इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला;नीरज जैन की तलाश शुरु, हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत अर्जी खारिज
रायपुर, राजधानी रायपुर के 17 साल पुराने चर्चित इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले के आरोपी नीरज जैन की अग्रिम जमानत अर्जी को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही डिवीजन बेंच ने जांच प्रक्रिया को भी सही ठहराया है। करीब 24 करोड़ रुपए के इस पूरे घोटाले की नए सिरे से जांच की अनुमति हाईकोर्ट ने ही दी थी। इसके साथ ही नीरज जैन की तलाश शुरु हो गई है।
पुलिस ने इंदिरा बैंक के तत्कालीन मैनेजर उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर जांच के लिए अनुमति मांगी थी। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद पुलिस ने आरोपी नीरज जैन के जगदलपुर स्थित अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की थी। लेकिन, वह पुलिस के पहुंचने से पहले ही फरार हो गया था। पुलिस ने उसके घर पर एक नोटिस चस्पा की है। उससे पूछताछ करने के लिए पुलिस उसकी तलाश कर रही है।
आरोपी नीरज ने खोली थी 12 कंपनियां
आरोपी नीरज जैन ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 12 कंपनियां खोली थी। इन्हीं कंपनियों में बैंक का पैसा जमा हुआ है। इसलिए पुलिस नीरज की तलाश कर रही है। बैंक से पैसा लेने के बाद कंपनियों को सुनियोजित तरीके से बंद कर दिया गया।
हाईकोर्ट में लगाई थी अग्रिम जमानत
पुलिस ने इस केस में 2006 में नीरज जैन को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद वह जमानत पर रिहा हो गया। इस बीच कोर्ट ने नए सिरे से जांच की अनुमति दी। इसके बाद पुलिस ने जांच व पूछताछ के लिए नीरज की जानकारी जुटाई तो वह गायब हो गया। अब उसे दोबारा गिरफ्तारी का भय सता रहा है। यही वजह है कि उसने इस केस में हाईकोर्ट में रिवीजन अपील की, जिसमें उसने अग्रिम जमानत देने की मांग की थी। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद उसकी अपील के साथ ही अग्रिम जमानत अर्जी को भी खारिज कर दिया है।