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POLITICS; छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

राजनीति

  रवि भोई

क्या भारतमाला घोटाला सीबीआई के सुपुर्द होगा ?

राज्य की जाँच एजेंसी ईओडब्ल्यू ने पिछले दिनों भारतमाला घोटाले में शामिल लोगों के यहां छापा मार कर उन्हें बेनकाब करने का सराहनीय काम किया, फिर भी इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग रह-रहकर उठ रही है। नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत अब भी मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं। डॉ महंत ने विधानसभा में भी भारतमाला घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की आवाज उठाई थी। बताते हैं एक तो भारतमाला परियोजना में भारत सरकार का पैसा लगा है, दूसरा यह 40-50 करोड़ रूपए का घोटाला नहीं है, बल्कि 300 से 400 करोड़ रूपए का घोटाला है। एकड़ों जमीन को वर्गफुट में बांटकर मुआवजा लेने के इस घोटाले में बड़े -बड़े लोगों के शामिल होने की चर्चा सामने आ रही है। ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में शामिल अफसरों -कर्मचारियों ,भूमाफिया और जमीन दलालों को निशाने पर तो लिया है। बताते हैं इस घोटाले में एक बैंक के अफसरों की भूमिका भी है। भारत सरकार के पैसे के दुरूपयोग से मामला जुड़ा होने के कारण अब ईओडब्ल्यू किस तरह से कितना जाँच करती है, यह बड़ा सवाल है। राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद कई मामले सीबीआई को ट्रांसफर हुए हैं, इस कारण इस मामले को भी सीबीआई के सुपुर्द करने की मांग उठ रही है।

समय-समय की बात

साय सरकार के शुरूआती दिनों में उनके एक मंत्री को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता था। बताते हैं आजकल उनकी जगह एक दूसरे मंत्री जी ने ले लिया है। आजकल अमित शाह के करीबी बन गए मंत्री जी बिना निमंत्रित होते हुए पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री की बैठक में मौजूद नजर आए, तो वहीं शुरूआती दिनों में अमित शाह के करीबी रहे मंत्री जी के सामने अब अपने अस्तित्व का सवाल खड़ा हो गया। मंत्रिमंडल के संभावित फेरबदल में मंत्री जी के विभाग बदलने की चर्चा है। मंत्री जी के पास अभी बड़े पावरफुल विभाग हैं। कहते हैं कि मंत्री जी अपने विभागों को बनाए रखने के लिए पिछले दिनों कुछ भाजपा नेताओं के दरबार में चक्कर भी लगा आए। खबर है कि एक नेताजी ने तो मंत्रियों के विभाग आबंटन को मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया, दूसरे से उन्हें कुछ आश्वासन नहीं मिला और वे मायूस होकर लौट आए। इसे कहते हैं समय-समय की बात। अब देखते हैं आगे क्या होता है ?

कब होगी मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति

मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए सचिवों की समिति ने 26 मार्च को दावेदारों के इंटरव्यू लिए थे। तकरीबन एक माह बीत जाने के बाद भी मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति को लेकर कोई खास हलचल नहीं दिखाई दे रही है। नए मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में 16 अप्रैल को समिति की बैठक होनी थी, पर वह टल गई, उसके बाद अभी तक नई तिथि नहीं आई है। सीआईसी चयन के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति में नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत और मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल हैं। नए सीआईसी के लिए वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन और रिटायर्ड डीजीपी अशोक जुनेजा प्रबल दावेदार बताए जाते हैं। अमिताभ जैन इस साल जून में रिटायर्ड होने वाले हैं, उसके पहले कहीं नियुक्ति में लगे हैं। अब देखते हैं क्या होता है?

