DEATH; नहीं रहे सहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल, 88 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, पीएम मोदी ने जताया शोक

रायपुर, लंबे समय से बीमार चल रहे साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है. विनोद कुमार शुक्ल काफी समय से रायपुर एम्स में भर्ती थे.आज हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार कविता, कहानी और उपन्यास के माध्यम से भाषा को नई संवेदना और सहज सौंदर्य देने वाले विनोद कुमार शुक्ल नहीं रहे. उनके निधन की खबर के बाद से ही साहित्य प्रेमियों में गहरा शोक छाया हुआ है. विनोद कुमार शुक्ल को साल 2024 में दीर्घकालीन और विशिष्ट साहित्यिक योगदान के लिए 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था. छत्तीसगढ़ से जुड़े विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के 12वें साहित्यकार हैं, जिन्हें यह सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान प्राप्त हुआ है.
ऐसे बने शुक्ल सहित्य जगत के महान साहित्यकार
विनोद कुमार शुक्ल की पहचान उस रचनात्मक भाषा से है, जिसमें अचरज, मानवीय संवेदना और सामाजिक सरोकार बिना किसी बोझ के साथ चलते हैं. उनके अब तक दस कविता-संग्रह, छह कहानी-संग्रह और छह उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. बाल और किशोर साहित्य में भी उन्होंने महत्वपूर्ण लेखन किया है. उनकी रचनाओं का संसार की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हुआ है. रंगमंच और सिनेमा में भी उनका रचनात्मक हस्तक्षेप सराहा गया है. ‘नौकर की कमीज’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘खिलेगा तो देखेंगे’ जैसे उपन्यासों ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई है. ‘केवल जड़ें हैं’ उनका नवीनतम कविता-संग्रह है.

वरिष्ठ साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर पीएम मोदी ने शोक जताया है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति.”
सीएम विष्णु देव साय ने शोक व्यक्त किया
साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने भी शोक जताया है. सीएम ने एक्स पर लिखा, “महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल जी का निधन एक बड़ी क्षति है. नौकर की कमीज, दीवार में एक खिड़की रहती थी जैसी चर्चित कृतियों से साधारण जीवन को गरिमा देने वाले विनोद जी छत्तीसगढ़ के गौरव के रूप में हमेशा हम सबके हृदय में विद्यमान रहेंगे. संवेदनाओं से परिपूर्ण उनकी रचनाएँ पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी. उनके परिजन एवं पाठकों-प्रशंसकों को हार्दिक संवेदना. ॐ शान्ति…”
विनोद कुमार शुक्ल का जीवन लोगों के लिए प्रेरणादायक
विनोद कुमार शुक्ल का जीवन सफर हमेशा ही लोगों को प्रेरित करने वाला रहा. विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में हुआ था. उन्होंने जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ली. शुक्ल ने कई कविताओं, कहानी और उपन्यास की रचनाएं की हैं. लगभग जयहिन्द, सब कुछ होना बचा रहेगा, अतिरिक्त नहीं, कविता से लम्बी कविता,कभी के बाद अभी, नौकर की क़मीज़, दीवार में एक खिड़की रहती थी उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं.
उनकी रचना ‘नौकर की कमीज’ उपन्यास पर फ़िल्म भी बनी है. शुक्ल कई साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित हुए. 1994 से 1996 तक निराला सृजनपीठ में अतिथि साहित्यकार रहे. 1996 में कृषि-विस्तार प्राध्यापक पद से रिटायर हुए. इसी वर्ष 2024 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया था.




