मनु भाकर के आगे फीकी हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस, बला की खूबसूरत हैं भारतीय निशानेबाज…..
पेरिस ओलंपिक 2024 में मनु भाकर ने इतिहास रच दिया। वह एक ही ओलंपिक में 2 मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बनी। शनिवार को उनके पास मेडल की हैट्रिक लगाने का मौका था। हालांकि, वह इससे चूक गईं। 25 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में मनु चौथे स्थान पर रहीं। अगर मनु ये मेडल जीत जातीं तो ये उनका इन्हीं खेलों में तीसरा मेडल होता और वह एक ही ओलंपिक में तीन मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बन जातीं।
खेल जगत की बड़ी उपलब्धियों पर हमेशा से हिंदी सिनेमा के फिल्ममेकर्स पैनी नजर रखते हैं। जब बात ओलंपिक की होती है तो निर्माताओं के लिए कंटेंट की भरमार हो जाती है। इस वक्त भारतीय निशानेबाज मनु भाकर की कहानी पर कोई न कोई फिल्ममेकर मूवी बनाने की प्लानिंग में लगा हुआ होगा। वैसे बला की खूबसूरत हैं भारतीय निशानेबाज मनु भाकर। उनके आगे बॉलीवुड एक्ट्रेस भी फीकी हैं।
बहरहाल खेल विषयों पर मेरे लेखन के दौरान मैंने अनेक युवा खिलाड़ियों में संभावना देखा । मुझे लगता था कि ये खिलाड़ी देर सबेर अपने शानदार प्रदर्शन से खुद का नाम तो रोशन करेंगे। देश भी इनके प्रदर्शन से गौरवान्वित होगा। एक नन्ही खिलाड़ी भी थी- मनु भाकर राष्ट्रमंडल खेल 2018में वे स्टार शूटर बन कर सामने आई थी जब उन्होंने 10मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्णिम निशाना साधा था। महज सोलह साल की उम्र में मनु ने अपने प्रदर्शन से ये उम्मीद जता तो दिया था कि वे भविष्य की खिलाड़ी है, प्रतिभा से भरपूर।
इसका कारण भी था के 2017 में 15 साल की उम्र में केरल राष्ट्रीय खेल में एक के बाद एक नौ गोल्ड मेडल जीती थी। युवा ओलंपिक 2018 में अंतराष्ट्रीय शूटिंग स्पर्धा में दो गोल्ड मेडल जीत कर अपने प्रतिभा का लोहा मनवाया था।
उनका अगला एशियाई खेलों और ओलंपिक में प्रदर्शन अपेक्षा अनुरूप नहीं रहा लेकिन इस साल के पेरिस ओलंपिक में उनसे उम्मीद थी और उन्होंने 142करोड़ भारतीयों को निराश नहीं किया। वे भारत की पहली महिला शूटर है जिन्होंने शूटिंग में पदक जीतने की ही नहीं बल्कि भारत को पहला पदक दिलाया है। उनके जीत से ही देश भर में उल्लास का माहौल बन गया । अभी मनु को एक और स्पर्धा में भाग लेना है उम्मीद की जा रही है कि वे एक ओलंपिक खेल में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनेंगी। इस जश्न को देखना बाकी है।
पेरिस ओलंपिक खेल देर सबेर खत्म हो जाएगा, पर याद रहेगा 10 मीटर पिस्टल महिला स्पर्धा और एक लड़की जो पिछले ओलंपिक खेल में पिस्टल खराब होने के कारण फाइनल में नहीं पहुंची थी लेकिन इस बार फाइनल में भी पहुंची और दुनियां को दिखा दिया कि भले ही पदक का रंग कुछ भी हो लेकिन पेरिस ओलंपिक में वे पहली भारतीय महिला है जिन्होंने भारत को विक्ट्री स्टैंड पर खड़ा कर दिया।
मनु भाखर नाम है, इस प्रतिभाशाली शूटर का जिसने अपना नाम वैसे ही लिखवाया जैसे करणम मल्लेश्वरी ने वेट लिफ्टिंग में लिखवाया,जैसे साइना नेहवाल ने बैडमिंटन में लिखवाया जैसे साक्षी मलिक ने कुश्ती और मेरी कॉम ने मुक्केबाजीमे लिखवाया। ये सभी महिलाएं अपने अपने खेल में भारत को पहला पदक दिलवाई है। अब जब भी प्रथम भारतीय महिला शूटिंग विजेता का प्रश्न उठेगा, उत्तर में मनु भाखर ही होंगी।
मनु जब किशोरावस्था में थी करीब 11- 12साल की,तब जूडो, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, जैसे खेलो में भटकती थी। एक को पकड़ा तो दूसरे को छोड़ा। एक बार मेले में गई तो गुब्बारे को एयर पिस्टल से फोड़ते देखी तो वहां खड़ी होकर निशाना साधा। शुक्र है उस गुब्बारे वाले का जिसने देश को एक ऐसी बेटी दिया जो मेले से निकल कर अंतराष्ट्रीय शूटिंग स्पर्धा में देश के एक सौ बयालीस करोड़ लोगो को गौरवान्वित कर दी।
10 मीटर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में दस देश के खिलाड़ी प्रवेश करते है और उनमें से केवल तीन ही विक्ट्री स्टैंड में खड़े हो पाते है। मनु भले ही गोल्ड मेडल नही जीत सकी लेकिन ये आज आप भी लिख कर रख ले कि मनु का भविष्य स्वर्णिम है। भले ही एकात ओलंपिक खेलों का इंतजार क्यों न करना पड़े मनु अभिनव बिंद्रा के समान ही देश का राष्ट्रीय गान ओलंपिक खेलों में गायेगी भी गवाएगी भी। पिछले दस सालो में मनु ने जिस स्पर्धा में भाग ली है चाहे वह जूनियर हो या सीनियर विश्व स्तरीय स्पर्धा हो गोल्ड पर ही निशाना साधा है। ऐसे में भविष्य कैसे स्वर्णिम नही होगा?
आज देश के सारे प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में केवल और केवल मनु भाखर ही है। उनके किस्से है लेकिन इन सबसे बेखबर मनु भाखर अगले स्पर्धा के लिए तैयार हो रही है। स्वर्णिम निशाने के लिए, देश उत्सुक है केवल ये देखने के लिए मनु इतिहास रचने वाली है। 1928से भारत ओलंपिक खेलों में भाग ले रहा है लेकिन किसी भी खिलाड़ी ने अब तक एक ही ओलंपिक में दो पदक नही जीते है। दो अलग अलग ओलंपिक खेलों में सुशील कुमार और पी वी सिंधु ने दो दो पदक जीते है। तैयार रहिए, दिल थाम कर बैठिए, वही पे निशाना लगने वाला है जहां पर निगाहे लगी है।
स्तंभकार-संजयदुबे