राजनीति

‘इंडिया’ हुआ मजबूत और लाल आंखों में डर

लाल आंखो के साथ, तेज अवाज लिये साधारण बाते भी धमकियां लगती है। मानव स्वभाव में विभिन्न आचरणों का समावेश रहता है। अपने निहित स्वार्थ साधने के लिये कभी-कभी दुष्ट आचरण के साथ लाल आंखों का भी प्रयोग होता है। सत्ता के खेल में लाल आंखे दिखाकर प्रगतिशील शासन के जनसुविधापूर्ण योजनाओं से जनता को गुमराह कर, स्वयं सत्ता में बैठना और फिर पूर्ववर्ती प्रगतिशील सरकार के जनसुविधा योजनाओं का ‘‘नये क्लेवर’’ के साथ शिलान्यांस का कार्यक्रम प्रतिदिन ढोल-गाजे-बाजे के साथ हुआ है। मंच के स्वागत समारोह में छाती ठोकर स्वयं को देश भक्त होने के साथ-साथ जनता का पहरेदार भी घोषित करवाता है। फिर चालू हो जाता है, विदेश दौरे के साथ ‘‘विदेशी निवेश’’ की खोज यात्रा। अफसोस है कि इस मूल्क को ‘‘विदेशी निवेश की जगह’’ बेरोजगारी, महंगाई, बैंको का रेपोरेट बढ़ने के साथ-साथ देश में अराजकता को बढ़ावा दिया है। 

देश के संविधान पर लगातार हो रहे हमले और देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था के कारण जनता पर महंगाई एवं बेरोजगारी पर 28 राजनितिक दलो का विपक्ष एक होकर ‘‘इंडिया’’ लाल आंखों से आंखे मिलाकर अगामी 2024 की लोकसभा के चुनाव में चुनौती दी गई है। लाल आंखों के सामने मणिपुर में 120 दिनो से जारी जातीय दंगों एवं मणिपुर के बेटियों के साथ हो रहे अत्याचारों के अलावा उत्तराखड, दिल्ली, एवं हरियाणा में हुये सम्प्रदायिक दंगो को नजर अंदाज करते हुये एवं देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से भी लाल आंखे अपनी नजरें जनता से छुपाकर हमेशा विदेश यात्रा में व्यस्त रहते है। ‘‘इंडिया’’ की मात्र पटना, बेगलुरू एवं मुम्बई में सम्पन्न हुई बैठकों की अपार सफलता पर लाल आंखों के सामने अपनी सत्ता से बेदखली एवं नकामी की पर्दाफाश होने की घबराहट से लाल आंखें भयभीत है। देश की जनता दुखी एवं अफसोस के साथ यह कहती फिर रही है कि हमको लाल आंखों ने डराकर हमसे सब कुछ छीन कर, हमें रास्ते पर बैठा दिया गया है।

लाल आंखें का कार्याकाल मुगल एवं अंग्रेज के शासन काल से भी ज्यादा भयभीत रहा है। पूर्व के शासक देश की सम्पत्ति को लूटकर अपने देश ले गये थे। ठीक वैसे ही लाल आंखे देश के बैंको का करोड़ो रूपयो का कर्जा अपने उघोगपति मित्रों को देकर विदेश भागने का मौका दिये है और सभी उघोगपति मित्र विदेशों में ऐशो आराम की जिन्दगी जी रहे है। इसके अलावा कुछ और अपने मित्रो को देश की सम्पत्तियों को कौड़ियों के दाम में देकर, देश में बेरोजगारी एवं आसमान छुती महंगाई के साथ आम जनों का आमदनी न्यूनतम स्थिति मेें ला दिये है।

मुम्बई में ‘‘इंडिया’’ के महत्वपूर्ण बैठक में यह तय किया गया है कि ‘‘इंडिया’’ के गठबंधन में कोई भी सहयोजक नही रहेगा और चार समितियों का गठन क्रमशः समन्वय समिति, रिसर्च समिति, चुनाव समिति, और प्रचार समिति कार्य करेगें। मुम्बई की बैठक में सर्वसम्मति से ‘‘जुड़ेगा भारत, जितेगा इंडिया’’ महत्वपूर्ण नारा दिया गया है, और साथ ही यह निर्णय लिया गया है कि अगामी लोकसभा के 400 सीटों पर एक उम्मीदवार रखा जायेगा एवं उम्मीदवारो का चयन समितियों के सदस्यों द्वारा चर्चा के उपरांत ही घोषित किये जायेगें। ‘‘इंडिया’’ गठबंधन के नेतागण आमसभा में जनता के बीच जायेगें। सिर्फ बंद कमरे में ही समितियों की बैंठकें होगी। 

‘‘इंडिया’’ के मुम्बई में 31 अगस्त एवं 01 सितम्बर के ऐताहासिक बैंठक की सफलता पर लाल आंखों पर घबराहट एवं भय की परछाई के साथ केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्री द्वारा अपने ट्वीटर के माध्यम से बगैर एंजेडा के साथ 18 सितम्बर से 22 सितम्बर 2023 तक लोकसभा का विशेष सत्र की बैठक होने की सूचना दी गई है। इसके अलावा इस विशेष सत्र में प्रश्नकाल एवं शून्यकाल नही होगा, इस विशेष सत्र में सिर्फ सरकारी योजनाओं को क्रियांवित करने के लिये चर्चा होगी। पूरा देश इस विशेष-सत्र को लेकर अचंभित है।

इसके साथ ही ‘‘इंडिया’’ गठबंधन इस विशेष सत्र में शामिल होकर 09 सूत्रीय देश के समस्याओं पर चर्चा कराने हेतु अड़िग रहेगा। पूरे देश मे एक ही चर्चा है कि ‘‘इंडिया’’ नाम के मजबूत गठबंधन से लाल आंखे भयभीत एवं सहमा हुआ है। इसलिए लाल आंखे देश के संविधान से ‘‘इंडिया’’ का नाम हटाकर ‘‘भारत’’ शब्द से संबोधित किया जावेगा। देश के विभिन्न अर्थशास्त्रियों का कहना है कि संविधान से ‘‘इंडिया’’ के नाम हटाकर ‘‘भारत’’ करने के अलावा रिजर्व बैकों से प्रचलित करैंसियों से ‘‘इंडिया’’ हटाना एक तरह से ‘‘देश में दूसरा नोटबंदी’’ कहलायेगा। 18 सितम्बर 1949 के ठीक 74 साल बाद 18 सितम्बर 2023 को (संविधान सभा देश का नाम करण अनुच्छेद-1 में ‘‘इंडिया दैट इज इंडिया कहा गया है। ) और तो और सितम्बर 2023 को दिल्ली मे आयोजित होने वाले जी .20 के शिखर सम्मेलन में सम्मिलित होने वाले सम्मानीय अतिथियों को रात्री भोज के निमंत्रण पत्र में देश के राष्ट्रपति द्वारा प्रेसीडेंट आफ भारत के नाम दिया गया है। 28 दलों का ‘‘इंडिया’’ गठबंधन के सुनामी की डर के कारण लाल आंखे अपनी नजर को आज नीचे कर चिंता एवं भय से ग्रसित है।

इंजीनियर तपन चक्रवर्ती

( यह लेखक की निजी राय है )

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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