राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

तू डाल-डाल, मैं पांत-पांत

2023 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दांव पर दांव चल रहे हैं। कहा जा रहा है भाजपा द्वारा एक दांव का तोड़ ढूंढने से पहले ही भूपेश बघेल दूसरा दांव चल देते हैं। भूपेश बघेल ने पहले राज्य में किसानों का धान 2800 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने का ऐलान किया। अब प्रति एकड़ 15 की जगह 20 क्विंटल धान खरीदने की घोषणा कर दी है। इस उपहार से किसान गदगद बताए जाते हैं। कहा जा रहा है कि इसका सीधा इम्पैक्ट 2023 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को किसानों का बड़ा साथ मिला था। इस कारण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसानों को साध कर रखने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वृक्ष योजना और अन्य तरह से भी किसानों को उपकृत कर कांग्रेस किसानों को अपने से बांधे रखने की रणनीति पर काम कर रही है। छत्तीसगढ़ में 37 लाख से अधिक किसान हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चुनाव से पहले युवाओं को साधने के लिए बेरोजगारी भत्ता का दांव चल चुके हैं। बेरोजगारी भत्ता 2018 के चुनावी घोषणा शामिल था। इस कारण भाजपा ने हल्ला बोल आंदोलन किया था। भूपेश सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं समेत कइयों का मानदेय बढाकर चुनावी चाल चली है। दांव और चाल के नतीजे तो दिसंबर 2023 में ही जनता के सामने आएंगे।

नेताजी अदृश्य

कहा जा रहा है कि ईडी के छापे के बाद कांग्रेस के एक दिग्गज नेता अदृश्य हो गए हैं। कहते हैं इस नेता का सरकारी तंत्र में बड़ा दखल हुआ करता था। अब सरकारी तंत्र से भी इनकी दूरी हो गई है। सरकारी तंत्र से नेताजी के कटाव से राज्य के कुछ मंत्री बड़े खुश बताए जाते हैं। खबर है कि नेताजी कामकाज के लिए मंत्रियों पर हमेशा दबाव बनाए रखते थे। चर्चा है कि नेताजी से ईडी ने तीन चार दौर की पूछताछ कर चुकी है। ईडी ने नेताजी से ही नहीं, बल्कि उनके पुत्र और विशाखापट्नम में रहने वाले भाई को भी पूछताछ के लिए बुला चुकी है। संकेत हैं कि नेताजी जल्दी ही ईडी के हत्थे चढ़ने वाले हैं। शायद इस कारण उन्होंने अदृश्य रहने में ही अपनी भलाई समझी।

अमित शाह के बस्तर दौरे के मायने

कहा जा रहा है कि 2019 के आम चुनाव में भाजपा की हार वाली लोकसभा सीटों पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नजर है। 2024 में जीत की संभावना तलाशने के लिए इसके पहले वे कोरबा आए थे। अब बस्तर आए हैं। बस्तर में वे दो दिन 24 -25 मार्च को रहे। घोर नक्सली इलाकों में भी सीआरपीएफ के कार्यक्रम के बहाने पहुंचे। 2019 के आम चुनाव में भाजपा छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से 9 जीती थी , लेकिन कोरबा और बस्तर लोकसभा सीटें उसकी झोली में नहीं आई थी। दौरे से जमीनी हकीकत का अंदाजा हो जाएगा। कहते हैं केंद्रीय गृह मंत्री बस्तर से नागपुर होते हुए छिंदवाडा जाएंगे। छिंदवाडा भी कांग्रेस के कब्जे वाली सीट है। छिंदवाडा से मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के पुत्र सांसद हैं।

भाजपा पदाधिकारी मायूस

कहते हैं बस्तर के भाजपा पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलना चाहता था, लेकिन उनके बस्तर प्रवास के दौरान कुछ ही लोग मिल पाए और स्वागत-सत्कार से ज्यादा कुछ न कर पाए। कहते हैं भाजपा पदाधिकारी केंद्रीय गृह मंत्री से भेंटकर उन्हें जमीनी हकीकत से अवगत कराना चाहते थे। इसके लिए वे करीब आधे घंटे का समय चाहते थे, पर ऐसा न हो सका। कहते हैं पदाधिकारी संगठन के कामकाज और तौर-तरीके से लेकर नक्सलवाद के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहते थे। खबर है कि मुलाक़ात का प्रयास विफल होने से पदाधिकारी मायूस हैं।

