POLITICS; ‘सड़क खामोश होती है तो संसद आवारा हो जाती है’, उपराष्ट्रपति के लिए विपक्षी उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी ने की राहुल की तारीफ

नई दिल्ली, इंडी गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। वह आज अपना नमांकन दाखिल करेंगे। नामांकन दाखिल करने से पहले बी सुदर्शन रेड्डी ने राहुल गांधी की तारीफ में कसीदे पढ़ें हैं। दरअसल, बी सुदर्शन रेड्डी ने मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह सड़कों को शांत नहीं रहने देते हैं। उन्होंने कांग्रेस सांसद की तारीफ करते हुए राममनोहर लोहिया की पंक्ति को याद किया और कहा कि जब सड़कें खामोश होती हैं, सदन आवारा होता है।
बी सुदर्शन रेड्डी ने जमकर की राहुल गांधी की प्रशंसा
इंडी गठबंधन की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी ने राहुल गांधी की तारीफ करते हुए कहा कि वह सड़कों को शांत नहीं रहने देते हैं और उन्होंने सफलतापूर्वक सरकारों को कार्रवाई करने के लिए राजी किया है, जैसे कि तेलंगाना सरकार द्वारा व्यवस्थित जाति जनगणना कराना।
आगे कहा कि उन्होंने बिहार में मौजूदा संकट पर भी चिंता व्यक्त की तथा कहा कि सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है, जो संविधान के लिए एक बड़ा खतरा है।
SIR पर क्या बोले सुदर्शन रेड्डी?
वहीं, बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का जिक्र करते हुए बी. सुदर्शन रेड्डी ने मतदान के अधिकार के महत्व पर जोर दिया और इसे आम आदमी के हाथ में एकमात्र साधन या हथियार करार दिया। उन्होंने कहा कि जब इस अधिकार को छीनने की कोशिश की जाती है, तो क्या लोकतंत्र बचेगा।
उन्होंने कहा कि मुझे लोहिया जी की कही एक बात याद आ गई, जब सड़क खामोश होती है, सदन आवारा होता है। राहुल गांधी सड़कों को खामोश नहीं रहने देते। यह उनका स्वभाव और आदत बन गई है और एक के बाद एक चुनौतियों का सामना करना उनकी यात्रा का हिस्सा है। उन्होंने तेलंगाना सरकार को इसे (जाति जनगणना) व्यवस्थित तरीके से करने के लिए सफलतापूर्वक राजी कर लिया।
आज नामांकन दाखिल करेंगे बी. सुदर्शन रेड्डी
उल्लेखनीय है कि बी. सुदर्शन रेड्डी को इंडी गठबंधन ने उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि बी. सुदर्शन रेड्डी सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं। बता दें कि रेड्डी के नामांकन की घोषणा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की, जिन्होंने उन्हें भारत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रगतिशील न्यायविदों में से एक बताया। बी. सुदर्शन रेड्डी आज अपना नामांकन दाखिल करेंगे। 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है।
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी का छत्तीसगढ़ से है खास कनेक्शन
2005 में छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम आंदोलन शुरू हुआ था. इसे माओवादी गतिविधियों के खिलाफ ग्रामीणों की सुरक्षा और संगठन के नाम पर शुरू किया गया. राज्य सरकार ने हजारों युवाओं को विशेष पुलिस अधिकारी (SPO) बनाकर हथियार थमा दिए. सलवा जुडूम धीरे-धीरे आंदोलन हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघन का प्रतीक बन गया. आदिवासी इलाकों में घर जलाने, विस्थापन और फर्जी मुठभेड़ों की घटनाएं सामने आने लगीं. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने 2011 में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने साफ कहा कि नागरिकों को हथियार थमाकर उन्हें संघर्ष में झोंकना संविधान के खिलाफ है. सरकार का यह कदम लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करता है. फैसले के बाद सलवा जुडूम को असंवैधानिक करार दे दिया गया.
बी. सुदर्शन रेड्डी ने महत्वपूर्ण टिप्पणियां दीं
इस फैसले के बाद बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम देशभर में चर्चा में आया. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया. वहीं, सरकार की नीतियों पर सवाल उठे. रेड्डी ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा था कि राज्य की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों की रक्षा करे, न कि उन्हें हिंसा में झोंके. बी. सुदर्शन रेड्डी ने न्यायपालिका में रहते हुए कई अन्य मामलों में भी महत्वपूर्ण टिप्पणियां दीं. उन्होंने हमेशा न्याय, समानता और संविधान की सर्वोच्चता को प्राथमिकता दी. यही कारण है कि अब जब उनका नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए आया है, तो लोग उनके फैसलों को याद कर रहे हैं.
संविधान और मानवाधिकार की गहरी समझ रखते हैं बी. सुदर्शन रेड्डी
छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम का अध्याय आज भी लोगों को याद है. हजारों आदिवासी परिवारों ने इसका खामियाजा भुगता. विस्थापन और हिंसा की कहानियां आज भी चर्चा में हैं. रेड्डी का नाम आते ही यह मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि उपराष्ट्रपति पद पर ऐसे व्यक्ति का होना खास मायने रखता है, जो संविधान और मानवाधिकार की गहरी समझ रखते हों. उनका छत्तीसगढ़ कनेक्शन उन्हें अलग पहचान देता है. अब देखना होगा कि उपराष्ट्रपति पद की इस दौड़ में बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी किस दिशा में जाती है. लेकिन इतना तय है कि सलवा जुडूम पर उनका फैसला भारतीय न्यायिक इतिहास का अहम हिस्सा रहेगा. और यही फैसला उन्हें आज की राजनीति में भी अलग पहचान दिला रहा है.