TEMPLE; 46 साल बाद क्यों खोला गया रत्न भंडार, चाबी गुम होने के पीछे का क्या है रहस्य?
भुवनेश्वर, रविवार दोपहर शुभ मुहुर्त के अनुसार ही 1 बजकर 28 मिनट पर 46 साल बाद पुरी जगन्नाथ मंदिर का बाहर रत्न भंडार खोला गया। रत्न भंडार खोलने के लिए कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस विश्वनाथ रथ के नेतृत्व में 11 सदस्यीय टीम ने मंदिर में प्रवेश किया। रत्न को रखने के लिए 6 संदूक बनाए गए हैं और इसे जगन्नाथ मंदिर के अंदर लिया गया है।
बता दें कि 40 वर्षों के बाद साल 2018 में रत्न भंडार खोलने की कोशिश की गई थी, लेकिन खजाने को खोला नहीं गया। अब एक सवाल यह भी है कि आखिर 46 साल बाद की पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार क्यों खोला गया है और इसके पीछे का क्या रहस्य है।
कब आखिरी बार खोला गया था रत्न भंडार?
साल 1978 में आखिरी बार रत्न भंडार खोला गया था और इसके बाद रत्न भंडार खोलने के लिए 2018 में प्रयास असफल होने के बाद चाबी ना मिलने से 17 सदस्यीय टीम वापस लौट आयी थी। इसके बाद रत्न भंडार के ना खोलने और चाबी गायब होने के प्रसंग को लेकर खूब राजनीतिक बयानबाजी हुई। इसको लेकर सरकार ने जस्टिस रघुवर दास आयोग का गठन किया और 6 महीने के अंदर ने अपनी रिपोर्ट दी। इसके बावजूद साल 2018 से अभी तक इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं की गई। ऐसे में बार बार इस प्रसंग को लेकर राजनीतिक नेताओं ने सवाल खड़े किए।
पीएम मोदी ने उठाया था मुद्दा
चुनावी माहौल के बीच महाप्रभु जगन्नाथ के रत्न भंडार के चाभी गायब होने का मुद्दा छाया रहा था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी चुनावी सभा में पुरी जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार का प्रसंग का चुनावी सभा में मुद्दा उठाया था और ये मुद्दा चर्चा में आ गया था। इसको लेकर पीएम मोदी ने अपनी चुनावी सभा में राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला था। इनके अलावा केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया।
समिति ने क्या कहा था?
रविवार को प्रशासन के द्वारा खजाने की चाबी विवरण प्रबंधन समिति को सौंपने के बाद रत्न भंडार को खोला गया। इसके बाद रत्नों की गिनती एवं मरम्मत की गई। समिति ने कहा था कि रत्न भंडार खोलने की अनुमति मिले या न मिले और चाबी काम करे या ना करे, इसका ताला खोला जाएगा।
रत्न भंडार खोलने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का किया गठन
हाईकोर्ट द्वारा श्री जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार से खोलने के निर्देश के बाद पिछले साल 2023 के मार्च महीने में रत्न भंडार खोलने को लेकर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था। ये 12 सदस्यीय कमेटी अदालत के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अरिजित पशायत की अध्यक्षता में गठित की गई थी।