Rath Yatra; जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए पेड़ों की कटाई शुरू, बड़राउल पीठ में की गई पूजा-अर्चना
भुवनेश्वर, विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के लिए रथ निर्माण में लगने वाली लकड़ी कटाई के लिए पूजा अर्चना की गई है। नयागढ़ जिले में गनिया प्रखंड के बड़राउल पीठ में पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। मंदिर प्रशासन का चार सदस्यीय विशेष प्रतिनिधिमंडल आज्ञामल, महाप्रसाद, माहार्द के साथ तलवार लेकर मां बड़राउल ठकुरानी पीठ पहुंचे और मां की पूजा अर्चना किए। मंदिर परिसर में कारीडोर निर्माण के बाद इस बार रथयात्रा में श्रध्धालुओ की संख्या बढ़ने की संभावना है!
प्रतिनिधिमंडल नयागढ़ वन विभाग की मदद से पीठ तक पहुंचे। इस पूजा समारोह में जिला वन अधिकारी क्षमा षडंगी, दसपल्ला वन अधिकारी सुदर्शन देहुरी के साथ गनिया रेंजर सुमन माझी उपस्थित थे। इस वर्ष तीन रथों के निर्माण के लिए 865 लकड़ी की आवश्यकता है।
पिछले साल काटे गए पेड़ के 53 लकड़ी शेष
मंदिर प्रशासन के पास पिछले साल काटे गए पेड़ के 53 लकड़ी बची हुई हैं। इसलिए, इस साल लकड़ी के 812 और लकड़ी की आवश्यकता है, जिसकी आपूर्ति नयागढ़ वन प्रभाग द्वारा की जाएगी। गौरतलब है कि पुरी जगन्नाथ महाप्रभु की रथयात्रा देश के पवित्र त्यौहार में से एक है। रथयात्रा में देश भर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं और रथ खींचते हैं।
प्रति वर्ष भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि में निकाली जाती है। इस वर्ष रथयात्रा 7 जुलाई 2024 को निकाली जाएगी। ऐसे में रथयात्रा में बनने वाले तीन रथ जगन्नाथ जी के रथ नंदीघोष, बलभद्र जी के रथ तालध्वज एवं देवी सुभद्रा जी के दर्प दलन रथ के लिए लकड़ी की कटाई शुरू हुई है।
रथयात्रा का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व
पुरी की विश्व प्रसिद्ध यात्रा का धार्मिक एवं सांस्कृतिक दोनों महत्व है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो पुरी यात्रा भगवान जगन्नाथ को समर्पित है जो कि भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। हिन्दू धर्म की आस्था का मुख्य केन्द्र होने के कारण इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है।
कहते हैं कि जो कोई भक्त सच्चे मन से और पूरी श्रद्धा के साथ इस यात्रा में शामिल होते हैं तो उन्हें मरणोपरान्त मोक्ष प्राप्त होता है। वे इस जीवन-मरण के चक्र से बाहर निकल जाते हैं। इस यात्रा में शामिल होने के लिए दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।देश-विदेश के शैलानियों के लिए भी यह यात्रा आकर्षण का केन्द्र मानी जाती है। इस यात्रा को पुरी का फ़ेस्टिवल के नाम से भी जाना जाता है। ये सब बातें इस यात्रा के सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती हैं।