राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

अगले हफ्ते साय मंत्रिमंडल का विस्तार संभव

छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल में मंत्री के दो पद रिक्त हैं। एक पद सांसद चुने जाने के बाद बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद खाली हुआ और एक पद पहले से ही भरा नहीं गया था। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का दिल्ली यात्रा के दौरान मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर हाईकमान से चर्चा हो सकती है। मंत्रिमंडल विस्तार के साथ कुछ मंत्रियों के विभागों में हेरफेर की भी चर्चा हो रही है। कुछ मंत्रियों के पत्ता कटने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। मंत्रिमंडल के विस्तार में पुराने और नए विधायकों के मिश्रण की उम्मीद की जा रही है। वैसे भी 3 -4 पुराने विधायकों के साथ कुछ नए विधायक भी मंत्री बनने के लिए लाबिंग में लगे हैं। मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ कुछ विधायकों को संसदीय सचिव तो कुछ नेताओं को निगम-मंडल अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है। कहा जा रहा है कि रायपुर दक्षिण से टिकट की दावेदारी कर रहे एक-दो नेता को निगम-मंडल अध्यक्ष का पद मिल सकता है।

बिना नाख़ून और दांत का शेर

छत्तीसगढ़ के लोक आयोग को बिना नाख़ून और दांत का शेर कहा जा रहा है। छत्तीसगढ़ के लोक आयोग केवल एक सिफारिशी संस्था बनकर रह गई है। इसकी रिपोर्ट पर कार्रवाई करे या न करे सरकार की मर्जी। कहते हैं छत्तीसगढ़ लोक आयोग को मजबूत संस्था बनाने के लिए डॉ रमन सिंह की सरकार ने 2013 में लोकपाल-लोकायुक्त बिल पास किया था, लेकिन विधेयक को लागू करने की जगह ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मिलकर छत्तीसगढ़ लोक आयोग को सशक्त संस्था बनाने की मांग की और लोकपाल-लोकायुक्त बिल 2013 को लागू करने का सुझाव दिया। अब देखते हैं वीरेंद्र पांडे की मांग पर सरकार क्या कदम उठाती है। फिलहाल तो छत्तीसगढ़ लोक आयोग सरकार की प्राथमिकता में नहीं लग रहा है। प्रमुख लोकायुक्त न्यायमूर्ति टी पी शर्मा कार्यकाल खत्म होने के बाद भी नई नियुक्ति नहीं होने के कारण करीब 11 महीने से पद पर बने हैं। वहां नई नियुक्ति के लिए अब तक सरकार का एक्शन नजर नहीं आ रहा है। नए प्रमुख लोकायुक्त ही नहीं, मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी महीनों से खाली है। वीरेंद्र पांडे ने किसी प्रशासनिक अधिकारी की जगह रिटायर्ड जज या किसी प्रतिष्ठित वकील को मुख्य सूचना आयुक्त बनाने की सलाह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को दी है।

छत्तीसगढ़ में पांडियन की चर्चा

2024 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य ओड़िशा में पांडियन की खूब चर्चा रही। माना जाता है कि पांडियन के सुर्ख़ियों में आने से नवीन पटनायक का साम्राज्य ध्वस्त हो गया। कहते हैं नौकरशाही से वीआरएस लेकर सक्रिय राजनीति में कदम रखे वी के पांडियन का नवीन पटनायक की सरकार में बड़ा जलवा था और पांडियन को नवीन पटनायक का उत्तराधिकारी माना जाने लगा था। कहा जाता है पांडियन की अनुमति के बिना पटनायक की सरकार में पत्ता भी नहीं खड़कता था , यहां तक की उनकी परमिशन के बिना मुख्यमंत्री से कोई मिल भी नहीं सकता था। अब भाजपा राज में छत्तीसगढ़ में पांडियन की चर्चा होने लगी है। कहा जाने लगा है छत्तीसगढ़ में पांडियन ने अवतार ले लिया है। गौरतलब है कि ओड़िशा में 2024 के चुनाव में पांडियन को लेकर भाजपा बड़े हमलावर थी। अब भाजपा ओड़िशा में सत्तासीन है। ओड़िशा में भाजपा को लोकसभा की सीटें भी छप्पर फाड़ कर मिलीं।

