कला-साहित्य

NAVRATRI; कलश व चुनरी यात्रा के साथ माँ रामचंडी मंदिर में 3100 मनोकामना ज्योत प्रज्वलित कर नवरात्र का शुभारंभ

महासमुंद, जिले के बसना इलाके में सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध गढ़फुलझर के प्राचीन दुर्ग पर विराजित मां रामचंडी मंदिर में शारदीय नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। मां के दरबार में करीब 3100 मनोकामना ज्योत प्रज्वलित किए गए हैं। मां के दरबार में करीब 3100 मनोकामना ज्योत प्रज्वलित किए गए हैं। बसना से 15 किलोमीटर दूर गढ़फुलझर स्थित मां रामचंडी मंदिर में बाबा बिशासहे कुल कोलता समाज की कुल देवी के रूप में माँ रामचंडी विराजित है जो आस्था और श्रद्धा का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है। 

रामचंडी मंदिर समिति अध्यक्ष चंद्रकांत भोई ने बताया कि नवरात्र का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ कलश ज्योति प्रज्वलित कर किया गया। मां के दरबार में करीब 3100 मनोकामना ज्योत जलाने के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित हुए। संभागीय अध्यक्ष गिरधारी साहू ने बताया कि प्रतिदिन संध्याकालीन आरती के पश्चात भजन कीर्तन एवं जस गीत का आयोजन रखा गया है तथा प्रत्येक दिन भक्तों के लिए भोग भंडारा भी रखा गया है। भोग भंडारा के लिए ठाकुरपाली शाखा सभा के साथ-साथ सभी शाखा सभाओं को अलग-अलग तिथियों में जिम्मेदारी दी गई है।
चुनरी यात्रा निकली

रणेश्वर रामचंडी सेवा समिति द्वारा लगातार आठवां वर्ष चुनरी यात्रा निकाली गई है। छत्तीसगढ़िया कटप्पा एवं उसकी टीम इस चुनरी यात्रा का मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। शाम 4 बजे यह यात्रा नानकसागर से तोषगाँव चौक होते हुए गढ़फुलझर की मुख्य बस्ती का भ्रमण करते हुए मां रामचंडी परिसर में समाप्त हुई, जहां मां की चरणों में चुनरी समर्पित की गई। इस वर्ष माता को नौ दिनों के लिये नौ चुनरी के साथ-साथ आभूषण एवं श्रृंगार सामग्री भी अर्पित की गई।

अविनाश दास की नृत्य पार्टी भी

चुनरी यात्रा के साथ कर्मा,जसगीत,डीजे के साथ-साथ मशहूर अविनाश दास की नृत्य पार्टी भी सम्मिलित हुई। विभिन्न वेशभूषा पहने कलाकारों द्वारा पेश हैरतअंगेज करतब से श्रद्धालु अचंभित थे। चुनरी यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँच कर संध्या आरती में भाग लिये। आतिशबाजी के साथ यात्रियों का स्वागत किया गया। इस अवसर पर कुल कार्यकारिणी सभा, आंचलिक सभा, ग्राम सभा एवं मंदिर समिति के पदाधिकारी के साथ-साथ समाज के लोग एवं आसपास के ग्रामीण उपस्थित थे।

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