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GAME; रोनाल्डो का इश्क, रोनाल्डो के बच्चे और रोनाल्डो की सगाई

खेल जगत में सबसे बड़े मैदान (साइज 105× 67) में क्रिकेट और  टेनिस के बाद सबसे अधिक समय तक खेले जाना वाला खेल फुटबॉल है। लोकप्रियता के नाम पर सर्वाधिक प्रसिद्ध, और चर्चित। इस खेल के नामवर खिलाड़ियों  की प्रसिद्धि के चर्चे दुनियां भर में चलते है। आज के दौर में दो खिलाड़ी ऐसे है जिनका खेल और फिटनेस  प्रेरणा देने वाला है । ये दो खिलाड़ी है क्रिस्टियानो रोनाल्डो और मैसी। रोनाल्डो को दुनियां भर में उनके खेल, फिटनेस के अलावा उनके व्यक्तिगत जिंदगी के लिए भी जाना जाता है। साधारण परिवार से निकल कर असाधारण बनने वाले रोनाल्डो फुटबॉल के सुपर स्टार है। उनका रहन सहन अपने आप में एक मिसाल है। 
रोनाल्डो  फिर से चर्चा में है…
वे रियल  मेड्रिड या मैनचेस्टर यूनाइटेड को छोड़ने या अल नासर क्लब में रहने के कारण चर्चा में नहीं है बल्कि पश्चिमी देश के विचित्र किंतु सत्य संस्कार और उसके पालन के लिए सुर्खियां बटोर रहे है। पश्चिमी देशों में लैंगिक समानता का दौर है। यहां की महिलाएं समान अधिकार की पैरवीकार है। विवाह के मामले में भी वे खूंटे में बंधने के बजाय अपने हिसाब से निर्णय लेती है। सामने वाला ठीक तो ठीक, नहीं तो अपने अपने रस्ते।
रोनाल्डो ने पहले अनुबंधित  विवाह के असफल होने के बाद विधिक विवाह नहीं किया। उनकी पहली पत्नी मारिया एंटनी से तीन बच्चे है। ये रोनाल्डो के साथ ही रहते है। दूसरी बार वे लिव इन रिलेशन में पिछले आठ  साल से जार्जिना के साथ है। उनके इस  रिलेशन से भी दो  बेटियां है। अब रोनाल्डो अपने लिव इन रिलेशन को विधिक जामा पहनाने के लिए अधिकृत रूप से संविदा विवाह पूर्व का प्रस्ताव के सामने रखा है। जिसे जॉर्जिया ने स्वीकृति दे दी है। अब रोनाल्डो और जार्जिना विधिक संविदा रूपी विवाह का अनुबंध कर लेंगे।
इस घटना को हम अपने देश के नजरिए से देखे तो महानगरों में कतिपय समृद्ध युवक युवतियां आपसी समझ के नाम पर लिव इन रिलेशन में रहते है। समझ, समझ में आ जाती है तो संस्कारिक रूप से वैवाहिक गठबंधन में बंध जाते है। इस नव जीवन में  बराबरी का मामला चलता है।

स्वाभाविक रूप से देश का पुरुष समाज का सोच अभी उतना विकसित नहीं हुआ है जितना हो जाना चाहिए।  वर्चस्व की बात अभी भी भारतीय पुरुष की मानसिकता पर अपना अधिकार बनाए हुए है। इसी कारण लिव इन रिलेशन में तो सारी बातें ज़ायज रहती है, संस्कार में बंधते ही परिस्थितियां बदल जाती है। रोनाल्डो और जॉर्जिया जैसा रिलेशन इस देश के फितरत में नहीं है।रोनाल्डो को लेकर भारतीय मानसिकता, उनके अत्यंत प्रगतिशील होने का कारण गिना सकते है लेकिन भारत में ऐसा संभव फिलहाल नहीं दिखता है।

संस्कार और अनुबंध में यही फर्क है। विवाह बीते  जमाने में पुरुष के वर्चस्व और स्त्री के समर्पण का जोड़ रहा। रसोई और बच्चों के जन्म तक सीमित  महिलाओं की पीढ़ी को 1991के बाद उदारीकरण का फायदा मिला और  अर्थ साधन में उनकी स्वतंत्रता ने कही न कही पुरुष के वर्चस्व को चुनौती दी तो है। इतना भी नहीं कि हर कोई जॉर्जिया बन जाए लेकिन देश रोनाल्डो की संख्या बढ़ रही है। महिलाएं भी मारिया एंटनी  बन रही है। पश्चिम की हवा पूरब में हिलोर ले रही है।

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