राजनीति

POLITICS; छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

कालम

रवि भोई

छत्तीसगढ़ में सरकार और संगठन का काम अटका

कहते हैं भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है और न ही प्रदेश संगठन में नई नियुक्ति हो पा रही है। प्रदेश भाजपा की पुरानी कार्यकारिणी ही अभी अस्तित्व में हैं। दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद किरण देव अपनी कार्यकारिणी नहीं बना पाए हैं। पुरानी कार्यकारिणी में महामंत्री संजय श्रीवास्तव राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष बन गए हैं तो जगदीश रामू रोहरा प्रदेश भाजपा महामंत्री (मुख्यालय) के साथ धमतरी के महापौर भी हैं। कहते हैं प्रदेश भाजपा का कई काम जगदीश रामू रोहरा के स्केन किए हुए हस्ताक्षर से चल रहा है। इन दोनों के अलावा कुछ और पदाधिकारियों के सिर पर सत्ता का सेहरा बंध गया है, पर उनकी जगह नए लोगों को जिम्मेदारी देने का काम राष्ट्रीय अध्यक्ष के इंतजार में अटका पड़ा है। मंत्रिमंडल के विस्तार का मामला भी नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का बाट जोह रहा है। राज्य में मुख्यमंत्री समेत 13 मंत्री का फार्मूला है। पहले ही एक मंत्री कम बनाया गया था, फिर बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बन जाने से एक और मंत्री पद खाली हो गया। दोनों मंत्री पद को भरने की चर्चा कई बार चल चुकी है, पर अब तक नतीजा सिफर रहा है। जून महीने में मंत्रिमंडल विस्तार की बात फिर चली, लेकिन इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष का पेंच फंस गया। बताते हैं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल बिहार चुनाव तक बढ़ सकता है। नड्डा जी वैसे तो रहने वाले हिमाचल प्रदेश के हैं, पर पढाई-लिखाई पटना में की है। इस नाते नड्डा जी बिहार निवासी भी हो गए। नड्डा जी के बिहार कनेक्शन के कारण उनका कार्यकाल दिसंबर तक बढ़ने की चर्चा होने लगी है। ऐसे में दिसंबर के बाद ही छत्तीसगढ़ में सरकार व संगठन में नए चेहरे की संभावना व्यक्त की जाने लगी है।

अटका फुलटाइम डीजीपी का आदेश

छत्तीसगढ़ के फुलटाइम डीजीपी के लिए यूपीएससी ने करीब हफ्तेभर पहले पैनल भेज दिया था, पर अब तक राज्य सरकार ने फुलटाइम डीजीपी का आदेश जारी नहीं किया है। इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। बताते हैं छत्तीसगढ़ सरकार ने फुलटाइम डीजीपी के लिए अरुणदेव गौतम,पवनदेव, जीपी सिंह और हिमांशु गुप्ता का नाम यूपीएससी भेजा था। यूपीएससी ने स्क्रीनिंग करके अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता के नाम का पैनल राज्य को भेज दिया। कहा जा रहा है कि पैनल में नाम नहीं होने से पवनदेव और जीपी सिंह ने यूपीएससी में अभ्यावेदन लगा दिया है। चर्चा है कि यूपीएससी के फैसले के खिलाफ पवनदेव कैट पहुँच गए हैं और अगले हफ्ते जीपी सिंह भी कैट में आवेदन लगा देंगे। यूपीएससी के पैनल पर अंतिम निर्णय राज्य सरकार को लेना है, पर पवनदेव और जीपी सिंह के कैट पहुँचने से मामला और लटक जाने की संभावना बताई जा रही है। दूसरी तरफ डीजीपी के दावेदारों में से एक अफसर का राजस्थान कनेक्शन भी चर्चा में है। कहते हैं राजस्थान कनेक्शन के कारण भी फैसला इधर-उधर हो रहा है। कुल मिलकर छत्तीसगढ़ में फुलटाइम डीजीपी का मामला बीरबल की खिचड़ी की तरह हो गया है।

दिल्ली दरबार में मंत्रियों की शिकायत

चर्चा है कि प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने राज्य के दो मंत्रियों की दिल्ली दरबार में शिकायत की है। बताते हैं कि भाजपा के नेता पिछले हफ्ते ही दिल्ली जाकर अमित शाह के सामने अपनी बातें रखी। अब नेताजी की बात पर फैसला क्या होता है, यह तो समय ही बताएगा। कहा जाता है दोनों ही मंत्री सरकार में वजनदार हैं। एक अनुभव के कारण तो एक योग्यता के कारण। इनमें से एक मंत्री जी मुंहफट हैं तो दूसरे सुर्ख़ियों में रहने के शौकीन हैं। एक मंत्री जी पिछले दिनों एक जिला स्तर के अफसर को फटकार भी लगा दी थी। इस फटकार के बाद कुछ अफसर मंत्री के मुखालफत भी करने लग गए हैं। कहते हैं नेताजी को मंत्री जी का मुंहफट होना और सुर्ख़ियों वाला शौक भा नहीं रहा है।

अमिताभ जैन को एक्सटेंशन मिलेगा ?

