
कहा जाता है कि बरगद के पेड़ के नीचे कोई पेड़ बड़ा नहीं हो पाता है ये बात टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिए रोहित शर्मा पर पूरी तौर पर लागू होती है। उनके लिए दिक्कत तो इस बात की थी भारतीय क्रिकेट टीम में एक बरगद नहीं बल्कि छह छह बरगद के पेड़ थे जिनके उखड़ने के बाद ही कोई नया पेड़ जन्म ले सकता था। ऐसा नहीं है कि इन वट वृक्षो से केवल रोहित शर्मा प्रभावित हुए। अनेक होनहार बैट्समैन का करियर खत्म हो गया और वे देश के लिए टेस्ट नहीं खेल सके।
रोहित ने वही दिमाग लगाया जो सौरव गांगुली ने सहवाग के लिए लगाया था कि मिडिल ऑर्डर में तो मौका मिलेगा नहीं इसलिए ओपनिंग बैटिंग करो। रोहित शर्मा के आगमन के काल 2007का है जब वे वनडे और टी ट्वेंटी की टीम में आ चुके थे लेकिन टेस्ट कैप पहनने के लिए छह साल लग गए। 2013में रोहित शर्मा को वेस्ट इंडीज के खिलाफ मौका मिला और उन्होंने अपने पहले टेस्ट में शतक भी लगाया।
रोहित शर्मा, के लिए वीरेंद्र सहवाग,सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वी वी एस लक्ष्मण, और एम एस धोनी की जगह मिल ही नहीं सकती थी। कहने का मतलब ये था कि एक से लेकर सात क्रम तक बैट्समैन खूंटा गड़ाए हुए थे। वनडे और टी ट्वेंटी में भी रोहित को ओपनिंग बैटिंग के रूप में लिया नहीं जा सकता था।शॉर्ट बॉल खेलने में उनकी सक्षमता जग जाहिर थी। टेस्ट टेंपरामेंट भी नहीं था कि विपरीत परिस्थिति में टिक कर बैटिंग कर ले। इसी के चलते रोहित शर्मा को टेस्ट टीम में जगह नहीं मिल पा रही थी।
जब सचिन,सौरव, राहुल सहवाग लक्ष्मण युग खत्म हुआ तब रोहित की एंट्री हुई। कप्तानी भी आसानी से मिलने वाली नहीं थी क्योंकि एक तरफ कैप्टन कूल याने धोनी थे।अचानक ही धोनी ने कैप्टनशिप छोड़ दी तो विराट कोहली सामने थे। कोहली ने धोनी के 60टेस्ट की कप्तानी के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 68टेस्ट में कप्तानी कर गए।
कहने का मतलब है जितने टेस्ट 67, रोहित शर्मा ने खेला है उससे एक टेस्ट ज्यादा विराट कोहली के पास कप्तानी का अनुभव है।उम्र के मामले में वैसे भी रोहित शर्मा , विराट कोहली से दो साल बड़े है, इस कारण विराट कोहली कप्तानी नहीं छोड़ते तो दिक्कत हो जाती । वैसे भी भारत में एक टेस्ट सीरीज हारते ही कप्तानी पर खंजर लटकने लगता है। बहरहाल 67टेस्ट के केरियर में रोहित को 24टेस्ट की कप्तानी मिली। वे भारत के 35कप्तानों की श्रेणी में शामिल हो गए।
उम्र, और शारीरिक फिटनेस के मामले में रोहित पिछले दो साल से बढ़ते ही जा रहे है। इसका अच्छे खेल से कोई ताल्लुक नहीं है लेकिन खिलाड़ी का जीवन 35 के बाद उत्तरार्ध की तरफ ही बढ़ता है। रोहित शर्मा भी इससे जुदा नहीं है। रोहित शर्मा अब टेस्ट और टी ट्वेंटी नहीं खेलेंगे। ये उन्होंने तय कर लिया है। वनडे खेलेंगे, कैसे खेलने, कितना खेलेंगे कब तक खेलेंगे ,ये उनका व्यक्तिगत निर्णय है।
स्तंभकार -संजय दुबे