नक्सल प्रभावित सुकमा के बस ड्राइवर की बेटी को लंदन में मिली नौकरी; दूसरों के लिए बनी प्रेरणास्त्रोत
जगदलपुर, एजेंसी, घोर नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में जहां कभी नक्सलियों का दबदबा था, एक सेवानिवृत्त बस चालक की बेटी ने लंदन के एक सरकारी अस्पताल में नौकरी हासिल की। ऐसा कर के वह कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं।
सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित दोरनापाल की रहने वाली रिया फिलिप ने अपनी सफलता के रास्ते में आई लाल आतंक का डर और भीषण गरीबी जैसी सभी बाधाओं को पार कर लिया। जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी. दूर व एनएच 30 पर स्थित दुब्बाटोटा गांव, जो कि घोर नक्सल प्रभावित था। हालांकि वर्तमान में परिस्थिति बदली है। यहां के रहवासी संजू फीलिप की बड़ी बेटी रिया बचपन से होशियार व मेहनती थी। उसने प्राथमिक शिक्षा दोरनापाल में हासिल की, क्योंकि सलवा जुडूम के बाद उनका परिवार दोरनापाल में रहने लगा था। पहले रिया का परिवार दुब्बाटोटा गांव में रहता था। हालांकि, बाद में वे नक्सलियों के डर से दोरनापाल चले गए।
यहां पर उनके पिता निजी स्कूल में बस चालक थे और मां उसी स्कूल में शिक्षिका थी। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी क्योंकि सबसे बड़ी रिया थी और छोटे भाई व बहन भी थीं। लेकिन रिया की पढ़ाई व मेहनत को देखते हुए परिजनों ने सहयोग किया और उसने आठवीं तक दोरनापाल में पढ़ाई की। उसके बाद 12 तक जगदलपुर में रहकर पढ़ाई की फिर बेंगलुरु में तीन साल नर्सिंग का कोर्स किया। इसके साथ ही दो साल दिल्ली में रहने के बाद लंदन में एक नौकरी का आफर मिला तो उसने तत्काल स्वीकार किया और एक सप्ताह पहले वह लंदन चली गई। वहां पर उसने नौकरी ज्वाइन कर ली।
दादी से ली प्रेरणा
रिया के भाई आशीष फीलिप ने बताया कि उनकी दादी डुब्बाटोटा में नर्स थी। वह सरकारी नर्स के रूप में अपनी सेवाएं दे रही थी। जब रिया छोटी थी, तब दादी जैसे बनूंगी ऐसी बातें करती थी, उनसे ही प्रेरणा लेकर आज रिया नर्सिंग कर विदेश में सेवाएं दे रही है। रिया की दादी का देहांत 2013 में हो गया।
21 लाख रुपये का पैकेज
रिया को लंदन के एक सरकारी अस्पताल में नर्स की नौकरी मिल गई। रिया की उपलब्धि ने न केवल उसके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को गर्व से भर दिया है, बल्कि दूसरों को भी ऐसे ही सपने देखने के लिए प्रेरित किया है। बेहद तंगी में होने के बावजूद, माता शोली और पिता रमेश ने अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा सुनिश्चित करने में अपना सब कुछ लगा दिया। गर्व से भरे हुए, पिता ने आगे बताया कि अब बेटी के पास 21 लाख रुपये के वार्षिक पैकेज वाली नौकरी है।