समय तक चल गया सत्र

संभावना के उलट छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र निर्धारित समय तक चल गया। सरकारी कामकाज के साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने सदन में अपनी बात रखी , मुद्दे उठाए। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सत्ता पक्ष के विधायक भी इस बार आक्रामक रहे और सरकार ने भी एक्शन के कदम बढाए। सत्ता पक्ष के कुछ विधायकों का सरकार विरोधी सुर चर्चा का विषय रहा। वहीं भाजपा विधायकों की धारा कई भागों में बंटी नजर आई। अलग-अलग सुर-ताल के कारण भाजपा के विधायक सरकार को किसी मुद्दे में उलझा नहीं सके। वाकआउट और कुछ शोर-शराबा कर ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। माना जा रहा था भाजपा के तेवर तीखे होंगे और सरकार को कामकाज निपटाने में दिक्कत आएगी, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। चुनावी साल का यह लंबा सत्र था। मानसून सत्र के दौरान तो चुनावी गहमागहमी का आगाज हो जाएगा।

कौन बनेगा ई ओ डब्ल्यू का प्रमुख ?

राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ई ओ डब्ल्यू) के प्रमुख डी एम अवस्थी 31 मार्च को रिटायर हो जाएंगे, उनकी जगह सरकार किसे ई ओ डब्ल्यू का मुखिया बनाएगी। इस पर कयासबाजी शुरू हो गई है। 1986 बैच के आईपीएस श्री अवस्थी राज्य के डीजीपी रह चुके हैं। अशोक जुनेजा को डीजीपी बनाकर उन्हें पुलिस अकादमी में पोस्ट कर दिया गया था। फिर करीब पांच महीने पहले ही उन्हें ई ओ डब्ल्यू का महानिदेशक बनाया गया। डी एम अवस्थी के रिटायरमेंट के बाद डीजी का एक पद रिक्त हो जाएगा। डीजी बनने की कतार में 1992 बैच के आईपीएस पवनदेव और अरुणदेव गौतम हैं।

नाकाम रायपुर पुलिस

रायपुर में एक सिख संगठन ने अमृतपाल सिंह के समर्थन में रैली निकाल ली और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए, पर रायपुर की पुलिस को कानों-कान खबर नहीं लगी। दो दिन बाद रायपुर पुलिस जागी और चार लोगों को गिरफ्तार किया। रायपुर पुलिस के पास अच्छा खासा अमला है और उसके पास लोकल इंटेलिजेंस भी है, फिर भी उसके नाक के नीचे देश विरोधियों के समर्थन में लोग आ गए। इस घटना के बाद रायपुर की पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं। कहते हैं कुछ महीने पहले कुछ लोगों ने एक देश विरोधी का पोस्टर टाटीबंध इलाके में चस्पा कर दिया था। तब भी रायपुर को हवा नहीं लगी थी और पुलिस ने कोई कार्रवाई करने की जगह मौन रही। चाकूबाजी और अन्य अपराधों में काबू पाने में अब तक नाकाम रायपुर पुलिस पर एक और दाग लग गया है।

अगले हफ्ते सचिव स्तर पर फेरबदल की चर्चा

कहा जा रहा है कि अगले हफ्ते सचिव स्तर पर कुछ फेरबदल संभव है। चर्चा है कि कुछ सचिवों के विभाग इधर-उधर हो सकते हैं। नेहा चंपावत के केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने से गृह विभाग में सचिव का एक पद रिक्त हो गया है। कई विभाग संभाल रहे सचिव और विशेष सचिवों को कुछ हल्का किया जा सकता है। फील्ड में पदस्थ कुछ अफसरों को मंत्रालय में लाने की भी खबर है।

( लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं। )

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