LIQUOR;आबकारी विभाग में फिर से वही खेला… लायसेंस लेने मची होड
रायपुर, छ्त्तीसगढ में नए साल के लिए शराब नीति बनी नहीं है और राज्य में बहुचर्चित शराब घोटाले के बाद भी नई सरकार में आबकारी ठेकेदारी के लिए होड मच गई है। कई दिग्गज ठेकेदारी लायसेंस के लिए लाइन में डटकर खडे हो गए है। कुछ दिग्गज नेता चर्चित आबकारी घोटाले में शामिल ठेकेदार की तरह शराब ठेका अपने हाथ में लेने का सपना देख रहे है। इसी बीच एक दिग्गज मंत्री के करीबी को ठेका मिलने की भी खबर है।
उल्लेखनीय है कि शराब घोटाले की ईडी की जांच अभी खत्म नहीं हुई है।कई लोग जेल में निरूद्ध है। कुछ लोग फरारी काट रहे है। इधर राज्य को सबसे अधिक राजस्व देने वाले आबकारी विभाग में यदि सिंडीकेट बनाकर खेल न हो तो शायद ही कोई साल गुजरे। इस विभाग की कारगुजारी पिछली सरकार में जिस प्रकार से चर्चित हुई थी और उसमें कुछ चंद लोगों के हाथों में ही पूरा कामकाज संचालित होता रहा। सरकार बदलने के बाद माना जा रहा था कि अब उनका बोरिया बिस्तर बंध जायेगा और काम में भी पारदर्शिता आयेगी, लेकिन नहीं कुछ लोग फिर से घुस गए हैं और अपना काम निकाले जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि इसके लिए सत्ताधारी दल के कुछ लोग भी अपने फायदे के लिए जुड़ गए हैं। ताजा तरीन मामले मे 10 एफ एन लाइसेंस जारी हुए है जिससे रजिस्टर्ड कंपनियों के ब्रांड साल भर बेंचने की छूट रहेगी। यहां भी कुछ लोगों ने लाइसेंस हथिया लिए हैं। पूरे खेल में कहीं न कहीं विभागीय अधिकारी भी मिले हुए है।
बताया गया है कि बात निकल कर बाहर आ गई और भाजपा संगठन के ऊपर तक पहुंची तो काफी नाराजगी सामने आई है। इसलिए कि सरकार आने के समय ही स्पष्ट कर दिया गया था कि आबकारी विभाग के पूरे काम में पारदर्शिता व नियमों का पालन होना चाहिए यदि नहीं हुआ और संलिप्तता पाई गई,तो चाहे जो भी हो कड़ी कार्रवाई होगी। बताया जा रहा है कि सत्ता व संगठन से जुड़े बड़े नेताओं को जब इसकी जानकारी मिली तो वे काफी नाराज हुए। संभवत: मुख्यमंत्री तक भी बात पहुंचायी जा रही है, तब संलिप्त लोगों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। हालांकि अभी नए साल के लिए शराब नीति बनी नहीं है।