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।