FOREST;वन कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान अब तक नहीं, 9 अप्रैल से चरणबद्ध आंदोलन का निर्णय
आंदोलन

रायपुर, छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ की प्रांतीय बैठक में लिए गए निर्णय अनुसार वन कर्मचारियों द्वारा ज्वलंतशील समस्या लघु वनोपज संघ में उप वन क्षेत्रपाल के प्रतिनियुक्ति के पदों पर पदोन्नति में आ रही दिक्कत के साथ अपनी अन्य मांगों को लेकरचरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। तदनुरुप 09 अप्रैल 2025 को भोजन अवकाश में प्रदेश के समस्त कर्मचारी काली पट्टी लगाकर वनमंडलाधिकारी / पदेन प्रबंध संचालक जिला लघु वनोपज संघ को ज्ञापन सौंपेंगे। 16 अप्रैल 2025 को भोजन अवकाश में मुख्य वन संरक्षक/ पदेन मुख्य महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपा जाएगा। 23 अप्रैल 2025 को प्रदेश के समस्त वन कर्मचारियों द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके बाद कर्मचारी 02 मई 2025 से अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले जाएंगे।
संघ की बैठक में सम्मिलित पदाधिकारियों ने चर्चा के दौरान बताया कि पूर्व में लघु वनोपज संघ अंतर्गत उप वनक्षेत्रपाल के प्रतिनियुक्ति के 180 पद पर पदोन्नति होती थी। उक्त 180 पदों को समाप्त कर 180 सहायक प्रबंधक की भर्ती हेतु विज्ञापन निकाला गया था। तत्काल संघ द्वारा विरोध कर आंदोलन किया गया। आंदोलन के दौरान संघ के पदाधिकारियों के साथ वनमंत्री एवं पीसीसीएफ की बैठक में 90-90 पद पर समझौता किया गया।
वर्तमान अधिकारी द्वारा समझौते का पालन न करते हुए पदोन्नति में रोड़ा अटकाया जा रहा हैं। छत्तीसगढ़ 44% वन क्षेत्र वाला राज्य है अधिकाश क्षेत्र वनों से घिरा हुआ है वनांचल क्षेत्रों में ग्रामीणों के लिए तेंदूपत्ता आय का प्रमुख स्त्रोत है। इस वर्ष छत्तीसगढ़ के अधिकांश क्षेत्रों में विभागीय खरीदी होनी है और वन कर्मचारियों के हड़ताल में जाने से खरीदी में दिक्कत आएगी। वनकर्मी अपनी मांगे लंबे समय से रख रहे है। काफी लंबी अवधि बीतने पश्चात भी इन ज्वलंत समस्याओं का समाधान नहीं किया जाना प्रशासनिक अक्षमता को दर्शित करता है। जो वन कर्मचारी दिन रात बिना किसी सुविधाओं के वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा के साथ प्रशासन की महत्वपूर्ण लघु वनोपज नीतियों को जनता तक पहुंचाते है अपने कर्तव्यों का पालन करते है। उन वन कर्मियों की मांगो को पूरा न करना उनकी पदोन्नति में रोड़ा अटकाने सर्वथा अनुचित है। उपरोक्त मांगो के अतिरिक्त इन ज्वलनशील मुद्दों का मीटिंग में पुरजोर विरोध किया गया तथा आंदोलन में जाने की रणनीति तैयार की गई है।