राजनीति

खेती के सीजन में चुनाव ने बिगाड़ा राजनीतिक दलों का बजट; शहर से मंहगे दामों में बुलाने पड़ रहे मजदूर

रायपुर,  खेती-किसानी के सीजन में होने वाले विधानसभा चुनाव ने प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों का बजट गड़बड़ा दिया है। दरअसल, गांवों में इन दिनों धान की फसल की कटाई चल रही है। इसके चलते ग्रामीण और यहां के मजदूर व्यस्त हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों को रैली में भीड़ बढ़ाने के लिए शहरों से भी मजदूरों की व्यवस्था करनी पड़ रही है।

गांवों से जहां तीन सौ रुपये में मजदूर मिल जाया करते थे, वहीं शहरी मजदूर पांच से छह सौ रुपये से कम में नहीं मिल रहे हैं। खाना-पीना, नाश्ता, लाने-पहुंचाने के लिए वाहन आदि की व्यवस्था अतिरिक्त करनी पड़ रही है। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से ज्यादातर मजदूर कई पार्टियों की रैलियों में नजर आते हैं। राजधानी में भी नामांकन रैली में लंच पैकेट के साथ महिला श्रमिकों को 200 से 300 रुपये एवं मजदूरों को 400 से 500 रुपये दिये गए।

राजनीतिक दलों की मजदूरों को बुलाने की मजबूरी

राजनीतिक दलों के सामने यह सब जानते हुए भी इन्हें बुलाने की मजबूरी है, क्योंकि रैलियों में शक्ति-प्रदर्शन के लिए अधिक से अधिक भीड़ जुटाना वे जरूरी समझते हैं। पांच साल में एक बार आने वाले चुनावी त्योहार का लाभ इस बार ग्रामीण मजदूर कम उठा पा रहे हैं। आम दिनों में जब खेती-किसानी का काम कम रहता है, ऐसे समय में जब चुनाव होते हैं तो लगभग एक माह तक वे चुनाव प्रचार, रैली, सभा आदि में शामिल होकर अच्छी खासी आमदनी कर लेते हैं, लेकिन इस बार समय उनके अनुकूल नहीं है।

मजदूर उठा रहे हैं फायदा

इसका फायदा शहरी मजदूर उठाने में लगे हुए हैं। वे इस बार एक रैली अथवा सभा में शामिल होने की मजदूरी बढ़ाकर छह सौ रुपये तक ले रहे हैं। वह भी मात्र तीन घंटे के लिए। इसके बाद हर घंटे का सौ रुपया अतिरिक्त ले रहे हैं। गांवों से मजदूर मिल जाने से राजनीतिक दलों का कम खर्च में काम चल जाता था, लेकिन इस बार स्थिति अलग है।

चुनाव के समय श्रमिक नेताओं की बल्ले-बल्ले

चुनाव के समय श्रमिक नेताओं की बल्ले-बल्ले है। वे राजनीतिक दलों से सीधे सौदा कर रहे हैं। इसमें मजदूरों की संख्या और उनकी मजदूरी दोनों पर बात हो रही है। कुछ मजदूरों ने बताया कि उनका मुखिया उन्हें सौ रुपये कम का ही भुगतान करता है, लेकिन वह रोजाना दो-तीन रैलियों और सभाओं की व्यवस्था कर देता है। इसलिए उन्हें कोई एतराज नहीं है।

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