तीन महिला अफसरों से परेशान मंत्री-नेता

कहते हैं राज्य की तीन महिला अफसरों ने मंत्री और नेताओं की हवा टाइट कर दी है। बताते हैं तीनों महिला अफसरों का नाम सुनते ही मंत्री -नेताओं के पसीने छूटने लगते हैं। चर्चा है कि एक मंत्री ने अपने विभाग के कुछ आला अफसरों के ट्रांसफर का प्रस्ताव महिला अफसर को भेजा। महिला अफसर विभाग की प्रशासनिक मुखिया हैं। खबर है कि महिला अफसर ने मंत्री जी के उलट ट्रांसफर प्रस्ताव समन्वय को भेज दिया और मुख्यमंत्री सचिवालय को ताकीद भी कर दिया कि उनके प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली तो आदेश जारी नहीं होंगे। बताते हैं इस शर्त के कारण ट्रांसफर प्रस्ताव महीनों से लंबित पड़ा है। चर्चा है कि एक मंत्री जी एक अफसर को निलंबित नहीं करना चाहते थे, पर महिला अफसर ने अफसर को सस्पेंड कर दिया और मंत्री जी मन मसोस कर रह गए।

अंबलगन और अलरमेलमंगई के भारत सरकार में जाने की चर्चा

चर्चा है कि 2004 बैच के आईएएस अंबलगन पी. और अलरमेल मंगई डी. जल्द भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। कहा जा रहा है कि दोनों अफसरों का भारत सरकार में संयुक्त सचिव के रूप में इंपैनल हो चुका है। दोनों पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं। अंबलगन पी. अभी छत्तीसगढ़ सरकार में सचिव खाद्य और संस्कृति व पर्यटन तथा धार्मिक-धर्मस्व हैं। अलरमेल मंगई डी. सचिव श्रम के साथ श्रम आयुक्त हैं। इसी महीने 2004 बैच के आईएएस प्रसन्ना आर को गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव बनाया गया है। 2004 बैच की आईएएस संगीता पी. पहले से ही प्रतिनियुक्ति पर हैं। 2004 बैच के आईएएस अमित कटारिया कुछ महीने पहले भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति से लौटे हैं। राज्य सरकार ने उन्हें स्वास्थ्य सचिव बनाया है।

दिल पसीजा

कहते हैं कांग्रेस राज में नियुक्त राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेंद्रसिंह छाबड़ा अप्रैल के अंत तक पद छोड़ देंगे। वैसे तो हाईकोर्ट से स्टे के आधार पर वे नवंबर 2025 तक पद पर बने रह सकते हैं। कांग्रेस राज में नियुक्त करीब एक दर्जन आयोगों में कोर्ट से स्टे के आधार पर कार्यरत हैं और कार्यकाल पूरा होते तक रह सकते हैं। भाजपा सरकार ने राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म नहीं हुआ था और वहां अमरजीत सिंह छाबड़ा को अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। बताते हैं एक ही वर्ग के होने के कारण बड़ा दिल दिखाते हुए महेंद्रसिंह छाबड़ा ने पद छोड़ने का मन बना लिया है। महेंद्रसिंह छाबड़ा के पद छोड़ने के बाद अमरजीत सिंह छाबड़ा के राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ़ हो जाएगा।

केंद्र सरकार में लटका परमानेंट डीजीपी का मामला

कहते हैं छत्तीसगढ़ के परमानेंट डीजीपी का मामला केंद्र सरकार में लटक गया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने परमानेंट डीजीपी के लिए अफसरों का पैनल यूपीएससी को भेज दिया है। बताते हैं यूपीएससी ने जल्दी से जल्दी पैनल माँगा था। राज्य से पैनल तो गया ,पर फैसला लटक गया। कहते हैं फिलहाल भारत सरकार जिस तरह दूसरे मुद्दों में व्यस्त हो गई है, उससे लगता नहीं कि छत्तीसगढ़ के परमानेंट डीजीपी का फैसला जल्दी होगा। कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार स्थायी डीजीपी के लिए अरुणदेव गौतम,पवनदेव, हिमांशु गुप्ता और जीपी सिंह का नाम यूपीएससी को भेजा है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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