VICTORY DAY; प्रतिवर्ष 21 मार्च को लोकतंत्र विजय दिवस घोषित करें, साय सरकार का माना आभार
सेनानी संघ

नईदिल्ली, लोकतंत्र सेनानी संघ ने कल दिल्ली सम्मेलन में देश भर से आए लोकतंत्र सेनानियों की उपस्थिति में विजय दिवस मनाया तथा 1975 से 1977 तक इंदिरा सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की यातनाओं व तानाशाही को स्मरण कर उसकी कड़ी निंदा कर कांग्रेस से देश की जनता से माफी मांगने की मांग कर देश को जनता का आभार भी व्यक्त किया। भय ,आतंक व विपरीत परिस्थितियों में हुए निर्वाचन में अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग कर इंदिरा गांधी सहित पूरी कांग्रेस पार्टी का देश में चल रहे एकछत्र शासन को बाहर का रास्ता बता दिया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विधानसभा में लोकतंत्र सेनानी सम्मान अधिनियम पारित किए जाने हेतु मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया। उपासने ने मांग की कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल लगाए जाने के काले अध्याय को देश की जनता सदा स्मरण रखे इस हेतु 26 जून को प्रतिवर्ष संविधान हत्या दिवस घोषित किया है। उसी प्रकार प्रतिवर्ष 21 मार्च को लोकतंत्र विजय दिवस घोषित कर देश के मतदाताओं का आभार देना चाहिए जिन्होंने अपने मताधिकार का उपयोग कर 21 माह की तानाशाह सरकार को सत्ता से हटा दिया था। उपासने ने यह भी पुरजोर मांग की कि आपातकाल के दौरान बाहर व जेलों में डाल कर प्रताड़ित परिवारों व आतंक का शासकीय स्तर पर संदर्भ ग्रन्थ प्रकाशित किया जावे ताकि वह स्थाई इतिहास बन सके।
14 राज्यों में लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान
सम्मेलन को राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश सोनी ने संबोधित करते हुए बताया कि देश के 14 राज्यों की सरकारों के द्वारा लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान प्रदान किया जा रहा है। सोनी ने देश भर में कांग्रेस ने आपातकाल में किस प्रकार का काला अध्याय रचा उसका विस्तृत वर्णन करते हुए बताया कि लोकतंत्र सेनानियों की भूमिका लोकतंत्र बहाली व परिवर्तन की वाहक बनी।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय बोले-तानाशाही के विरुद्ध लोकतंत्र की विजयगाथा है 21 मार्च
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 21 मार्च को भारत के लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक दिन बताय। उन्होंने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है, और 21 मार्च 1977 वह दिन है जब देश ने तानाशाही के विरुद्ध जीत दर्ज की थी। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक बदलाव नहीं था, बल्कि भारत के नागरिकों की आस्था, साहस और संघर्ष की विजय थी।मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल ने संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों को कुचल दिया था। न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका – जिनके संतुलन पर हमारा लोकतंत्र टिका है – उसे तोड़कर समस्त शक्ति एक परिवार के हाथों में केंद्रित कर दी गई थी।
सीएम साय के बड़े पिताजी नरहरि साय भी 19 महीने जेल में थे
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि मेरे बड़े पिताजी नरहरि साय को भी 19 महीने जेल में रखा गया था। वे लाखों लोकतंत्र सेनानियों में से एक थे जिन्होंने तानाशाही के विरुद्ध खड़े होकर भारत की आत्मा की रक्षा की। कई सेनानियों को तो बेड़ियों में जकड़ा गया, और उनके परिवारों को भी अमानवीय यातनाएँ झेलनी पड़ीं।