कानून व्यवस्था

COURT; पूर्व सांसद और पूर्व विधायकों से जुड़े मामलों की सुनवाई अब विशेष अदालतों के दायरे में, LG ने दी मंजूरी

नईदिल्ली, राजधानी दिल्ली में अब पूर्व सांसदों (Ex-MPs) और पूर्व विधायकों (Ex-MLAs) के खिलाफ भ्रष्टाचार या बच्चों से जुड़े मामलों की सुनवाई विशेष अदालतों में होगी। उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके बाद इन विशेष अदालतों का दायरा बढ़ा दिया गया है।

पहले ये अदालतें केवल मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई करती थीं। अब इसका विस्तार कर पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों पर भी लागू किया गया है, ताकि सभी पूर्व और वर्तमान विधायकों और सांसदों के खिलाफ गंभीर मामलों की तेज़ और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित की जा सके।

यह प्रस्ताव दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा तैयार किया गया था, जिसे विधि विभाग ने जांचकर मंजूरी के लिए उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को भेजा। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिससे इन अदालतों का दायरा अब पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों तक बढ़ा दिया गया है। अब इन विशेष अदालतों में न केवल मौजूदा, बल्कि पूर्व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ बाल अधिकारों के हनन (CPCR Act, 2005) और बच्चों से यौन अपराध (POCSO Act, 2012) से जुड़े मामले भी सुने जाएंगे।

राजधानी के राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर में पहले से ही तीन विशेष अदालतें इस काम के लिए बनाई गई थीं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से राजनीतिक भ्रष्टाचार और बच्चों से जुड़े गंभीर मामलों की सुनवाई और अधिक प्रभावी एवं त्वरित बनेगी।

राजधानी के राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर में पहले से ही तीन विशेष अदालतें इस काम के लिए बनाई गई हैं:

कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (पीसी एक्ट)(सीबीआई)-09

कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (पीसी एक्ट)(सीबीआई)-23

कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (पीसी एक्ट)(सीबीआई)-24

इन अदालतों को अब पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों के मामलों की भी सुनवाई का अधिकार मिल गया है। इससे ऐसे मामलों की सुनवाई में तेजी आने की उम्मीद है। गौरतलब है कि जुलाई 2023 में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने इन तीन विशेष अदालतों की स्थापना को मंजूरी दी थी। यह कदम दिल्ली हाईकोर्ट के 2020 के आदेश के बाद उठाया गया था, लेकिन उस समय की केजरीवाल सरकार ने अधिसूचना जारी करने में तीन साल से अधिक की देरी की थी।

हर जिले में बनाई जाएगी विशेष अदालत

कानून के अनुसार, POCSO Act की धारा 28(1) बच्चों से जुड़े अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए हर जिले में विशेष अदालतें बनाने का प्रावधान देती है। वहीं, CPCR Act की धारा 25 राज्य सरकार को बच्चों के अधिकारों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत गठित करने का अधिकार देती है।

दिल्ली में पहले से ही आठ अदालतें बच्चों से जुड़े अपराधों और POCSO एक्ट के तहत मामलों की सुनवाई कर रही हैं। अब इन तीन नई विशेष अदालतों के अधिकार बढ़ने से न केवल बच्चों के मामलों की सुनवाई तेज होगी, बल्कि पूर्व और मौजूदा जनप्रतिनिधियों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी।

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