राजनीति

DELIMITATION;कैसे होगा परिसीमन, कब बनेगा आयोग… क्या होगी राज्यों की भूमिका, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया खुलासा

परिसीमन

0 वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा-डीएमके ध्यान बंटाने के लिए परिसीमन मुद्दा उठा रहा, जनगणना के बाद होगा आयोग का गठन, आयोग के सदस्य ‘देश भर में घूमकर सभी राज्यों की राय को जानेंगे

नई दिल्ली/चेन्नई,  केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि प्रस्तावित परिसीमन आयोग इस पूरी कवायद का आधार तय करने के लिए अंतिम प्राधिकारी होगा। उन्होंने विपक्ष के उन दावों का खंडन किया कि निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्गठन केवल जनसंख्या के आधार पर होगा। निर्मला ने चेन्नई में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि दक्षिणी राज्य प्रभावित नहीं होंगे।

वित्त मंत्री ने साफ किया कि कांग्रेस सदस्य और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जो कहते हैं, उसके विपरीत, बीजेपी ने कभी नहीं कहा कि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया जाएगा। निर्मला ने जोर देकर कहा कि जनगणना पूरी होने के बाद ही परिसीमन आयोग का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोग के सदस्य ‘देश भर में घूमकर सभी राज्यों की राय लेंगे’।

वित्त मंत्री ने लद्दाख का दिया उदाहरण

विपक्ष के तर्कों का जवाब देते हुए उन्होंने लद्दाख का उदाहरण दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि अगर जनसंख्या को एकमात्र कारक माना जाए तो लद्दाख का एक भी प्रतिनिधि नहीं होगा, बल्कि कई अन्य कारक भी हैं। निर्मला ने तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके पर भ्रष्टाचार और अन्य मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे को उछालने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि डीएमके ने राज्य के कल्याण के लिए कुछ नहीं किया है। अगर उन्होंने चार अच्छे काम किए, तो उन्होंने 40 बुरे काम किए। अन्ना यूनिवर्सिटी रेप केस में एक सवाल यह है कि क्या उनकी पार्टी का कोई सदस्य इसमें शामिल है। कल्लाकुरिची (जहरीली शराब कांड) मामले की क्या स्थिति है, जहां अवैध शराब पीने से लोगों की मौत हुई थी?

परिसीमन के मुद्दे पर राजनीति

निर्मला ने तर्क दिया कि वे (डीएमके) जानते हैं कि यह सब 2026 के विधानसभा चुनाव में एक मुद्दा बन जाएगा और इसलिए उन्होंने परिसीमन का मुद्दा उठाया। कई मुद्दों पर इंडिया ब्लॉक में मतभेदों को उजागर करते हुए, वित्त मंत्री ने दावा किया कि विपक्षी गठबंधन कमजोर हो रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व कमजोर है और इसे आगे बढ़ाने वाला कोई नहीं है।

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