AIIMS;टीबी का समय पर उपचार आवश्यक,एम्स में 10 फ़ीसदी तक मिल रहे रोगी
0 टीबी सप्ताह के अंतर्गत सिम्पोजियम, टीबी उपचार के नए निर्देशों के बारे में बताया
रायपुर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सकों ने टीबी के बढ़ते रोगियों की संख्या को देखते हुए समय पर इसका चेकअप करवाकर उपचार प्रारंभ करने का सुझाव दिया है। वर्तमान में एम्स के पल्मोनरी विभाग में होने वाले टीबी के टेस्ट में 10 प्रतिशत टीबी के रोगी मिल रहे हैं।
एम्स के पल्मोनरी विभाग और एनटीईपी सेल के तत्वावधान में टीबी सप्ताह के अंतर्गत आयोजित सिम्पोजियम में विशेषज्ञों ने टीबी की दवा प्रतिरोधकता के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए इसके उपचार के नए दिशा-निर्देशों के बारे में चिकित्सकों को जानकारी दी। कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (रिटा) ने बताया कि दुनियाभर में टीबी के रोगियों की संख्या को नियंत्रण में रखने का प्रयास किया जा रहा है। एम्स में इसके लिए गुणवत्तापूर्ण उपचार की सभी सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध हैं।
टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ. अजॉय बेहरा ने बताया कि एम्स में एनटीईपी/आरएनटीसीपी यूनिट ने पिछले वर्ष 3000 से अधिक टेस्ट किए जिसमें लगभग 400 टीबी के रोगी पाए गए। इन सभी को निःशुल्क दवाइयों और टेस्ट के साथ पोषण पैकेट्स भी प्रदान किए जा रहे हैं। एम्स के चिकित्सक भी रोगियों को अडॉप्ट करके उन्हें स्वस्थ होने में मदद कर रहे हैं।
डॉ. बेहरा ने बताया कि 85 प्रतिशत मामलों में टीबी फेफड़ों को प्रभावित करती है मगर 15 प्रतिशत में हड्डी, आंत, मस्तिष्क और अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। टीबी मुख्य रूप से कुपोषण या रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से हो सकती है। एचआईवी, डायबिटीज और शराब का अत्याधिक सेवन करने वालों को टीबी होने की संभावना अधिक होती है। सिम्पोजियम में डॉ. सजल दे, डॉ. दिबाकर साहू, डॉ. उज्ज्वला गायकवाड़, डॉ. सरोज पती, डॉ. सबा सिद्दकी, डॉ. विकास, डॉ. साई किरन सहित बड़ी संख्या में चिकित्सकों ने भाग लिया।