
भोपाल, इंदौर हाईकोर्ट ने वैवाहिक जीवन में मानसिक क्रूरता की परिभाषा को लेकर एक अहम मिसाल पेश की है. हाल ही में सुनाए गए एक तलाक के मामले में, न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की खंडपीठ ने कहा कि पत्नी को उसकी पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर करना मानसिक क्रूरता के दायरे में आता है और यह तलाक का आधार हो सकता है.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि किसी महिला को जबरन पढ़ाई छोड़ने के लिए बाध्य करना या ऐसा माहौल बनाना जिससे वह अपनी शिक्षा जारी न रख सके, उसके सपनों को कुचलने के समान है. साथ ही, यदि पति खुद अनपढ़ रहकर पत्नी को भी शिक्षा से दूर रखने का प्रयास करता है, तो यह मानसिक प्रताड़ना मानी जाएगी और तलाक का वैध कारण बन सकता है.
शादी के बाद पढ़ाई रोकी
यह मामला शाजापुर जिले की रहने वाली भूरी का है, जिसने 1 मई 2015 को भीम नामक व्यक्ति से शादी की थी. शादी के समय वह 12वीं कक्षा में थी और आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी. उसके ससुराल वाले भी शुरू में इसके लिए सहमत थे. लेकिन 16 जुलाई 2016 को गौना होने के बाद, जब उसे ससुराल लाया गया, तो यह वादा किया गया कि दो दिन बाद उसे मायके भेज दिया जाएगा ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके.
लेकिन वादे के विपरीत, ससुराल वालों ने उसे घर जाने से रोक दिया और उसकी पढ़ाई बंद करवा दी. इसके अलावा, उस पर दहेज के लिए भी दबाव बनाया जाने लगा. ससुराल पक्ष का कहना था कि लड़की के परिवार ने शादी में ₹1 लाख कम दिए और बाइक भी नहीं दी. इस मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना के चलते, भूरी के पिता ने पुलिस की मदद से 27 जुलाई 2016 को उसे वापस अपने घर बुला लिया.
निचली अदालत में खारिज हुई याचिका
इसके बाद भूरी ने शाजापुर की अदालत में तलाक की अर्जी दायर की. जवाब में, उसके पति ने वैवाहिक संबंध बहाल करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की. निचली अदालत ने यह कहते हुए पति की याचिका को स्वीकार कर लिया कि उसके खिलाफ प्रताड़ना के पर्याप्त सबूत नहीं हैं और पत्नी ने बिना ठोस आधार के उसे छोड़ दिया.
हालांकि, भूरी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कई नए तथ्य सामने आए. यह पाया गया कि मायके लौटने के बाद भूरी ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी. इसके अलावा, निचली अदालत में दिए गए पति के बयान में यह स्पष्ट था कि उसने अपनी पत्नी को पढ़ाई करने से मना किया था. इस सबूत को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट ने भूरी को तलाक की मंजूरी दे दी.
मानसिक क्रूरता साबित करना मुश्किल, लेकिन यह मामला अलग
इस फैसले में हाईकोर्ट ने मानसिक प्रताड़ना के कानूनी पहलू पर भी चर्चा की. अदालत ने कहा कि जहां शारीरिक प्रताड़ना को सबूतों के आधार पर आसानी से साबित किया जा सकता है, वहीं मानसिक क्रूरता को साबित करना अधिक चुनौतीपूर्ण होता है. हालांकि, इस मामले में पति के स्वयं के बयान ही यह साबित करने के लिए पर्याप्त थे कि उसने अपनी पत्नी के साथ मानसिक प्रताड़ना की थी. हाईकोर्ट के इस फैसले को वैवाहिक विवादों में एक महत्वपूर्ण उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है, जो महिलाओं के शिक्षा के अधिकार को भी मजबूत करता है.