
रवि भोई
सुकमा से उठा बवंडर क्या गुल खिलाएगा ?
नक्सल प्रभावित जिला सुकमा में तेंदूपत्ता संग्राहकों का बोनस अफसरों द्वारा हजम करने के मामले में ईओडब्ल्यू ने पिछले दिनों डीएफओ अशोक पटेल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। सरकार ने पहले ही अशोक पटेल को सस्पेंड कर दिया था। अशोक पटेल 2015 बैच के प्रमोटी आईएफएस हैं। संग्राहकों के बोनस में हेरफेर का मामला है तो 2021-2022 का, पर उजागर हुआ 2024 में। पूरे मामले को उठाया पूर्व विधायक और कम्युनिष्ट नेता मनीष कुंजाम ने। मनीष कुंजाम ने कई सवाल उठाए हैं और एक वरिष्ठ आईएफएस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मनीष कुंजाम के कहे अनुसार वरिष्ठ आईएफएस राजनीतिक काम करने के अभियान में लगे थे। बताते हैं सुकमा में भाजपा शून्य हो गई है। राजनीतिक दृष्टि से देखें तो सुकमा से कांग्रेस के विधायक हैं और सुकमा जिला पंचायत पर भी कांग्रेस का कब्जा है। क्या इस कारण भाजपा की सरकार ने सुकमा के लिए आँखें बंद कर ली ,जबकि वन मंत्री केदार कश्यप स्वयं आदिवासी समाज से आते हैं और बस्तर इलाके का प्रतिनिधित्व करते हैं। वनमंत्री के नाक के नीचे ऐसा कैसे हो गया, चर्चा का विषय है। सुकमा आदिवासी बहुल है,जिनका जीवन यापन वनोपज पर ही टिका है। वैसे में आदिवासियों का ही जेब काट लेना कितनी गजब बात है ? पारदर्शी भुगतान व्यवस्था के लिए लागू कुबेर प्रणाली के बाद भी करोड़ों रुपए का खेल होना, बड़े ही ताज्जुब की बात है। लोग कह रहे हैं कि मनीष कुंजाम शिकायत नहीं करते तो क्या गड़बड़ी सामने नहीं आती? बताते हैं भाजपा के एक नेता डीएफओ अशोक पटेल को सुकमा से बीजापुर ले जाने की जुगत में थे, पर बोनस कांड के चलते मामला लटक गया। अशोक पटेल के लिए सिफारिश होने लगी तो एक सीनियर अफसर ने उन्हें सस्पेंड ही कर दिया। सरकार एक तरफ बस्तर को नक्सल मुक्त करने में लगी है। नक्सलियों की पूरी फंडिंग खत्म करना चाहती है ऐसे में सुकमा कांड कई सवाल खड़े कर रहे हैं। आदिवासियों के हक के पैसे को आखिर डीएफओ अशोक पटेल ने कहां खपाया ?
सीजीएमएससी मामले में तीन और आईएएस को बुलावा
कहते हैं सीजीएमएससी मामले की जाँच पड़ताल में ईओडब्ल्यू ने राज्य के तीन और आईएएस को नोटिस भेजा है। ये तीनों आईएएस अफसर किसी न किसी दौर में सीजीएमएससी के प्रबंध संचालक रह चुके हैं। ईओडब्ल्यू इस मामले में पहले ही दो आईएएस से घंटों पूछताछ कर चुकी है। दवाई और उपकरण खरीदी मामले में गड़बड़ी के आरोप में सीजीएमएससी के कुछ अफसर और एक सप्लायर जेल में भी हैं। सीजीएमएससी में दवा घोटाले का तार घूमता ही जा रहा है और कई लोग लपेटे में आ रहे हैं। अब लोगों को इंतजार है कि ईओडब्ल्यू दवा घोटाले में किस-किस को और कितने को लपेटे में लेती है। दवा घोटाले में तीन आईएएस को नोटिस से अफसरों में खलबली मची है।
आबकारी सचिव आर.संगीता छुट्टी पर जाएंगी
चर्चा है कि राज्य की आबकारी सचिव आर.संगीता 24 अप्रैल से तीन महीने की छुट्टी पर जाएंगी। बताते हैं वे अमेरिका जा रही हैं। आर.संगीता की छुट्टी की ख़बरों के बीच नए आबकारी सचिव के नाम का कयास भी लगाया जाने लगा है। माना जा रहा है कि तीन महीने के लिए किसी आईएएस को आबकारी विभाग का प्रभार दे दिया जाएगा। सुगबुगाहट है कि आबकारी विभाग का चार्ज तीन महीने के लिए मुकेश बंसल को दिया जा सकता है। मुकेश बंसल के पास अभी वित्त और वाणिज्यिक कर विभाग है। आर.संगीता और मुकेश बंसल 2005 बैच के अफसर हैं।
दिल्ली से तय होगा नए मुख्य सचिव का नाम
