सातवीं नायिका के रूप में वहीदा को मिला दादा साहेब फाल्के पुरस्कार………….
5 दशक तक फिल्मों में टिका रहना बहुत कम नायक -नायिकाओं के नसीब में आता है। वहीदा रहमान भी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की सशक्त नायिका रही है जिन्होंने ब्लेक एंड व्हाइट से कलरफुल फिल्मों के दौर में अभिनय किया। वह भी ऐसा कि तब के जमाने के हर नायक उनको नायिका बनाना चाहते थे। देवआनंद तो अपने भाई विजय आनंद के विरोध के बावजूद गाइड मे वाहिदा रहमान को नायिका बनाये थे। 1957 में गुरुदत्त की फिल्म “प्यासा” से लेकर 2006 में आई फिल्म “रंग दे बसंती” तक वहीदा रहमान के अभिनय का सफर जारी रहा। वहीदा रहमान ने प्यासा, कागज के फूल, काला बाजार, चौदहवीं का चांद, साहिब बीबी औऱ गुलाम, बीस साल बाद, मुझे जीने दो, कोहरा ,तीसरी कसम जैसे ब्लेक एंड व्हाइट फिल्मों में काम करने के बाद गाइड, राम औऱ श्याम, पत्थर के सनम, आदमी, नीलकमल,ज्वेल थीफ, प्रेम पुजारी जैसे कलरफुल फिल्मों में काम किया।
अपनी दूसरी पारी में वहीदा रहमान, अमिताभ बच्चन की अदालत,कभी-कभी, त्रिशूल, नमक हलाल, महान, कुली फिल्मों में माँ की भी भूमिका निभाई। उनके दीर्घ अभिनय यात्रा के योगदान के चलते वहीदा रहमान सातवी नायिका औऱ नौंवी महिला बनी है जिन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला है। लगातार तीसरे साल नायिकाओं को ये पुरस्कार मिला है। 2020 में आशा पारेख, 2022 में रेखा और अब वहीदा रहमान को ये पुरस्कार मिलना नारी सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ता कदम भी मान सकते है। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की शुरुवात ही नायिकाओं से हुई थी। 1969 में देविका रानी को ये पुरस्कार मिला। कानन देवी, सुलोचना औऱ दुर्गा खोटे, के बाद 42 साल तक नायिकाओं को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार नही मिलना भी आश्चर्य की बात है।
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के 53 विजेताओं में मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और मुकेश का नाम न होना खलता है। इस सूची में शिवाजी गणेशन औऱ रेखा ( पिता – पुत्री की जोड़ी) औऱ पृथ्वीराज कपूर और राजकपूर- शशिकपूर (पिता- पुत्र) विलक्षण संयोग है। जिन लोगो को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला है उनके नाम इस प्रकार है:-
*नायक-
1पृथ्वीराज कपूर(मरणोपरांत),(1971)
2सोहराब मोदी(1979)
3 पी. जयराज(1980)
4 राजकपूर(1987)
5 अशोक कुमार (1988)
6 ए. नागेश्वर राव(1990)
7 दिलीप कुमार( 1994)
8 राजकुमार(दक्षिण)(1995)
9 शिवाजी गणेशन( 1996)
10 देवानंद (2002)
11 सौमित्र चटर्जी( 2011)
12प्राण (2012)
13 शशि कपूर (2014)
14मनोज कुमार( 2015)
15 विनोद खन्ना(2017)
16 अमिताभ बच्चन( 2018)
17 रजनीकांत (2019)
*नायिका
1 देविका रानी (1969)
2 रूबी मेयर्स सुलोचना (1973)
3 काननदेवी (1976)
4 दुर्गा खोटे (1983)
5आशा पारेख (2020)
6 रेखा (2022)
7 वहीदा रहमान (2023)
* निर्देशक
1 बी. नरसिम्हा रेड्डी(1974)
2 धीरेंद्र गांगुली(1975)
3 नितिन बोस(1977)
4 एल .वी. प्रसाद(1982)
5 सत्यजीत रे(1984)
6 शांताराम(1985)
7 बी . जी. पेंढारकर(1991)
8 भूपेन हजारिका
9 बी . आर. चोपड़ा(1998)
10 ऋषिकेश मुखर्जी(1999)
11 यश चोपड़ा(2001)
12मृणाल सेन(2003)
13अदूर गोपाल कृष्णन(2004)
14 ब्रज भूषण चतुर्वेदी(2005)
15 श्याम बेनेगल(2006)
16के. बालाचंदर (2010)
17 के. विश्वनाथ(2016)
*निर्माता
1 वीरेंद्र नाथ सरकार(1970)
2 बी. नागिरेड्डी(1986)
3 डी. रामानायडू(2009)
*गायक
1 मन्ना डे(2007)
* गायिका
1 लता मंगेशकर(1989)
2 आशा भोसले(2000)
गीतकार
1 मजरूह सुल्तानपुरी(1993)
2प्रदीप(1997)
3गुलज़ार(2013)
*संगीतकार
1 पंकज मलिक(1972)
2रामचंद्र बोराल(1978)
3 नौशाद(1981)
फिल्म फोटोग्राफर
1. बी.के. मूर्ति
इस सूची में प्राण ऐसे अनोखे कलाकार है जो खलनायक के रूप में स्थापित रहे थे। मनोज कुमार ने उपकार में उन्हें चरित्र भूमिका में लेकर आये। आगे चलकर वे चरित्र भूमिका में दिखे लेकिन एक खलनायक को उसके अभिनय के बल पर 53 दिग्गजों के बीच जगह मिले, ये सबसे अलग बात है।