ELEPHANT; हाथी-मानव द्वंद रुकने का नाम नहीं,राज्य में 750 ग्रामीणों की मौत, 90 घायल, 245 हाथी भी मारे गए

विश्व हाथी दिवस; 24 साल बाद भी हाथियों के साथी नहीं बन पाए ग्रामीण आदिवासी, बरसात में ज्यादा हमले
रायपुर, छत्तीसगढ में हाथी-मानव द्वंद रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अभी पखवाडे भर में सरगुजा इलाके में दर्जन भर ग्रामीण मारे जा चुके है। यह संघर्ष न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए खतरा है, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी एक गंभीर सामाजिक-आर्थिक चुनौती बनकर उभर रहा है। केवल साल 2022 में ही हाथियों के हमले में 296 लोगों की मौत हुई है. राज्य के सरगुजा,जशपुर,रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर,अंबिकापुर और बलरामपुर में हाथियों का आतंक चरम पर है। राज्य में अब तक 245 हाथी भी मारे जा चुके है। बिजली के तार से हाथियों को खतरा ज्यादा है।

प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है। हाथियों को संरक्षण और सुरक्षा देने के उद्देश्य से साल 2012 से हाथी दिवस मनाया जाने लगा है। लेकिन आज भी हाथी-मानव के संघर्ष की घटनाएं सामने आती है, जिसमें छत्तीसगढ़, मध्य भारत का एक प्रमुख राज्य, अपनी प्राकृतिक समृद्धि और घने जंगलों के लिए अलग पहचान रखता है, लेकिन हाल के दशकों में यह राज्य हाथी-मानव संघर्ष का एक प्रमुख केंद्र बन गया है।
प्रदेश के 11 जिले हाथी प्रभावित
अगर देखा जाए तो हाथियों के आतंक की बढ़ती घटनाओं के पीछे बड़ी वजह घटते जंगल और उनकी बढ़ती संख्या है. साल 2002 में राज्य में जगंली हाथियों की संख्या महज 32 थी जो अब बढ़कर 350 से 400 के बीच पहुंच चुकी है.छत्तीसगढ़ के कई जिले हाथी प्रभावित है। इनमें सरगुजा, जशपुर, कोरिया, कोरबा, सूरजपुर, बलरामपुर, गरियाबंद, महासमुंद, रायगढ़, सूरजपुर के साथ अब धमतरी और रायपुर भी इसमें शामिल हो गए है। इन क्षेत्रों में मानव हाथी द्वंद में कभी हाथियों तो कभी आम लोगों को जान माल का नुकसान होता रहता है।
हताहत और प्रभावित क्षेत्र
जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 2000 से 2023 के बीच 828 हाथी-मानव संघर्ष की घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें से 737 लोगों की मौत हुई, जबकि 90 से अधिक लोग घायल हुए। केवल साल 2022 में हाथियों के हमले में 296 लोगों की मौत हो गई। राज्य के सरगुजा,जशपुर,रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर,अंबिकापुर और बलरामपुर में हाथियों का आतंक चरम पर है सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र जशपुर रहा, जहां 152 मौतें और 20 लोग घायल हुए। इसके बाद धरमजयगढ़ (135 मौतें, 20 घायल), सूरजपुर (107 मौतें, 4 घायल), और कोरबा (64 मौतें, 4 घायल) जैसे क्षेत्र शामिल हैं। कुल 321 गांव इस संघर्ष से प्रभावित हुए, जिनमें जशपुर में सबसे अधिक 66 गांव शामिल हैं। इसके बाद सूरजपुर (45 गांव), धरमजयगढ़ और बलरामपुर (प्रत्येक में 35 गांव) का स्थान है।
बारिश में हमले ज्यादा
संघर्ष के आंकड़ों से पता चलता है कि, मानसून के दौरान (जून से सितंबर) संघर्ष की घटनाएं सबसे अधिक हुई, जिसमें 205 पुरुषों और 117 महिलाओं की मौत या चोटें दर्ज की गईं। पुरुषों में हताहत की संख्या (540) महिलाओं (288) की तुलना में काफी अधिक रही। यह अंतर इसलिए है क्योंकि, पुरुष अधिकतर खेतों में काम करते हैं या रात में गांवों की रखवाली करते हैं, जिसके कारण पुरुष हाथियों के संपर्क में ज्यादा आते है।