महिलाओं की भीड़ ने रोक दिया ऑपरेशन; सुरक्षाबलों को छोड़ने पड़े 12 उग्रवादी
मणिपुर, मणिपुर में चल रही हिंसा अभी तक थमी नहीं है। कई जिलों में कर्फ्यू लगा हुआ है। इंटरनेट भी बैन है। सरकार ने शांति बहाली के लिए सोना को मोर्चे पर लगा रखा है। इस बीच राज्य में शनिवार को एक बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला है। सुरक्षाबलों ने कांगलेई यावोल कन्ना लुप के 12 उग्रवादियों को एक गांव में घेर लिया था। तभी महिलाओं के नेतृत्व में 1200 से अधिक लोगों की भीड़ सामने आई गई। भीड़ को देखते हुए सुरक्षाबलों को उन्हें छोड़ना पड़ा। पकड़े गए उग्रवादियों में मोइरांगथेम तम्बा उर्फ उत्तम भी शामिल था। तम्बा 2015 में बटालियन पर हुए हमले का मास्टरमाइंड था। जिसमें 18 जवानों की मौत हुई थी।
बड़ी मात्रा में हथियार जब्त
डिफेंस पीआरओ ने बताया कि सुरक्षा बलों के जवानों ने भीड़ को हटने के लिए अपील की, लेकिन लोग पीछे नहीं हटे। आखिर में उग्रवादियों को छोड़ना पड़ गया। हालांकि सुरक्षाबलों ने बड़ी मात्रा में हथियारों को जब्त कर लिया है।
सीबीआई टीम का रोक दिया था रास्ता
ऐसा पहली बार नहीं जब उग्रवादियों को बचाने के लिए महिलाएं सामने आई है। इससे पहले 22 जून को महिला प्रदर्शनकारियों ने सीबीआई की एक टीम का रास्ता रोक दिया था। सीबीआई टीम हथियारों की लूट की जांच के लिए मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज जा रही थी।
मणिपुर में हिंसा का कारण?
मणिपुर 3 मई से हिंसा झेल रहा है। हिंसा की शुरुआत अनुसूचित जनजाति को दर्जा देने के विरोध में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच झड़प देखने को मिली। देखते ही देखते झड़प ने हिंसा का रूप ले लिया और राज्य में फैल गई।