छत्तीसगढ की सियासत ‘ दुनियादारी’
नारायण भोई
बृहस्पति की टिकट कटी बुधवार को
एक गाना था सोमवार को हम मिले मंगलवार को नैन बुध को मेरी नींद गई जुमेरात(बृहस्पति) को चैन। ये गाना पूरी तरह से कांग्रेस के पूर्व होने वाले विधायक बृहस्पति पर सौ फीसदी सही उतरी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सत्ता में आने के बाद बृहस्पति सिंह ने भूपेश बघेल की तरफदारी और टी एस सिंहदेव के खिलाफत का ठेका ले लिया था। खूब बोल बिगाड़े। कोई कसर नहीं छोड़ी थी। हालात यहाँ तक पहुंच गए कि ढाई साल के भावी मुख्यमंत्री को पार्टी में ही लगातार अपमान झेलना पड़ा। विधानसभा छोड़े, मंत्रालय छोड़े,। भाजपा,आप ने डोरे भी डाले लेकिन कांग्रेस ने आखरी छह महीने के लिए उप मुख्यमंत्री क्या बनाया, समीकरण ही बदल गए। टी एस सिंहदेव केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य बन गए तो आशंका के गुबार उठने लगे थे। राजनीति के छोटे छोटे पंडित भी बता रहे थे कि 90 में से एक विधायक की टिकट कटनी पक्की है। नाम है बृहस्पति।
बाप पर पूत
रायपुर ग्रामीण से कांग्रेस ने अस्वस्थ रह रहे सत्यनारायण शर्मा के स्थान पर उनके सुपुत्र पंकज शर्मा को मैदान पर उतारा है। भाजपा की तरफ से काफी सालों से रायपुर ग्रामीण से चुनाव लडने के लिए लालायित मोती लाल साहू को मौका मिला है। साहू बहुल इस विधानसभा में बीरगांव नगरनिगम, माना नगर पंचायत महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिनके चलते इस विधानसभा के नतीजे प्रभावित होते आए है। बीरगांव के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष ओम प्रकाश देवांगन के भाजपा प्रवेश से कांग्रेस के लिए चुनाव आसान नहीं होगा। कांग्रेस ने शहर के स्थान पर ग्रामीण क्षेत्रों में अपना ध्यान केंद्रित रखा है। किसानों से धान खरीदने के साथ साथ छत्तीसगढ़ी संस्कृति को आगे बढ़ाने के नाम पर कांग्रेस को उम्मीद है कि गांव से बढ़त मिलेगी। रायपुर ग्रामीण में रायपुर शहर के चारो तरफ के पुराने गांव पड़ते है जो अब गांव न होकर शहरी वार्ड बन गए है। इनमे खेत की जगह प्लॉट और बिल्डिंग खड़े हो गए हैं ऐसे में धान से ही नतीजा नहीं निकलेगा। शहरी क्षेत्र में विकास कार्य लगभग शून्य ही रहा है ।
कांग्रेस के सर्वे में पंकज कमजोर प्रत्याशी माने गए है। सत्यनारायण शर्मा से काफी चिचौरी की गई थी लेकिन शर्मा जी सत्तू भईया से सत्तू दादा हो गए है।भाजपा में होते तो 10 साल पहले ही निर्देशक मंडल में डाल दिए गए होते। रायपुर ग्रामीण में कांग्रेस से ज्यादा सत्यनारायण शर्मा की प्रतिष्ठा ज्यादा दांव पर लगी है। दोनो पार्टियों से ब्राह्मण प्रत्याशी की संख्या की सिमितता के चलते ये भी माना जा रहा है कि ब्राह्मण समाज अपने प्रत्याशियों को पार्टी से ऊपर उठकर जिताने के लिए संकल्पित हो रहा है। पंकज इसका फायदा उठाकर विधानसभा में प्रवेश कर सकते है वही मोतीलाल साहू पिछली बार पाटन में बलि का बकरा बन चुके है इस बार प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के बल पर साहू समाज को साध कर विधायक बन सकते है
कोबरा और करैत
सर्प याने सांप की अनेक जातियों में विषधर सांपो की एक श्रेणी है।इन्हे कालसर्प भी कहा जाता है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार करैत सांप के दंश से स्नायु तंत्र पर सीधा असर पड़ता है वही कोबरा के दंश से रक्त संचार में असर पड़ता है। कोबरा और करैत दोनो ही जानलेवा सर्प है। चुनाव आ गया है। इसमें भी हमारे पास विकल्प के रूप में सांप ही है।एक करैत है एक कोबरा है, चुनना सांप ही हैं । आपके पास विकल्प यही है कि कौन कम खतरनाक सांप है ,ये देखना है। कितना बुरा दौर है कि हमे अपना नेतृत्वकर्ता व्यक्ति नहीं चुनना है। ऐसे सांप आस्तीन में ना पाले।सांप चुने जाने के बाद सपोलो को भी झेलना पड़ेगा। चुने जाने के बाद अगले पांच साल तक ये अजगर भी बन जाते है कोई चाकरी नहीं। अपने कुनबे को बस बढ़ाना और उनको संपन्न करना ही इनका काम रह जाता है।कोई सपेरा इनको बस में नहीं का सकता।