राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

अमित शाह की बैठक पर निगाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। अमित शाह अपनी तीन दिवसीय यात्रा में सरकारी कामकाज के साथ पार्टी के नेताओं की बैठक लेंगे। राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद अमित शाह का छत्तीसगढ़ में दो दिन नाइट स्टे ने कइयों के कान खड़े कर दिए हैं। छत्तीसगढ़ में मंत्री के दो पद खाली हैं और निकट भविष्य में एक उपचुनाव भी होना है, फिर नेताओं को पद बांटने का भी हल्ला चल रहा है। इस कारण अमित शाह की यात्रा से कई लोगों की आस जगी है। कहते है अमित शाह इंटरस्टेट समन्वय की बैठक और नक्सल समस्या की समीक्षा के साथ विष्णुदेव साय सरकार के कामकाज की भी समीक्षा करने वाले हैं। राज्य में साय सरकार को करीब आठ महीने हो गए हैं। सरकार के कामकाज की समीक्षा की खबर से अमित शाह के आने के एक दिन पहले तक राज्य के मंत्रियों और अफसरों में भागमभाग मची थी। खबर है कि गृह विभाग सबसे ज्यादा तैयारियों में जुटा रहा। अब राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों ही क्षेत्र में अमित शाह की बैठक के नतीजे का इंतजार है।

भाजपा के दो विधायकों में टकराहट

कहते हैं एक सप्लायर को लेकर भाजपा के दो विधायकों में टकराहट की नौबत आ गई है। खबर है कि एक विधायक सप्लायर के हितैषी हैं, वहीं दूसरे को सप्लायर फूटी आँख नहीं सुहाते। सप्लायर भी बड़े चर्चित हैं और बताते हैं एक संस्था में सप्लायर का ही बोलबाला है। सप्लायर के कारण एक दूसरे के खिलाफ भौहें ताने विधायक डॉ रमनसिंह की सरकार के वक्त प्रतिष्ठित पदों पर रह चुके हैं। दोनों ही वरिष्ठ विधायक हैं और एक बिलासपुर संभाग से विधायक हैं तो दूसरे रायपुर संभाग से। भले ही दोनों विधायक अलग-अलग संभाग से आते हैं, पर दोनों एक ही वर्ग के हैं।

जीपी की बड़ी जीत

लगता है कांग्रेस राज में मुसीबतों के पहाड़ से दो-चार हाथ करने वाले आईपीएस जीपी सिंह के अच्छे दिन आने वाले हैं। 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह को जबरिया सेवानिवृति के खिलाफ कैट के बाद दिल्ली हाईकोर्ट से भी न्याय मिल गया है। अब दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है या नहीं। इस पर सारा दारोमदार टिका है। कैट के फैसले के विरोध में भारत सरकार ही दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 23 अगस्त को ख़ारिज कर दिया। अब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करती है तो जीपी सिंह की बहाली हो जाएगी। जीपी सिंह के मामले में राज्य सरकार चुप नजर आ रही है। वह केंद्र सरकार के रुख के इंतजार में है।

छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता की ख्वाहिश

कहते हैं छत्तीसगढ़ के एक बड़े कांग्रेस नेता पार्टी की राष्ट्रीय टीम में शामिल होकर कर्नाटक जैसे राज्य का प्रभारी बनना चाहते हैं। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। कहा जा रहा है कि राहुल गाँधी की हरी झंडी के बाद छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता को राष्ट्रीय टीम में महासचिव के रूप में शामिल कर लिया जाएगा। इसके लिए लगभग सहमति बन चुकी है, लेकिन कर्नाटक का प्रभारी महासचिव बनाए जाने के आसार कम है। जानकार लोगों का कहना है कि बिहार, उत्तरप्रदेश जैसे हिंदी भाषी राज्यों या पड़ोसी ओड़िशा का प्रभारी महासचिव बनाए जाने की उम्मीद है। ये नेता पहले भी बिहार और उत्तरप्रदेश में काम कर चुके हैं।

देवेंद्र यादव का क्या होगा ?

