ELECTRICITY;राज्य में बिजली की मांग 5,700 मेगावाट, सेंट्रल बना संकटमोचक
रायपुर, राज्य में बिजली की मांग पीकअवर्स (शाम छह से रात नौ बजे तक) 5,700 मेगावाट की सीमा पर कर गई है। सेंट्रल सेक्टर से मिलने वाली बिजली की वजह से राज्य में विद्युत संकट की स्थिति नहीं है, पर आगामी दिनों में मांग बढ़ने पर परेशानी बढ़ सकती है। इस बार मार्च माह से गर्मी ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है। इससे पंखे, कूलर व एसी भी चलने लगे हैं और बिजली की मांग राज्य में बढ़ने लगी है।
रविवार को बिजली की मांग 5,726 मेगावाट के करीब रही, जबकि उपलब्धता 5,777 मेगावाट रही। राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के सभी संयंत्र निर्बाध चल रहे हैं। इसमें 500 मेगावाट के डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह (डीएसपीएम) से 452 मेगावाट, 1340 मेगावाट हसदेव ताप विद्युत संयंत्र व विस्तार परियोजना (एचटीपीपी) कोरबा पश्चिम से 1,122 , जांजगीर- चांपा जिले में स्थित एक हजार मेगावाट के संयंत्र से 938 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है। वहीं बांगो बांध से पानी छोड़े जाने पर 120 मेगावाट जल विद्युत संयंत्र से 118 मेगावाट मिल रही। इस तरह कंपनी के संयंत्रों से 2,630 मेगावाट तथा आइपीपी-सीपीपी मिलाकर कुल 2,729 मेगावाट की उपलब्धता रही। सेंट्रल सेक्टर से 2,977 मेगावाट बिजली मिल रही थी।विद्युत कंपनी से जुड़े जानकारों का कहना है कि राज्य में फिलहाल विद्युत संकट की स्थिति नहीं है, पर भविष्य में बिजली की मांग बढ़ सकती है।
कम लोड पर चल रही इकाइयां
विद्युत उत्पादन कंपनी के संयंत्रों की इकाइयां कम लोड पर चलाई जा रही है। बताया जा रहा है कि ज्यादा लोड पर चलाए जाने से गर्मी की वजह से इकाइयों में खराबी आ सकती है। इसलिए प्रबंधन पूरी क्षमता से इकाइयों को नहीं चला रहा। एचटीपीपी संयंत्र की 210 मेगावाट की चार इकाइयां न्यूनतम 152 से 179 मेगावाट के मध्य चल रही। वहीं डीएसपीएम 250-250 मेगावाट की इकाइयां 236 व 229 मेगावाट व मड़वा की 500-500 मेगावाट की इकाई 460-456 मेगावाट के मध्य चल रही हैं।