अमिताभ जैन की जगह मुख्य सचिव के लिए सुब्रत साहू, रेणु पिल्लै, अमित अग्रवाल और मनोज पिंगुआ के नाम अभी भले तैर रहे हों, पर माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव का नाम दिल्ली से ही तय होगा। अमिताभ जैन जून में रिटायर होने वाले हैं, पर मुख्य सूचना आयुक्त की दौड़ में होने के कारण उनके समय से पहले रिटायर होने के संकेत हैं। अमिताभ जैन के बाद रेणु पिल्लै वरिष्ठ हैं, उसके बाद सुब्रत साहू का नंबर है। अमित अग्रवाल दिल्ली में पोस्टेड हैं। चीफ सेक्रेटरी चयन मामले में भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान के अनुभव का बाद लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि छत्तीसगढ़ के चीफ सेक्रेटरी का फैसला भी दिल्ली से ही होगा।
आकाश तिवारी की ऊँची छलांग
रायपुर नगर निगम के पार्षद आकाश तिवारी ने ऐसी छलांग लगाई कि कांग्रेसी देखते ही रह गए। आकाश तिवारी को कांग्रेस नेताओं ने पार्षद चुनाव के लिए प्रत्याशी लायक ही नहीं समझा था, पर ऐसी गोटी फिट की कि उनकी कांग्रेस में इंट्री भी हो गई और कांग्रेस पार्षद दल के नेता याने नेता प्रतिपक्ष बन गए। आकाश तिवारी निर्दलीय चुनाव लड़कर नगर निगम पहुंचे,फिर उनके लिए रास्ता बनता गया। कांग्रेस ने पहले संदीप साहू को नेता प्रतिपक्ष बना दिया था। एक सामान्य सभा की बैठक में उन्होंने भूमिका भी निभाई। इसके बाद कांग्रेस ने संदीप साहू की जगह आकाश तिवारी को नेता प्रतिपक्ष बना दिया। बताते हैं आकाश तिवारी ने दिल्ली से चाल चली और उसमें कामयाब रहे। प्रदेश ईकाई देखती रह गई। अब दिल्ली के फैसले को पलटने का साहस राज्य के नेताओं में दिखता नहीं है। भले संदीप साहू को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाने का साहू समाज विरोध कर रहा है।
कहते हैं राज्य के एक मंत्री जी के पीए साहब ट्रांसफर के नाम पर आदेश से पहले अपनी जेब गर्म कर ली। कई लोगों ने पीए साहब को एडवांस में राशि दे दी। मंत्री जी के यहां से ट्रांसफर का प्रस्ताव मंत्रालय को चला गया। ट्रांसफर चाहने वाले नक्सली इलाके से निकलना चाहते थे, उनके बदले वहां कोई जा नहीं रहा था। इससे मामला उलझ गया। बताते हैं मंत्री के प्रस्ताव पर एक अफसर ने लंबी टीप लिखकर फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया। मामला पता चलने पर मंत्री जी ने पीए को तो हटा दिया, लेकिन पीए साहब अब भी तबादला आदेश निकलवाने में जुटे हैं और अन्यंत्र ट्रांसफर के बाद भी मंत्री जी के बंगले में नजर आते हैं। ट्रांसफर लिस्ट निकलवाना पीए साहब की मजबूरी है, क्योंकि एडवांस में अपनी जेब गर्म कर ली है। चर्चा है कि महीनों बाद ट्रांसफर आदेश नहीं मिलने पर एडवांस देने वाले पीए साहब पर चढ़ाई भी शुरू कर दी है।
दो एसपी के केंद्र में जाने की चर्चा
धमतरी के एसपी आंजनेय वार्ष्णेय और नारायणपुर के एसपी प्रभात कुमार के भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने की चर्चा है। आंजनेय वार्ष्णेय 2018 बैच के आईपीएस और प्रभात कुमार 2019 बैच के आईपीएस हैं। दोनों आईपीएस को विष्णुदेव साय की सरकार ने ही जिलों में एसपी के तौर पर पदस्थ किया है। कुछ महीने पहले धमतरी की कलेक्टर रहते नम्रता गाँधी और दुर्ग की कलेक्टर रहते ऋचा प्रकाश चौधरी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर चलीं गईं। वैसे कलेक्टर रहते आईएएस और एसपी रहते आईपीएस भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर नहीं जाते। यह नया ट्रेंड है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)