कानून व्यवस्था

RAID; शराब घोटाले को लेकर राजधानी रायपुर समेत बिलासपुर व दुर्ग में एक साथ छापा, EOW और ACB की कार्रवाई, अफसरों में हडकम्प

 रायपुर, छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीम एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। दोनों एजेंसियों के संयुक्त टीम ने प्रदेश के 13 शराब कारोबारियों के ठिकानों पर दबिश दी है। टीम ने एक साथ बिलासपुर, रायपुर व दुर्ग जिले में छापा मारा है। दोनों एजेंसियों के अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं।

बता दें कि ईडी के प्रतिवेदन के बाद 17 जनवरी को एसीबी और ईओडब्ल्यू ने शराब घोटाले में एफआइआर की थी। एफआईआर के अनुसार 2161 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।मिली जानकारी के अनुसार टीम ने बिलासपुर के सरगांव स्थित भाटिया डिस्टलरी, कोटा स्थित वेलकम डिस्टलरी, कुम्हारी दुर्ग स्थित केडिया डिस्टलरी, रायपुर स्थित अनवर ढेबर, विवेक ढांड व अनिल टुटेजा के ठिकानों पर दबिश दी है। फिलहाल यहां टीम की कार्रवाई जारी है।

एसीबी और ईओडब्ल्यू की इस कार्रवाई को लेकर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि जहां पर भी ED अपनी कार्रवाई सबूतों के आधार पर कर रही है, जिनके खिलाफ ED को साक्ष्य मिलेगा वहां ED अपनी आगे की कार्रवाई करेगी। शराब घोटाले के प्रकरण में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को ही मास्टर माइंड बताया गया है, क्योंकि इनके जरिए ही सिंडीकेट बनाया गया और पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया। एफआइआर में शामिल बाकी आईएएस व अन्य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था।

परिवार के सदस्यों के नाम पर भी निवेश

एफआईआर के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं, त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजुला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड था। वहीं, ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया।

पूर्व मंत्री कवासी और सचिव को 50 लाख महीने

एफआईआर में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। वहीं, तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये, जबकि विभागीय सचिव आईएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की ओर से 50 लाख रुपये महीने दिया जा रहा था।

शराब घोटाले में इनके खिलाफ मामला

बहुचर्चित शराब घोटाले में इनके खिलाफ मामला भी मामला बनाया गया है। अनिल टूटेजा, यश टूटेजा, विवेक ढांड, अनवर ढेबर, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लकमा, अरूणपति त्रिपाठी, आइएएस निरजंन दास, आबकारी आयुक्त, जनार्दन कौरव, अनिमेश नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद कुमार पटले, प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास कुमार गोस्वामी, इकबाल खान, नितिन खंडुजा, नवीन प्रताप सिंह तोमर, मंजुश्री कसेर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, आशीष श्रीवास्तव, अशोक कुमार सिंह, मोहित कुमार जायसवाल, नीतू नोतानी, रविश तिवारी, गरीबपाल दर्दी, नोहर सिंह ठाकुर, सोनल नेताम, अरविंद सिंह, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, नवनीत गुप्ता, पिंकी सिंह, विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, नितेश पुरोहित, यश पुरोहित, अभिषेक सिंह, मनीष मिश्रा, संजय कुमार मिश्रा, अतुल कुमार सिंह, मुकेश मनचंदा, विजय भाटिया, आशीष सौरभ, सिद्धार्थ सिंघानिया, बच्चा राज लोहिया, अमित मित्तल, उदयराव, लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल, विधू गुप्ता, दीपक दुआरी, दीपेन चावडा, उमेर ढेबर, जुनैद ढेबर, अख्तर ढेबर, अशोक सिंह, सुमीत मलो, रवि बजाज, अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारी, अन्य आबकारी अधिकारी, विकास अग्रवाल के साथीगण एवं अन्य के खिलाफ षडयंत्र रचकर धोखाधडी करने की धाराओ में मामला दर्ज किया है।

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