आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम भूपेश ने 27 हजार पदों पर जल्द भर्तियां शुरू करने की घोषणा की
रायपुर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ी घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट में लंबित आरक्षण मामले पर हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। अब स्टे हट जाने के कारण भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी।विभागों में लंबित भर्ती प्रक्रिया जिसमे नियुक्ति पत्र जारी करना शेष है जल्द जारी किया जाएगा। साथ ही अन्य विभिन्न विभागों में कुल 27 हजार पदों पर भर्तियां प्रारंभ करने की बात कही है।
कांकेर में कर्मा महोत्सव को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि दो दिसंबर को आरक्षण बिल पास कर राजभवन भेजा गया था जिसमे ओबीसी को 27 प्रतिशत, आदिवासी 32 प्रतिशत अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा ईडब्लूएस को चार प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इस प्रकार से बिल बनाकर विधानसभा से पारित कर राजभवन भेजा गया है। लेकिन राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किया है। कल पूरा पांच माह हो जायेगा राजभवन बिल भेजे। लेकिन पिछले सरकार के द्वारा 2012 में दिए 58 प्रतिशत आरक्षण को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 58 प्रतिशत आरक्षण की बहाली का कांग्रेस ने स्वागत किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय से राज्य में रुकी भर्तियां फिर से शुरू हो सकेंगी। यह निर्णय लक्ष्य नहीं है अंतिम लक्ष्य तो आरक्षण संशोधन विधेयक के लागू होने के बाद ही मिल सकेगा। कांग्रेस सरकार ने राज्य के सर्वसमाज के हित में विधानसभा में सर्वसम्मति से आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवा कर राज्यपाल के पास भेजा है। आरक्षण संशोधन विधेयक पिछले 4 महिने से राजभवन में लंबित पड़ा है लेकिन राजभवन उस पर कोई निर्णय नहीं ले रहा जिसके कारण प्रदेश के आरक्षित वर्ग के लोगों को उनका हक नहीं मिल रहा है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पूर्ववर्ती रमन सरकार ने यदि 2012 में बिलासपुर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किये गये मुकदमे में सही तथ्य रखे होते तथा 2011 में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के समय दूसरे वर्ग के आरक्षण की कटौती के खिलाफ निर्णय नहीं लिया होता तब आरक्षण की सीमा 50 से बढ़कर 58 हो ही रही थी तो उस समय उसे 4 प्रतिशत और बढ़ा देते सभी संतुष्ट होते कोर्ट जाने की नौबत नहीं आती और न आरक्षण रद्द होता। आरक्षण को बढ़ाने के लिये तत्कालीन सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में मंत्री मंडलीय समिति का भी गठन किया था। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी कमेटी बनाई गयी थी। रमन सरकार ने उसकी अनुशंसा को भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जिसका परिणाम है कि अदालत ने 58 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया था। रमन सरकार की बदनीयती से यह स्थिति बनी थी।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी थी। मुकुल रोहतगी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी जैसे नामी वकील आदिवासी आरक्षण का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा। कांग्रेस आदिवासी समाज के हितो के लिये पूरी कानूनी लड़ाई लड़ा। इसका परिणाम सामने आया है।
अनुसूचित जनजाति आरक्षण पर रोक हटना भाजपा की वैचारिक जीत- चंदेल
छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा शासन काल में लागू अनुसूचित जनजाति के 32 प्रतिशत आरक्षण पर कांग्रेसियों द्वारा लगवाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। यह भाजपा की वैचारिक जीत है। अब मुख्यमंत्री को भी यह समझ लेना चाहिए कि वह संविधान से ऊपर नहीं हैं।
नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि भाजपा शासनकाल में अनुसूचित जनजाति को 32 फ़ीसदी आरक्षण दिया गया जो भाजपा की सरकार रहते हुए सुरक्षित रहा। लेकिन छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार आने के बाद अनुसूचित जनजाति का हक छीनने के लिए कांग्रेसी हाई कोर्ट चले गए। अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध हाई कोर्ट जाने वालों को भूपेश बघेल की सरकार ने उपकृत किया। यह सरकार नहीं चाहती कि अनुसूचित जनजाति को उनका अधिकार मिले। इसलिए अपने लोगों को हाई कोर्ट भेजा और 32 फ़ीसदी आरक्षण को बचाए रखने के लिए सरकार की ओर से कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। ताकि अनुसूचित जनजाति का हक छीना जा सके। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी अनुसूचित जनजाति के हक की बहाली के लिए कांग्रेस की सरकार ने कोई रुचि नहीं दिखाई। वह सिर्फ तारीखें बढ़वाने में समय बर्बाद करती रही। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर भाजपा सरकार द्वारा लागू आरक्षण नीति को बहाल किया है। यह भाजपा की वैचारिक जीत और अनुसूचित जनजाति के संघर्ष की जीत है।
नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि मुख्यमंत्री आरक्षण के नाम पर केवल राजनीतिक पैंतरेबाजी दिखा रहे हैं। यदि वह छत्तीसगढ़ के सभी वर्गों को उचित आरक्षण दिलाने की मंशा रखते तो फिर क्वान्टिफायबल डाटा आयोग की रपट क्यों दबा कर रखी गई है। यह रिपोर्ट न तो सदन में रखी गई और न ही राज्यपाल को भेजी गई। जबकि आरक्षण विधेयक का आधार ही इसी डाटा आयोग की रपट को बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस आरक्षण के नाम पर केवल भ्रम फैलाने का काम कर रही है।
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