5 साल बाद एनएमडीसी ने अडानी समूह से लौह अयस्क खनन का समझौता किया रद्द
रायपुर, एनएमडीसी द्वारा अडानी समूह के साथ हुए लौह खनन संबंधी समझौते का अनुबंध रद्द कर दिया है। अडानी समूह के साथ किए गये समझौते/ ऐग्रीमेंट के कारण व्यापक जनविरोध हुआ था, जिस कारण क़ानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इस कारण डिपोजिट-१३ लौह अयस्क खदान जिसका उत्पादन ३ साल पूर्व प्रारंभ हो जाना था।इस खदान के प्रारंभ होने से राज्य सरकार और सीएमडीसी को लगभग ३००० करोड़ का राजस्व प्रति वर्ष मिलेगा।
नवीन खनन नीति के लागू होने माइनिंग लीज जारी के ५ वर्ष के भीतर उत्पादन प्रारंभ नहीं होने से खदान निरस्त हो जाएगी जिससे एनसीएल जो कि एनएमडीसी( केंद्र सरकार की उपक्रम) और सीएमडीसी( राज्य सरकार का उपक्रम) की जॉइंट वेंचर कंपनी है,को दीर्घक़ालीन वित्तीय नुक़सान होता। अड़ानी समूह के साथ एग्रीमेंट व्यावहारिक रूप से लागू करना संभव ना होने तथा एनसीएल के हितों को ध्यान में रखते एनसीएल की बोर्ड ने इस करार को ख़त्म करने का निर्णय लिया गया।
एनएमडीसी के अधिकारियों ने बताया कि अडानी समूह द्वारा लौह अयस्क खनन संबंधी समझौते में नियमों और शर्ताें का उल्लंघन किया जा रहा था। इस संबंध में अडानी समूह को 11 जुलाई 2023 को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था कि क्यों ना समझौता रद्द कर दिया जाए। अडानी समूह द्वारा इस संबंध में 22 जुलाई 2023 को जवाब प्रस्तुत किया, जो असंतोषजनक और गैर जिम्मेदाराना था। अडानी समूह ने अपनी खनन संबंधी जिम्मेदारी के संबंध में चुप्पी साध ली गई। इतना ही नहीं अडानी समूह द्वारा लौह अयस्क खनन संबंधी विफलताओं और जवाबदारी एनएमडीसी-सीएमडीसी लिमिटेड (एनसीएल) पर थोप दी गई। अडानी समूह से लौह अयस्क खनन संबंधी समझौता के उल्लंघन किए जाने पर विस्तृत जांच की गई। इन सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श कर सक्षम अधिकारी ने लौह अयस्क खनन सेवा समझौते को समाप्त करने का फैसला लिया। गौरतलब है कि एनएमडीसी और अडानी समूह के बीच यह समझौता 06 दिसम्बर 2018 को किया गया था।