जुनेजा पांच अगस्त तक तो रहेंगे ही डीजीपी

कहते हैं राज्य पुलिस सेवा के कुछ अफसरों को आईपीएस अवार्ड करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग में पांच अगस्त को बैठक है। इस बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन और अपर मुख्य सचिव गृह मनोज पिंगुआ के साथ डीजीपी अशोक जुनेजा भी मौजूद रहेंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि नए डीजीपी के नाम का ऐलान पांच अगस्त की देर रात या फिर अगले दिन ही होगी। अशोक जुनेजा का कार्यकाल पांच अगस्त तक ही है। नए डीजीपी की दौड़ में अभी 1992 बैच के आईपीएस अरुण देव गौतम और 1994 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता हैं। 1992 बैच के आईपीएस पवनदेव का नाम भी चर्चा में है। डीजी के लिए पवनदेव के नाम का बंद लिफाफा तो खुल गया है, लेकिन अभी तक पदोन्नति आदेश जारी नहीं हुआ है। कहा जा रहा है कि शीर्ष स्तर पर मामला लटक गया है। खबर है कि एक जाँच रिपोर्ट पवनदेव के पदोन्नति आदेश में रोड़ा बना हुआ है।

बदल सकते हैं कई जिलों के एसपी

कहा जा रहा है कि अगस्त के पहले हफ्ते में कई जिलों के एसपी बदल सकते हैं। साय सरकार ने सत्ता में आने के कुछ दिनों बाद कुछ जिलों के एसपी बदले थे। इस बार पुलिस में व्यापक फेरबदल की संभावना व्यक्त की जा रही है। कहा जा रहा है कि सरकार के लिए कानून -व्यवस्था बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। कई जिलों में आपराधिक घटनाएं बढ़ गई हैं। इस मुद्दे पर सरकार विपक्ष के निशाने पर भी है। कांग्रेस ने कानून-व्यवस्था को लेकर 24 जुलाई को विधानसभा का घेराव भी किया था। कहा जा रहा है कुछ बड़े जिलों के साथ ट्राइबल जिलों के कुछ एसपी बदले जा सकते हैं। एसपी के साथ आधे दर्जन जिलों के कलेक्टर भी इधर से उधर हो सकते हैं।

सचिवों पर हाईकोर्ट की टेढ़ी नजर

कहते हैं छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट कई मामलों में राज्य के सचिवों को व्यक्तिगत उपस्थित होने का फरमान जारी करने लगा है। आमतौर पर विभागीय कोर्ट केस में कोई जिम्मेदार अधिकारी अदालत में उपस्थित होकर सरकार का पक्ष रख देता था। कहा जा रहा है कि पिछले कुछ महीनों में हाईकोर्ट ने विभागीय सचिवों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पक्ष रखने का नोटिस दिया है। कई विभाग के सचिव बिलासपुर जाकर कोर्ट में हाजिर भी हुए। हाईकोर्ट के नए रुख के बाद सचिव अदालती मामलों और नोटिस को गंभीरता से लेने लगे हैं।

कलेक्टर और भाजपा नेता का आडियो चर्चा में

एक कलेक्टर साहब और भाजपा नेता का आडियो राज्य में चर्चा का विषय है। भाजपा नेता आडियो में कलेक्टर साहब को हटाने की धमकी दे रहे हैं तो कलेक्टर साहब भी भाजपा नेता को खरी-खरी सुनाने में नहीं चूक रहे हैं। अब यह आडियो कितना सही है या गलत, यह अलग बात है। कलेक्टर साहब अगले महीने रिटायर होने वाले हैं, तो डर किस बात की, फिर ठहरे खांटी भाजपाई परिवार से।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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