राजनीति

Politics; छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की खींचतान के बीच लोकसभा चुनाव की तैयारियां बनी चुनौति ; आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज

रायपुर, छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में रार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। नेता गुटों में बंटे हुए हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज होता जा रहा है। कुनबे में कलह की किचकिच दिल्ली तक पहुंच गई है। कई पूर्व विधायक दिल्ली में डेरा डालकर पार्टी आलाकमान से मुलाकात की अपेक्षा करने के बाद प्रदेश वापस लौट आए हैं।

कांग्रेस के लिए यह स्थिति लोकसभा चुनाव के लिहाज से चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। चुनौती इसलिए क्योंकि विधानसभा चुनाव में हार के लिए निचले स्तर के पदाधिकारियों ने कई बड़े पदाधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। हाल ही में नई दिल्ली में कांग्रेस के नाराज 12 पूर्व विधायकों के प्रतिनिधिमंडल ने पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की थी।

इस मुलाकात में पूर्व विधायकों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उन बड़े पदाधिकारियों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है, जिन्होंने 2018 के चुनाव में विधायक बने 22 विधायकों की टिकट काटी थी व कुछ विधायकों की सीटें बदली थीं।

जो कहना था कह दिया- बृहस्पत सिंह

बलरामपुर से कांग्रेस के पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह ने नई दिल्ली से लौटने के बाद कहा कि जो कहना था वो कह दिया अब और कुछ नहीं कहना है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के सामने अपनी बात रखी दी है। अपना पक्ष हाइकमान के समक्ष रख दिया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी सच बोलने वालों पर कार्रवाई कर रही है।

22 पूर्व विधायकों से होगी पूछताछ

नई दिल्ली गए 12 पूर्व विधायकों का प्रतिनिधिंडल लौटने लगा है। उनकी मुलाकात नई दिल्ली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से नहीं हो पाई है, वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से भी मुलाकात का समय नहीं मिल पाया। पूर्व कांग्रेस विधायकों के मुताबिक जिन 22 विधायकों की टिकट काटी गई थी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उनसे एक-एक करके मुलाकात करने का वादा किया है। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि कई विधायकों की टिकट जानबूझकर काटी गई। उनसे उनका पक्ष सुना जाएगा।

लोकसभा चुनाव के पहले अंर्तकलह से निपटने की तैयारी

छत्तीसगढ़ का रण हारने के बाद कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व सक्ती विधायक डा.चरणदास महंत को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है। महंत का स्वभाव सहज-सहज नेता के रूप में जाना जाता है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में सांमजस्य की जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही नेता प्रतिपक्ष पर होगी। नेता प्रतिपक्ष घोषित होने के बाद महंत ने मीडिया में चर्चा के दौरान कहा है कि उनकी छवि भले शांत नेता के रूप में रही है, लेकिन जहां जरूरत पड़ेगी, वहां वह सरकार से सवाल करेंगे और जनता से जुड़े मुद्दे उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।

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