राजनीति में जेल जाना कोई नई बात नहीं है, पर देवेंद्र यादव जिस आरोप में जेल गए हैं, फिलहाल तो उनके लिए राह बहुत कठिन है। देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के खिलाफ पूरी कांग्रेस पार्टी आंदोलन पर उतर आई है। देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी से कांग्रेस को सरकार के खिलाफ एक मुद्दा भी मिल गया है । कांग्रेस ने देवेंद्र की गिरफ्तारी को राजनीतिक रंग में रंग दी है। बलौदाबाजार कांड में अभी तक किसी भी आरोपी को जमानत नहीं मिली है, इस कारण देवेंद्र यादव को जल्दी जमानत मिलने के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। गिरफ्तारी से देवेंद्र यादव संकट में हैं, पर पार्टी में उनका कद बढ़ गया है। प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट उनसे मिलने जेल गए। रिहाई के बाद देवेंद्र यादव नई भूमिका में दिख सकते हैं।

नगरीय प्रशासन विभाग में थोक तबादले चर्चा में

राज्य में सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के तबादलों पर प्रतिबंध है, ऐसे में नगरीय प्रशासन विभाग में 166 कर्मचारियों के तबादले चर्चा का विषय बन गया है। तबादला लिस्ट में अफसर से लेकर सफाई कामगार तक का नाम है। इस कारण प्रतिबंध की अवधि में अफसर से कर्मचारी के तबादले को लेकर कानाफूसी हो रही है। खबर है कि तबादलों को लेकर कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मिलकर शिकायत भी की है। अब देखते हैं क्या होता है।

निशाने पर महापौर

जाति प्रमाण पत्र के चलते एक तरफ कोरबा के महापौर राजकिशोर प्रसाद निशाने पर हैं तो दूसरी तरफ रायपुर के महापौर ऐजाज ढेबर मेट्रो ट्रेन के लिए मास्को में एमओयू करने को लेकर निशाने पर हैं। दोनों कांग्रेसी महापौर हैं। उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने राजकिशोर के ओबीसी सर्टिफिकेट को अमान्य कर दिया तो अब उन पर तलवार लटक गई है। अब रायपुर में ठीक से सिटी बसें नहीं चल पा रही हैं और कांग्रेस के राज में स्काईवाक पर फैसला नहीं हो सका, तो फिर मेट्रो का ख्वाब दूर की कौड़ी लगती है। फिर महापौर ऐजाज ढेबर बिना अफसरों के रूस में कैसे मेट्रो के लिए एमओयू कर आए, इस पर भी सवाल उठ रहा है। कहते हैं ऐजाज ढेबर अभी तो उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विधायक राजेश मूणत के निशाने पर हैं। आने वाले दिनों में भाजपा पार्षदों के टारगेट में भी आ सकते हैं।

मंत्री और अफसर में गोलबंदी

कहते हैं इन दिनों एक मंत्री और एक अफसर में गोलबंदी हो गई है। अफसर मंत्री के विभाग के ही है। मंत्री का अफसर को मौन समर्थन है। इस समर्थन के कारण अफसर अपने वरिष्ठों को भी आँख दिखाने लगे हैं और विभाग में कलह शुरू हो गई है। खबर है कि अफसर जिस संस्था के प्रमुख हैं, उस संस्था के माध्यम से विभाग को भारत सरकार से सालाना तीन हजार करोड़ तक मदद मिलती है। इस राशि से ही विभाग में तरह-तरह की खरीदी होती है। चर्चा है कि अफसर ने विभाग की दूसरी संस्थाओं को करीब एक हजार करोड़ बांटकर दो हजार करोड़ अपनी संस्था में रख लिए हैं, ऐसे में विभाग की दूसरी संस्थाएं,जो धनराशि के लिए उन पर निर्भर रहती हैं,पंगु हो गई है। अब ये अफसर कह रहे हैं कि खरीदी उनकी संस्था के माध्यम से होगी। खरीदी की लड़ाई में जनता से सीधे जुड़े विभाग में घमासान मचा है,पर मंत्री जी मौन हैं।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button