चर्चा है कि मुख्य सचिव अमिताभ जैन को छह महीने का एक्सटेंशन मिलेगा। खबर है कि अमिताभ जैन के एक्सटेंशन का प्रस्ताव राज्य सरकार ने केंद्र को भेज दिया है। अमिताभ जैन को छह महीने का एक्सटेंशन मिलता है तो वे दिसंबर 2025 तक राज्य के मुख्य सचिव रहेंगे और लंबे समय तक छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव रहने का रिकार्ड भी बना लेंगे। अमिताभ जैन 21 जून को 60 साल के हो जाएंगे। एक्सटेंशन नहीं मिलेगा तो 30 जून को रिटायर हो जाएंगे, पर एक्सटेंशन की पूरी संभावना बताई जा रही है। केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने का फायदा अमिताभ जैन को मिलेगा। इस बीच भारत सरकार रिटायरमेंट की आयु 60 से बढाकर 62 वर्ष कर देती है तो अमिताभ जैन के लिए सोने पर सुहागा हो जाएगा।

अंबलगन और मंगई की केंद्र में पोस्टिंग

छत्तीसगढ़ कैडर के 2004 बैच के आईएएस अंबलगन पी और अलरमेल मंगई डी की भारत सरकार में पोस्टिंग हो गई है। अंबलगन पी को केंद्रीय कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव बनाया गया है। अलरमेल मंगई डी आयुष मंत्रालय में संयुक्त सचिव होंगी। माना जा रहा है कि दोनों अफसर जून के दूसरे हफ्ते में छत्तीसगढ़ से रिलीव हो जाएंगे। अंबलगन पी छत्तीसगढ़ सरकार में सचिव संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक धर्मस्व हैं। अलरमेल मंगई डी के पास श्रम विभाग का प्रभार है। दोनों आईएएस के कार्यमुक्त होने के बाद मंत्रालय स्तर पर कुछ सचिवों के प्रभार बदल सकते हैं। वहीं सुशासन तिहार की रिपोर्ट के आधार पर कुछ कलेक्टर भी प्रभावित हो सकते हैं। अनुमान है कि लिस्ट छोटी ही रहेगी।

लटक गए सूर्यकांत तिवारी

कांग्रेस शासन में सुर्ख़ियों में रहने वाले कारोबारी सूर्यकांत तिवारी जेल से बाहर नहीं आ पाए। कोल स्कैम और अन्य मामलों में फंसे आईएएस समीर विश्नोई, रानू साहू और राज्य सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया समेत छह लोग महीनों बाद जेल से निकल आए। ये सभी कांग्रेस शासन में गड़बड़ी करने के आरोप में कांग्रेस का राज रहते ही ईडी की चपेटे में आए थे। जेल से रिहा होने के बाद ये छत्तीसगढ़ में नहीं रह पाएंगे। गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के चलते सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें राज्य से बाहर रहने के निर्देश दिए हैं। बताते हैं सूर्यकांत तिवारी को डीएमएफ मामले में जमानत नहीं मिल पाई इस कारण इन लोगों के साथ वे जेल से बाहर नहीं आ पाए। डीएमएफ मामले में जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, तब तक तो सूर्यकांत को जेल में ही बिताना पड़ेगा।

अब आलोक चंद्रवंशी के भरोसे सूचना आयोग

राज्य सूचना आयोग में अब एकमात्र सूचना आयुक्त आलोक चंद्रवंशी रह गए हैं। मुख्य सूचना आयुक्त का पद करीब तीन साल से रिक्त है। सूचना आयुक्त नरेंद्र शुक्ला 21 मई को रिटायर हो गए। सूचना आयुक्त का एक पद पहले से खाली है। मुख्य सूचना आयुक्त और दो सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया चल ही रही थी कि पिछले दिनों छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का स्टे आ गया। अब मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति जल्द होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। पिछले दिनों मुख्य सूचना आयुक्त के पद के लिए पूर्व डीजीपी अशोक जुनेजा का नाम सामने आया था, पर कोर्ट के फैसले तक तो मामला लटक गया। ऐसे में सूचना आयुक्त आलोक चंद्रवंशी ही राज्य सूचना आयोग को चलाएंगे।

पीसीसी अध्यक्ष के लिए उमेश और देवेंद्र सुर्ख़ियों में

एक तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज पैदल यात्रा और धरना-प्रदर्शन के जरिए राज्य में कांग्रेस को सुर्ख़ियों में बनाए रखने की कोशिश में हैं, वहीं उनको बदले जाने की भी सुगबुगाहट चल रही है। पहले प्रदेश अध्यक्ष के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव का नाम चला। अब विधायक उमेश पटेल और देवेंद्र यादव का नाम चर्चा में है। देवेंद्र यादव अभी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और बिहार के प्रभारी हैं। उमेश पटेल ने पार्टी में अब तक कोई खास जगह नहीं बनाई है, जो कुछ है, वह उन्हें नंदकुमार पटेल के पुत्र के कारण मिला है। देवेंद्र यादव बिलासपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े। युवक कांग्रेस में खासे सक्रिय रहे, पर भाई धर्मेंद्र यादव पर निर्भरता चर्चा में रहता है। लेकिन उमेश पटेल और देवेंद्र यादव दोनों राहुल गांधी की पसंद के माने जा रहे हैं, इस कारण दोनों का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चा में है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Related Articles

Back to top button