NUN CASE; छत्तीसगढ़ महिला आयोग से आदिवासी युवतियों को न्याय की उम्मीद नहीं,बृंदा करात ने आयोग को लिखा पत्र

नई दिल्ली, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलिट ब्यूरो की पूर्व सदस्य बृंदा करात ने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग को एक सख्त पत्र लिखकर उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। यह पत्र छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में घटित उस घटना के संदर्भ में है, जिसमें 25 जुलाई 2025 को बस्तर क्षेत्र के नारायणपुर की तीन आदिवासी लड़कियां नौकरी की तलाश में दो ननों के साथ आगरा जा रही थीं, लेकिन दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोककर रेलवे पुलिस की मौजूदगी में उन पर हमला किया, उन्हें अश्लील गालियां दीं और ननों पर जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी का आरोप लगाया था। पुलिस ने बिना जांच के ननों और एक आदिवासी युवक को गिरफ्तार कर लिया था।
इस घटना की पूरे देश में प्रतिक्रिया हुई थी और छत्तीसगढ़ और केरल सहित देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। संसद में प्रदर्शन कर विपक्ष ने भाजपा पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया था। इस मामले की जांच के लिए स्वयं माकपा नेत्री बृंदा करात और माकपा सांसद जॉन ब्रिटास और अन्य वामपंथी नेता दुर्ग पहुंचे थे और जेल में जाकर ननों से मुलाकात की थी। केरल के भाजपा अध्यक्ष ने भी दुर्ग आकर संघी संगठनों की हरकत और छत्तीसगढ़ में भाजपा राज्य सरकार के रवैए पर ननों से माफी मांगी थी। इन आदिवासी युवतियों को न्याय देने की मांग पर सीपीआई द्वारा नारायणपुर में लगातार आंदोलन किया जा रहा है।
इसके बाद 2 अगस्त 2025 को बिलासपुर में एनआईए कोर्ट ने ननों और आदिवासी युवक को जमानत दे दी थी, क्योंकि एफआईआर मात्र शक पर आधारित था और आरोपियों के खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद नहीं थे। पीड़ित लड़कियों के परिवार ने शपथ-पत्र देकर एनआईए कोर्ट को बताया है कि उनकी बेटियों के साथ कोई जबरदस्ती नहीं की गई थी और वे काफी पहले से ही ईसाई धर्म के अनुयायी हैं।
पीड़ित आदिवासी लड़कियों ने उन पर यौनिक हमला करने वाले बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ नारायणपुर थाने में शिकायत दर्ज की है, लेकिन अभी तक हमलावरों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, जिसके बाद पीड़ित युवतियां छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग पहुंचीं है।लेकिन 4 सितंबर 2025 को हुई सुनवाई में आयोग के सदस्यों ने उनका पक्ष सुनने के बजाय धर्मांतरण से जुड़े सवालों की झड़ी लगा दी। सदस्यों ने पूछा, “धर्म क्यों बदल रहे हो?”, “नारायणपुर में नौकरी क्यों नहीं मिली?” और “गांव से शहर जाने से पहले पुलिस को क्यों नहीं बताया?” एक सदस्य ने तो सलाह दी, “मंदिर-चर्च के साथ मस्जिद भी जाओ।” इस सुनवाई के बाद पीड़ित आदिवासी युवतियों ने मीडिया से कहा है कि उन्हें आयोग से न्याय की उम्मीद नहीं है।
महिला आयोग की इस हैरत भरी सुनवाई के बाद माकपा नेता वृंदा करात ने आयोग को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि आयोग राजनीतिक दबाव में है और वीडियो सबूत होने के बावजूद मामले को दबाया जा रहा है और आदिवासी युवतियों को अपमानित किया जा रहा है। उन्होंने मांग की है कि हमलावरों पर तुरंत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जाएं, दोषियों को सजा मिले और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए।