विलक्षण प्रतिभा ‘‘मिमिक्री‘‘ कला आज अपराध के दायरे में क्यों ?
देश के पुरातन समय में राज दरबार में भांड़ एवं हास्य कवि होते थे। उनके विलक्षण हास्यकलाओं से राजदबारियों का मनोरंजन के साथ-साथ शासन की कमियां की जानकारी मिलती थी। वर्तमान समय में देश के निर्वाचित सांसदों द्वारा सदन में जनता से जुड़े समस्याओं के प्रश्नों से सरकार का मुंह चुराना एवं तिलमिलाते हुए सांसदों को सदन से निलम्बित कर देश के लोकतंत्र को तालों में बंद रखा गया है।
वर्तमान समय में देश में तानाशाही एवं मनमर्जी का शासन काल चल रहा है। सरकार से देश की समस्या एवं आर्थिक नीति पर सवाल पूछने पर आजाद भारत के 141 सांसदों का निलम्बन सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रित भारत देश को शर्मसार होना पड़ रहा है। सरकार के तानाशाही के विरूद्ध, विरोध की नई शुरूवात ‘‘मिमिक्री’’ के माध्यम से प्रदर्शित होने पर सरकार मिमिक्री को अभिव्यक्ति की आजादी से अलग रखकर व्यक्ति-अपमान की श्रेणी में रखना अलोकतांत्रिक माना जा सकता है।
19 दिसम्बर 2023 को चल रहे शीतकालीन शत्र में 141 सांसदों को एक साथ निलम्बित किया गया है। इन सांसदों का एक ही मांग थी की 13 दिसम्बर को संसद में सुरक्षा व्यवस्था चूक की वजह से संसद भवन में युवकों का प्रवेश पर गृह मंत्री से जवाब की मांग की जा रही थी। इन युवकों का प्रवेश हेतु निर्धारित फार्म में सत्ता पक्ष के कर्नाटक सांसद द्वारा अभिप्रमाणित को लेकर, विपक्षी सांसदों ने विवादित सांसद के निलम्बन की मांग की है। इस विषय को लेकर संसद में लगातार सभापति द्वारा विपक्षी सांसदों को संसद की मर्यादा का दुहाई देते हुए अनुशासित रहने के लिए कहा जा रहा है। मगर विपक्षी सांसदों के सवालों से सरकार चुप है। किन्तु सभापति महोदय द्वारा 141 सांसदों को संसद से बाहर कर दिया गया है।
यद्यपि सभापति महोदय निष्पक्ष न होकर सत्तापक्ष की भाषा में संलिप्त होकर तानाशाही के जरिेये लोकतंत्र का अपमान किये है। परिणामस्वरूप सभी 141 सांसद संसंद के बाहर तानाशाही के विरूद्ध मिमिक्री के जरिये अपना विरोध लोकतांत्रिक तरिके से दर्ज किये है। मिमिक्री एक हास्य कला एवं अनुकरण कला के जरिये अभिव्यक्त किया जा सकता है। किन्तु सरकार द्वारा मिमिक्री को व्यक्तिगत अपमान माना जा रहा है एवं इसे पुरे देश भर में विरोध प्रदर्शन एवं पुतला दहन का कार्यक्रम करते हुए, देश के समस्त विपक्षी सासंदो को दोषी माना गया है।
‘‘मिमिक्री’’ एक विलक्षण प्रतिभा है। यह मानव के व्यकित्व एवं विशेष गुणों का नकल या अनुसरण को हास्य कला में प्रदर्शन कर, तनाव ग्रसित मस्तिष्क एवं उदास मन को गुदगुदाने की विशिष्ट कला को ही ‘‘मिमिक्री’’ माना गया है। राजनेताओं की ‘‘मिमिक्री’’ बहुत पहले से होता आ रहा है। बिहार के प्रखर नेता लालू जी का व्यक्तिव एवं उनके विशेष गुणों का ‘‘मिमिक्री’’ शेखर सुमन द्वारा किया गया है। जिससे लालू जी एवं स्वयं शेखर सुमन देश भर में विख्यात हुये है।
आपात काल के समय जबलपुर निवासी के.के. नायकर ने ‘‘इंदिरा गांधी’’ की आवाज नकल करते हुए प्रसिद्धी पाया एवं इसके साथ ही टी.वी.लाफ्टर शो में श्याम रंगीला द्वारा नोटबंदी एवं बढ़ते पेट्रोल की कीमतों पर ‘‘मिमिक्री’’ करते हुए ख्याति पाई गई है। इसके अतिरिक्त हस्य कवि सरल समपत ने प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा पर लिखि पंक्ति ‘‘भारत का प्रधानमंत्री आज भारत लौटेगें’’ इस पर विख्यात हुये है। किन्तु आज तक इस पर किसी ने आपत्ति दर्ज नही किया है।
अफसोस है कि सत्ता पक्ष के मुखिया द्वारा भरे सांसद में विपक्षी सांसदों का ‘‘मिमिक्री’’ को उपयुक्त मना जाता है। वही दूसरी तरफ विपक्षी सांसदों द्वारा सभापति का ‘‘मिमिक्री’’ को व्यक्तिगत अपमान क्यों मना जा रहा है। 141 विपक्षी सांसदो को सांसद से बाहर करके सरकार द्वारा बगैर विपक्षी सांसदो की उपस्थिति में अपनी सुविधा अनुसार काले कानून को पारित करना एवं प्रमुख विपक्षी सांसद का ‘‘भारत जोड़ो के राहगीर’’ को अपमानित करना भी राष्ट्रवाद का परिभाषा बन गया है।
इंजी. तपन चक्रवर्ती