AIIMS;कॉक्लियर इंप्लांट की मदद से तीन बच्चों को मिली नई जिंदगी,अब तक 29 मूकबधिर बच्चों का इंप्लांट
रायपुर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के ईएनटी विभाग में तीन मूकबधिर बच्चों को कॉक्लियर इंप्लांट की मदद से जीवन की नई ऊर्जा प्रदान की गई है। सुनने में असमर्थ इन बच्चों को अब बाह्य दुनिया से संपर्क करने में किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ रहा है। वह अपेक्षाकृत सामान्य रूप से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पा रहे हैं।
ईएनटी विभाग में हाल ही में कोरिया जिले की निवासी सात वर्षीय बालिका को कॉक्लियर इंप्लांट किया गया। बच्ची के पिता किराना दुकान चलाते हैं। बच्ची शुरू से सुनने और बोलने में असमर्थ थी। बच्ची का चेकअप करने के बाद एम्स के ईएनटी विभाग के विशेषज्ञों ने इंप्लांट का निश्चय किया। इसी प्रकार बलौदा बाजार के दो वर्षीय बालक और रायपुर की पांच वर्षीय बालिका को भी हाल ही में कॉक्लियर इंप्लांट किया गया। यह सभी बच्चे बोलने और सुनने में असमर्थ थे जिससे उनके अभिभावकों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।
विभागाध्यक्ष डॉ. रेनू राजगुरु ने बताया कि एम्स में संस्थागत प्रसव के उपरांत नवजात शिशुओं की अनिवार्य रूप से न्यू बोर्न हियरिंग स्क्रिनिंग की जाती है। जिससे शिशु में श्रवण विकृति की जानकारी मिल जाती है। नवजात को कोई दिक्कत होने पर ऑडियोलॉजी हियरिंग टेस्ट और डिटेल्ड हियरिंग टेस्ट किया जाता है। गंभीर रोगियों को कॉक्लियर इंप्लांट की सलाह दी जाती है। उन्होंने बताया कि कॉक्लियर इंप्लांट के बाद बच्चों के रिहेब्लिटेशन की आवश्यकता होती है और नियमित रूप से स्पीच थैरेपी दी जाती है। एम्स में यह सारी सुविधाएं बच्चों को निशुल्क प्रदान की जा रही हैं।
कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी टीम ने अब तक 29 बच्चों को इंप्लांट लगाया है और सभी नियमित दिनचर्या का पालन करने में सक्षम हो गए हैं। सर्जरी टीम में डॉ. रूपा मेहता और सीनियर रेजिडेंट्स डॉ. सहाना, डॉ. अभिषेक राणा और एनेस्थिसिया विभागाध्यक्ष प्रो. एन.के. अग्रवाल और डॉ. केतकी शामिल हैं।