EDUCATION; खण्डहर में ऊंचे सपने, प्रदेश के स्कूलों में 40 हजार पद खाली
रायपुर, छत्तीसगढ में पहली प्राथमिकता में हमने शिक्षा को चुना है। इसमें प्री स्कूल से लेकर स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा और कृषि शिक्षा शामिल है। इसके लिए प्रदेश में 56 हजार 512 स्कूल हैं, जहां करीब 60 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। राज्य में शिक्षा के स्तर को बनाए रखने के लिए शैक्षणिक स्टाफ के कुल 3 लाख 4 हजार 782 पद मंजूर किए गए है। लेकिन 2 लाख 64 हजार से ज्यादा स्टाफ तैनात है एवं करीब 40 हार पद खाली है। इसके बाद भी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल के नाम पर बच्चों एवं पालकों को बडे बडे सपने दिखाए जा रहे है।
कुल स्वीकृत पद | 3,04,782 |
कुल रिक्त पद | 39,454 |
यह सही है कि स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल खोले जाने से बच्चों के साथ पालकों का सरकारी स्कूलों के प्रति आकर्षण बढा है, लेकिन शैक्षणिक स्तर में बहुत ज्यादा सुधार का दावा नहीं किया जा सकता। प्रदेश में न सिर्फ योग्य शिक्षकों की जरूरत है, बल्कि शिक्षा की अधोसंरचना को भी मजबूत करने की जरुरत है। प्रदेश में आज भी 80 प्रतिशत बच्चों को प्री प्राइमरी की शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा स्कूली शिक्षा से ही रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों की भी कमी है। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है। प्रदेश में 56 हजार 512 स्कूल हैं, जहां करीब 60 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
प्रदेश के करीब छह हजार स्कूलों में प्री नर्सरी की तर्ज पर बालवाड़ी संचालित हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार हर विद्यार्थी के लिए बालवाड़ी की जरूरत है। यहां शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति करने की जरूरत है। प्रदेश में राज्य स्तर पर प्री प्राइमरी इंस्टीट्यूट नहीं है जो कि प्री नर्सरी के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दे सके। प्रदेश के सभी 32 हजार 723 प्राइमरी स्कूलों में बालवाड़ी की जरूरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 10 2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म करके 5 3 3 4 फार्मेट में ढाला जाना है। इसके अनुसार प्री प्राइमरी के लिए तीन साल और कक्षा एक व दो को फाउंडेशन स्टेज माना गया है। इसे मजबूत करने की दरकार है। इसके बाद कक्षा तीन से पांच तक, फिर छह से आठ और चौथे स्टेज में नौवीं से 12वीं तक की शिक्षा शामिल है।
स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के खुलने से अभिभावकों का सरकारी स्कूलों के प्रति आत्मविश्वास भी बढ़ा है। दिन-ब-दिन शैक्षणिक व्यवस्था की हालत तो सुधर रही है मगर जर्जर स्कूल भवन और शिक्षकों की कमी अब भी बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है। राज्य शासन द्वारा वर्ष 2019 में 14 हजार 580 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी करने के बाद 11 हजार शिक्षक स्कूल पहुंचे हैं। अभी भी 12,489 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया जारी है। इसके बाद भी स्कूल शिक्षक विहीन या फिर एकल शिक्षकीय व्यवस्था में चल रहे हैं।