SCAM; भारतमाला घोटाले की जांच में देरी से रायपुर कमिश्नर खफा, चारों जांच टीमें 4 अगस्त को तलब

रायपुर, भारतमाला परियोजना के अंतर्गत रायपुर-विशाखापट्नम इकॉनामिक कॉरिडोर में मुआवजा घोटाले के खुलासे के बाद भूअर्जन मुआवजा प्रकरणों को लेकर प्राप्त दावा-आपत्तियों व शिकायतों की जांच में हो रही देरी को लेकर संभागायुक्त महादेव कांवरे ने सभी जांच टीमों को तलब किया है. जांच में देरी को लेकर भी कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.
रायपुर संभागायुक्त श्री महादेव कांवरे के मुताबिक 4 अगस्त को रायपुर संभागायुक्त कार्यालय में चारों टीमों की बैठक लेकर भारतमाला भूअर्जन मुआवजा प्रकरणों के संबंध में आई दावा-आपत्तियों की जांच की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की जाएगी. सभी टीमों से जांच रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत करने कहा गया है, ताकि इस मामले में आगे कार्रवाई की जा सके.
दावा-आपत्तियों का परीक्षण कर आवेदकों के बयान दर्ज
गौरतलब है कि माहभर पहले रायपुर संभागायुक्त ने अपर कलेक्टरों की अध्यक्षता में चार अलग-अलग टीमें बनाकर हफ्तेभर के भीतर रिपोर्ट देने कहा था, लेकिन चारों टीमें निर्धारित समयावधि में मुआवजा संबंधी दावा-आपत्तियों का परीक्षण पूरा नहीं कर पाई हैं और न ही जांच रिपोर्ट सौंपी गई है. संभागायुक्त ने भारतमाला परियोजना से जुड़ी शिकायतों, दावा-आपत्तियों की जांच के लिए अपर कलेक्टर ज्योति सिंह, उमाशंकर बंदे, निधि साहू, इंदिरा देवहारी की अध्यक्षता में अलग-अलग चार टीमें बनाई थीं. बताया गया है कि सभी टीमों द्वारा मौके पर जाकर दावा-आपत्तियों का परीक्षण कर आवेदकों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं.
भू-अर्जन मुआवजा घोटाले की जांच के लिए नए सिरे से दावा-आपत्तियां
रायपुर-विशाखापट्नम भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत भू-अर्जन मुआवजा घोटाले की जांच के लिए नए सिरे से दावा-आपत्तियां मंगाई गई थीं. इसमें डेढ़ सौ से अधिक दावा-आपत्तियां व शिकायतें प्राप्त हुई थीं. अधिकतर किसानों ने प्रोजेक्ट के तहत अधिक भूमि का भू-अर्जन कर कम मुआवजा दिए जाने का आरोप लगाया है. आरोप है कि भूमाफियाओं व अधिकारियों की मिलीभगत से रायपुर-विशाखापट्नम भारतमाला परियोजना भूमि अधिग्रहण मामले में जमीनों को कई टुकड़ों में बांटकर करोड़ों रुपए की मुआवजा राशि निकाल ली गई और शासन को नुकसान पहुंचाया गया.