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निजीकरण के खिलाफ बैंकों में कर्मचारियों भर्ती की मांग को लेकर चरणबद्ध आंदोलन का निर्णय; नए साल में दो दिनी देशव्यापी बैंकिंग हडताल का ऐलान

रायपुर, बैंकों में पर्याप्त भर्ती से इनकार करने और आम लोगों को प्रभावी ढंग से सेवा देने की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की क्षमता को कमजोर करने का जानबूझकर किया गया प्रयास निजी क्षेत्र की बैंकिंग और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को प्रोत्साहित करने के केंद्र सरकार के अपने एजेंडे के खिलाफ इस साल के अंतिम माह से चरणबद्ध आंदोलन का ऐलान किया गया है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने निर्णय लिया है और 4 दिसंबर से 11 दिसंबर तक बैंकवार आंदोलन किया जायेगा। इसके बाद 2 जनवरी से 6 जनवरी 2024 तक अलग अलग राज्यों में बैंक कर्मचारी आंदोलन करेंगे। 19 एवं 20 जनवरी 2024 को दो दिनी देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया गया है।

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के निर्णय की जनकारी देते हुए छत्तीसगढ़ बैंक एम्प्लॉयज़ एसोसिएशन के महासचिव शिरीष नलगुंडवार ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया है कि ये आंदोलनात्मक कार्यक्रम के चलते हड़ताल की कार्रवाई के कारण सामान्य बैंकिंग सेवाएं प्रभावित होंगी । बैंकिंग जनता से अनुरोध है कि वे इस बात की सराहना करें कि हमारा आंदोलन केवल बैंक शाखाओं में पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध कराने की मांग करने के लिए है ताकि कर्मचारियों द्वारा बेहतर ग्राहक सेवा प्रदान की जा सके। इसलिए हम बड़े पैमाने पर लोगों और विशेष रूप से बैंकिंग जनता से हमारी मांग और आंदोलन को अपना समर्थन देने की अपील करते हैं।

छत्तीसगढ़ बैंक एम्प्लॉयज़ एसोसिएशन के महासचिव शिरीष नलगुंडवार ने आगे बताया है कि देश में बैंकिंग क्षेत्र एक बहुत ही महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोगिता सेवा है, जो बड़ी संख्या में ग्राहकों, खाताधारकों और सामान्य बैंकिंग जनता को सेवा प्रदान करती है। 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद, सुदूर ग्रामीण गांवों सहित देश के सभी हिस्सों में बैंक शाखाएँ खोली गईं। इस शाखा विस्तार के अनुरूप, बैंकों द्वारा कर्मचारियों की भर्ती की जा रही थी। लेकिन हाल के वर्षों में, जबकि बैंकों के ग्राहकों की संख्या कई गुना बढ़ गई है, जबकि कारोबार की कुल मात्रा में भारी वृद्धि हुई है, जबकि इसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों पर काम का बोझ असहनीय रूप से बढ़ गया है, बैंकों में पर्याप्त भर्ती नहीं हुई है। सेवानिवृत्ति, पदोन्नति, मृत्यु आदि से उत्पन्न रिक्तियों को नहीं भरा जा रहा है। व्यवसाय में वृद्धि से निपटने के लिए शाखाओं में अतिरिक्त स्टाफ उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

जारी बयान में महासचिव शिरीष नलगुंडवार ने कहा कि सरकार की अधिक से अधिक योजनाएँ बैंक खातों के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही हैं। वित्तीय समावेशन के नाम पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा 50 करोड़ से अधिक जनधन योजना खाते खोले गए हैं। इन सबके कारण शाखाओं में कर्मचारियों पर काम का बोझ भी बढ़ जाता है। शाखाओं में कर्मचारियों की यह भारी कमी संतोषजनक ग्राहक सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है और कम कर्मचारियों या पर्याप्त कर्मचारियों की कमी के कारण कर्मचारी ग्राहकों को उचित सेवा देने में असमर्थ हैं। इससे अनावश्यक रूप से ग्राहकों के मनमुटाव और शिकायतें उत्पन्न होती हैं।

उन्होंंने कहा कि सरकार और बैंकों की ओर से बैंकों में लिपिकीय और अधीनस्थ संवर्ग में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या कम करने और पर्यवेक्षी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने का एक जानबूझकर प्रयास किया जा रहा है। विचार बिल्कुल स्पष्ट है कि वे कम संख्या में ऐसे श्रमिक चाहते हैं जो औद्योगिक विवाद अधिनियम द्वारा शासित हों। इसी प्रकार हमने यह भी पाया है कि हमारे द्विपक्षीय समझौते के अनुसार वेतन के भुगतान से बचने के लिए बैंकों में नियमित और स्थायी नौकरियों को अनुबंध के आधार पर आउटसोर्स करने का एक नग्न प्रयास किया जा रहा है। इसके कारण, बैंकों में लिपिक कर्मचारियों की भर्ती में साल-दर-साल भारी कमी आई है और अधीनस्थ कर्मचारियों और सफ़ाईकर्मचारी कर्मचारियों की नियुक्ति पर लगभग प्रतिबंध लग गया है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों को उचित पारिश्रमिक के बिना अस्थायी और आकस्मिक आधार पर नियोजित किया जा रहा है।

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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