विधानसभा

एग्जिट पोल का मिक्स वेज…………

अंततः तेलंगाना के मतदान खत्म होने के साथ ही  एग्जिट पोल के नतीजे परोसे जा चुके है। इसके अनुसार तेलंगाना और मिजोरम में  सत्तारूढ़ पार्टी के हाथ से सत्ता जाते दिख रही है। एक राज्य में पिछली सरकारें वापस लौटती दिख रही है। दो राज्यो में पेच फंसा हुआ है। अगर एग्जिट पोल को एक्जेक्ट पोल मान लिया जाए तो 5 राज्यो के लिए  हुए विधान सभा चुनाव में सबसे पहले 7 नवंबर को मिजोरम के 40 सीटों के लिए मतदान हुए थे।

एग्जिट पोल के अनुसार  वर्तमान मुख्यमंत्री की सरकार बुरी तरह पराजित होते दिख रही है।  6 माह पहले  रजिस्टर्ड हुई पार्टी जेडपीएम को दो तिहाई से ज्यादा सीट मिलते दिख रही है।  मिजोरम में पूर्व में हुए स्थानीय चुनाव से विधान सभा के नतीजों का रुझान दिखना शुरू हो गया था।  जेडपीएम की सफलता बता रही है कि इस नतीजे का प्रभाव आसपास के  छोटे छोटे राज्यों के आगामी चुनाव में पड़ेगा।  5राज्यो के लिए अंतिम मतदान 30नवंबर को तेलंगाना के विधानसभा के लिए हुआ।एग्जिट पोल के अनुसार केसीआर की पार्टी पिछड़ रही है।यदि तेलंगाना में कांग्रेस की वापसी होती है तो कर्नाटक के डी शिव कुमार की रणनीति का लोहा मानना पड़ेगा।एग्जिट पोल के अनुसार कांग्रेस को और केसीआर की तुलना में ज्यादा सीट मिलने का अनुमान है। केसीआर की हार से उनके क्षेत्रीय पार्टी  के गठबंधन संबंधी योजना को ठेस पहुंचने की भी संभावना है।

  तीन राज्यो में केवल  शिवराज सिंह चौहान की पार्टी भारी  बहुमत से वापस आते दिख रही है जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़  में कांटे की टक्कर है।   महिलाओ को अपनी तरफ लाने में भाजपा  ज्यादा योजनाबद्ध दिखी।कांग्रेस शासित दो राज्यो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में न्यूनतम और अधिकतम सीट पाने के अनुमान और एग्जिट पोल में 7%की गलती की संभावना को देखे तो कांटा फंसा हुआ दिखता है राजस्थान में  कांग्रेस को अधिकतम 106सीट मिलते दिख रही है जो बहुमत के 100सीट से 6सीट अधिक है।यदि 7फीसदी तकनीकी त्रुटि का अंतर दिखता है तो गिरी से गिरी हालत में 99के फेर में आ जाएगी। भाजपा को 80से 100सीट की संभावना एग्जिट पोल में दिखाया गया है। 7फीसदी के त्रुटि को मान लेते हैं  तो भी भाजपा 87से ऊपर नही  आ पाएगी। दोनो ही परिस्थितियो अशोक गहलोत  के अलावा राज्यपाल  के पास किसी अन्य को बहुमत दिखाने वाली पार्टी के रूप में आमंत्रित करने की विवशता होगी। राजस्थान में 9से18 अन्य पार्टी सहित निर्दलीय की जीतने की संभावना है। अगर स्पष्ट बहुमत नही मिलता है तो भी अशोक गहलोत तीन दशक के मिथक “क सत्तारूढ़ पार्टी की वापसी नही होतीहै” को तोड़ते दिख रहे है। अशोक गहलोत ने 2018के चुनाव की तुलना में इस बार खुद को और भी कद्दावर बना लिया है।वे जादूगर है इसे स्वीकारना होगा।

 छत्तीसगढ़ में 2018 का चुनाव भूपेश बघेल के पार्टी अध्यक्ष के रूप में लड़ा गया चुनाव था। भाजपा के किसानों के प्रति बोनस की वादा खिलाफी और समर्थन मूल्य से अधिक 2500 रुपए के वादे ने कांग्रेस को 65 सीट पर स्थापित किया था। आगे के उपचुनाव में जीत के क्रम ने कांग्रेस को 68 सीट पर खड़ा कर दिया था। एग्जिट पोल में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अधिकतम 50 सीट पर दिख रही है। पिछले चुनाव में 15 सीट पर सिमटी भाजपा को  एक्जिट पोल में 40 से 50 सीट का अनुमान दिखा रहा है । 7फीसदी त्रुटि को  देखे तो 44सीट पर अटकते दिख रही है। जो बहुमत के आंकड़े से 2सीट कम दिख रही है। ऐसी स्थिति में भी संभावित  अन्य 4 की विजय नया समीकरण बना सकती है। कांग्रेस को अधिकतम 50से 7फीसदी कम सीट मिलने की स्थिति में भी सरकार बनाने के लिए जरूरी 46 सीट से एक अधिक 47सीट मिलते दिख रही हैं।

 एग्जिट पोल को देखे तो भाजपा  को 2018के चुनाव की तुलना में चार राज्यों में सीट का इजाफा हो रहा है। ये इजाफा लोकसभा चुनाव की दृष्टि से भाजपा के लिए सुखद है वही कांग्रेस के लिए  तेलंगाना मिलना राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे के लिए सुकुनदायक होगा। अपने राज्य कर्नाटक के अलावा तेलंगाना मिलना दक्षिण में कांग्रेस के शक्तिशाली होने का संकेत है।अनुमान केवल अनुमान होता है ये बात इसलिए जरूरी है  क्योंकि मतदाता होशियार है । उसका सच वही जानता है । फिर भी आज और कल बहस के लिए मुद्दा तो मिल चुका है। अब कौन जीत रहे है कौन हार रहे है । इस पर विमर्श होना तय है।

स्तंभकार -संजय दुबे

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