इंडियन रोड कांग्रेस में गडकरी ने कहा-नक्सल इलाकों में प्री कास्ट तकनीक से होगा सड़कों और पुलों का निर्माण
रायपुर, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लागत पर नियंत्रण और कानून एवं व्यवस्था की चुनौतियों को देखते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने प्री कास्ट तकनीक के इस्तेमाल से सड़कों और पुलों के निर्माण की जरूरत पर जोर दिया है। राजधानी के होटल बेबीलान में इंडियन रोड कांग्रेस की बैठक में उन्होंने कहा कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र की पूरी रक्षा करते हुए निर्माण के नए तौर-तरीकों को अपनाने की जरूरत है। गुणवत्ता में कोई कमी लाए बिना आधुनिक तकनीक और नई पहल के साथ लागत घटाई जा सकती है।
बांस के क्रैश बैरियर का दायरा बढ़ाया जाएगा
गडकरी ने कहा कि बांस के क्रैश बैरियर का प्रयोग ऐसी ही एक पहल है, जो सुरक्षा के हर मानक पर खरी उतरी है। इसे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे समेत कई राजमार्गों और एक्सप्रेस वे में अमल में लाया जा रहा है। गडकरी ने सड़क निर्माण में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्लास्टिक तथा स्टील स्लैग जैसी सामग्री का इस्तेमाल बढ़ाए जाने की जरूरत पर जोर दिया।
निर्माण की लागत घटेगी तो पूरे देश को होगा फायदा
ऐसी तकनीक और सामग्री का उपयोग करना चाहिए जिससे सड़कों का 20-25 साल तक रखरखाव करने की जरूरत ही न पड़े। इसके लिए तारकोल से बनने वाली सड़कों पर एक निश्चित मोटाई की ह्वाइट टापिंग के इस्तेमाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रयोग कई जगह सफल रहा है। इसने सड़कों को 25 साल तक रखरखाव की सुविधा दी है।
दुर्घटनाओं की रिपोर्ट राज्यों से साझा की जाए
गडकरी ने बैठक में यह सुझाव दिया कि अगर किसी स्ट्रक्चर या सड़क के साथ दुर्घटना होती है तो जांच समिति और आयोग की रिपोर्ट के साथ ही वहां हुई गलती के वास्तविक कारणों और उसे रोकने के उपायों को अलग से प्रकाशित किया जाना चाहिए। इसे सभी राज्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए।
इसके लिए जरूरी नहीं है कि किसी अफसर का नाम लिया जाए, लेकिन यह सभी को जानना जरूरी है कि गलती क्यों हुई और कमी क्या रह गई। महाराष्ट्र में अगर कोई गलती होती है तो उसे छत्तीसगढ़ में क्यों दोहराया जाए? गडकरी का यह सुझाव हाल में कई पुलों के साथ हुए हादसों के संदर्भ में अहम है।