राजनीति

जी- 20  के अतिथि ब्रिटेनी प्रधानमंत्री दंपत्ति का मंदिर दर्शन

इंजीनियर तपन चक्रवर्ती

देश में 08 सितम्बर से 10 सितम्बर 2023 तक दिल्ली में आयोजित हुये जी-20 के शिखर सम्मेलन के अतिथि रहें ब्रिटेनी प्रधानमंत्री (दंपत्ति) का स्वयं भारतीय मूल होने पर मन में गुदगुदी जरूर हुई है। ब्रिटेनी प्रधानमंत्री (दंपत्ति) द्वारा दिल्ली के अक्षर धाम पवित्र मंदिर में प्रवेश के आरंभ से मंदिर के दर्शन तक सौम्य शालीनता, निश्चलता व प्रेम का त्रिवेणी संगम में भारतीय संस्कृति का अतभूत परिचय मिला। उनके ईश्वर दर्शन में आम भारतीय संस्कृति के अधारित अर्ध घुटनों के बल एवं जमीन पर मथा टेक कर प्रार्थना का दृश्य ही निश्चलता व प्रेम का भाव रहा। जो मन के अनुभूति के अनुसार कहीं दूर छिदके हदय के टुकड़ो का स्नेही धड़कन है।

दूसरी तरफ देश में कुछ वर्षो से मंदिर दर्शन को म्टम्छज् का रूप देकर, स्वयं को दूनिया के सामने ‘‘विश्वगुरू’’ बनाकर पेश किया गया है। ‘‘विश्वगुरू’’ के मंदिर दर्शन के समय स्वयं के माथे पर रंग बिरंगे चंदन लेप, भगवा वस्त्र एवं गले में तमाम कंठी माला पहनकर और गंभीर भाव भंगीमा के साथ हजारों चमकते कैमरो,ं के बीच मंदिर दर्शन को म्टम्छज् के रूप में दिन भर टेलीविजन चैनलों में दिखाया जाता है। सफेद हुये लंब्बे बाल और लंबी – लंबी दाड़ी मुछों के जाल में भोली-भाली जनता को लगातार 9 वर्षो से उलझाकर स्वयं को ‘‘विश्वगुरू’’ के रूप में परिचय दिये है। ‘‘विश्वगुरू’’ के छद्म देश भक्ति एवं धर्मिकता से देश की अर्थव्यवस्था को निचले स्तर पर ला दिये है। 

जी-.20 के ‘‘भारत मंडपम’’ में फुरसत के छणों में बंग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना बानो से ब्रिटेनी प्रधानमंत्री का घुटनों के बल पर स्वभाविक एवं गंभीर विषयों के चिन्तन पर दुनिया हतप्रद रहां। ब्रिटेनी प्रधानमंत्री का निश्चल एवं स्वभाविक आचरणों पर देश को गर्व है। जी-.20 के शिखर सम्मेलन में अमरीका एवं अन्य देशों के मीडिया कर्मी को प्रेस वार्ता से दूर रखा गया था। इसकी पुष्टी स्वयं अमरीका के राष्ट्रपति ब्राजील में सम्पन्न हुये प्रेस वार्ता में यह बात कही गई है। इसके अलावा जी-20 केे शिखर सम्मेलन में ‘‘विश्वगुरू’’ द्वारा देश द्वारा अमरीका के किसानों की उत्पादक में मात्र 15ः  निर्यात शुल्क की घोषणा की गई है। पूर्व में भारत देश द्वारा अमरीका के किसानों की उत्पादक में 70ः निर्यात शुल्क की व्यवस्था थी। जबकि दूसरी ओर देश किसानों की उत्पादक पर समर्थन मूल्य के बढ़ौती पर ‘‘विश्वगुरू’’ मौन साधे रहते है।

जी-20  के शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन के युद्ध पर सभी देशों नें एकमत होकर युद्ध विराम पर चर्चा जरूर किये, किन्तु नतीजा शून्य रहा। चीन द्वारा देश के लद्दाख और अरूणाचल प्रदेश के कई हजारो वर्ग किलो मीटर जमीन पर कब्जा किया गया है। किन्तु ‘‘विश्वगुरू’’ द्वारा बार-बार यही कहा जाता है कि देश का एक इंच जमीन पर कब्जा नही हुआ है। इस तरह के गंभीर विषयों पर शिखर सम्मेलन में चर्चा नही हो सका है। चीन के राष्ट्रपति एवं रूस के प्रधानमंत्री ळ.20 शिखर सम्मेलन में शिरकत नही कियेे थे। जो अंत तक चर्चा का विषय बना रहा।

शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन ‘‘उपस्थित रहे सभी देश’’ राजघाट के गांधी जी के समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित किये है। शिखर सम्मेलन के समाप्ति के दूसरे दिन कश्मीर में अनंतनाग के कोकरनाग में स्थित गंडूल जंगल में आंतकीयों के साथ मुठभेड़ में देश के 04 जवानों की शहिदी पर पूरा देश शोक डूबा था। दूसरी तरफ ‘‘विश्वगुरू’’ द्वारा जी -20 की सफलता पर अपने पार्टी कार्यालय में जश्न मनाते हुये अपने कार्याकर्ताओं को लाल गुलाब के फूलों से अभार व्यक्त किये । सेनाओं के शहादत का अपमान और ‘‘विश्वगुरू’’ के असंवेदनशीलता को देश कभी माफ नही करेंगा। इसी तरह पुलवामा में 40 सैनिकों की शहादत को राष्ट्रवाद के नाम पर सत्ता के खूनी खेल से देश की जनता अत्यंत दुखी एवं आक्रोशित है। जी-20 के शिखर सम्मेलन में करोड़ो रूपये खर्च हुये किन्तु अंतिम दिन में ‘‘भव्य – भारत – मंडपम’’ की भव्यता वर्षा के पानी में बह गया और साथ में शून्य के भीतर कमल-फूल भी वर्षा के पानी में बहता रहा। 

{यह लेखक के निजी विचार है}

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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