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नई दिल्ली, चुनावी साल में तमिलनाडु में शराब घोटाला डीएमके प्रमुख और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर भारी पड़ सकता है। पिछले डेढ़ साल में शराब घोटाले के आरोपों में घिरे तीन मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। इनमें दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव हैं, जिनकी बेटी के कविता दिल्ली शराब घोटाले में आरोपी हैं।

पिछले महीने मारे गए छापे में ईडी ने तमिलनाडु में एक बड़े शराब घोटाले के पुख्ता सबूत मिलने का दावा किया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का कहना है कि उसने तमिलनाडु में शराब की बिक्री के लिए जिम्मेदार राज्य सरकार की कंपनी तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन (टैसमैक) में 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले का पता लगाया है. एजेंसी टैसमैक के खिलाफ धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है, जिसके तहत उसने हाल ही में टैसमैक के मुख्यालय पर छापा मारा था. एजेंसी का कहना कि छापे में उसे भ्रष्टाचार के मामलों के सबूत मिले जिनमें टैसमैक के कर्मचारी शामिल हैं.

यह सबूत टैसमैक के कर्मचारियों द्वारा शराब बनाने वालों से ली गई रिश्वत, कर्मचारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के लिए अवैध लेन देन, गाड़ियों के टेंडरों में अनियमितताओं और बार संबंधी टेंडरों से छेड़छाड़ के हैं. जांच में शराब बनाने वाली और शराब को बोतलों में डालने वाली कुछ कंपनियों के खिलाफ भी बेहिसाब नकदी कमाने और अवैध लेन देन के सबूत भी मिलने का दावा किया गया है. ईडी को तलाशी में कई कागजात मिले हैं जिनकी अभी जांच पड़ताल की जा रही है. इस पड़ताल के बाद जो तथ्य सामने आएंगे उनके आधार पर टैसमैक के अधिकारियों को समन जारी किए जाएंगे.

राजनीति पर असर

डीएमके ने घोटाले के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि आरोप राजनीति से प्रेरित हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक राज्य सरकार में आबकारी मंत्री सेंथिल बालाजी ने कहा है कि टैसमैक पारदर्शी रूप से काम करती है और घोटाले के आरोपों का कोई आधार नहीं है. डीएमके ने केंद्र सरकार पर ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के गलत इस्तेमाल आरोप भी लगाए हैं. लेकिन विपक्ष लगातार डीएमके सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष अन्नामलई ने दावा किया है कि “टैसमैक घोटाला दिल्ली के शराब घोटाले से भी बड़ा है.”एआईएडीएमके के नेता ई पलानीस्वामी ने दावा किया है कि असली घोटाला 40,000 करोड़ रुपये का हो सकता है और इसकी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए.

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