राज्यशासन

FOREST; वन अधिकार नियमों में नहीं होगा कोई बदलाव, आदिवासी समाज के विरोध के बाद PCCF ने सभी DFO को जारी किया निर्देश

कनून बदलाव नहीं

रायपुर, वन अधिकार नियमों में बदलाव के आदेश को पीसीसीएफ व्ही श्रीनिवास राव ने स्थगित कर दिया है. इस संबंध में सभी डीएफओ को निर्देश जारी किया गया है. बता दें कि 15 मई 2025 को वन मंत्रालय ने एक आदेश पारित किया था, जिसमें वन अधिकार मान्यता देने अथवा सामुदायिक वन संसाधन के उपयोग से जुड़े फैसले लेने का अधिकार वन विभाग को दिया गया था. जबकि इससे पहले 2006 में पारित वन अधिकार कानून के मुताबिक, इसकी सुनवाई का अधिकार ग्राम सभा में आदिवासी विकास विभाग की देखरेख में होने का प्रावधान था.

बता दें कि वन अधिकार नियमों में बदलाव का गरियाबंद में 2 जुलाई को आदिवासी समाज ने कड़ा विरोध किया था. आदिवासी विकास परिषद, ग्राम सभा फेडरेशन, एकता परिषद के बैनर तले जिला पंचायत सदस्य सदस्य लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम के नेतृत्व में सैकड़ों आदिवासियों ने बरसते पानी में मजरकट्टा स्थित परिषद भवन से कलेक्टोरेट तक 5 किमी रैली निकाली थी. कलेक्टोरेट में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर वन अधिकार से जुड़े नियमों में हुए परिवर्तन को हटाते हुए यथावत रखने की मांग की थी.

इसलिए हो रहा है विरोध

15 मई 2025 को वन मंत्रालय ने एक आदेश पारित किया है, जिसमें वन अधिकार मान्यता देने अथवा सामुदायिक वन संसाधन के उपयोग से जुड़े फैसले लेने का अधिकार वन विभाग को होगा. जबकि इससे पहले 2006 में पारित वन अधिकार कानून के मुताबिक, इसकी सुनवाई का अधिकार ग्राम सभा में आदिवासी विकास विभाग की देखरेख में होने का प्रावधान किया गया था.

कानून से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा आदिवासी समाज

आदिवासी नेता लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम ने कहा था कि नए प्रावधान कर केवल वन के हित को ध्यान में रखा गया है. वन क्षेत्र में रहने वाले मूलनिवासी की चिंता वन विभाग के अफसर नहीं कर सकते. वन अधिकार कानून में आदिवासी और वनवासियों के जिस हित का ध्यान रखा गया था, उसे अब छेड़छाड़ किया गया है. नेताम ने सवाल उठाया था कि कानून में छेड़छाड़ का अधिकार किसने दिया? आदिवासियों का कहना था कि अधिकारियों के लिए न्यायालय के अलावा जंगी लड़ाई लड़ने हम तैयार हैं. सप्ताहभर के भीतर हमारी मांगे नहीं मानी गई तो सड़क की लड़ाई लड़ेंगे, जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी.

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