कानून व्यवस्था

CBI; जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक मुश्किलों में फंसे, CBI ने चार्जशीट की दायर

मलिक

जम्मू, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खिलाफ सीबीआई ने किरु हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीट दायर की है। इसके अलावा दो निजी सचिवों और चार अन्य लोगों को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है। हालांकि इससे पहले फरवरी में सीबीआई ने इस मामले में सत्यपाल मलिक से जुड़े 30 ठिकानों पर छापेमारी की थी। 

2022 में दर्ज किए दो मामले

बता दें कि जम्मू कश्मीर सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने अप्रेल 2022 में दो मामले दर्ज किए थे, जिसमें पहला जम्मू-कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना का अनुबंध निजी कंपनी को देने और 2017-18 में लगभग 60 करोड़ रुपये जारी करने और दूसरा 2019 में किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट के लिए 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्य अनुबंध को एक निजी फर्म को देने से संबंधित कदाचार के आरोप शामिल हैं।

सत्यपाल मलिक ने एक्स पर किया पोस्ट

सीबीआई द्वारा चार्जशीट दायर करने के बाद पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा- मेरे बहुत से शुभचिंतकों के फ़ोन आ रहे हैं जिन्हें उठाने में मैं असमर्थ हूं।अभी मेरी हालत बहुत खराब है मैं किसी से भी बात करने की हालत में नहीं हूं। 11 मई से राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती हूं। संक्रमण की शिकायत के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया था। अब स्थिति बहुत गंभीर है और पिछले तीन दिनों से किडनी डायलिसिस की जा रही है। 

पुलवामा हमले को लेकर सरकार पर साधा था निशाना

बता दें कि साल 2021 से ही सत्यपाल मलिक लगातार मोदी सरकार के खिलाफ बोलते रहे हैं। इसकी शुरुआत कश्मीर जलविद्युत परियोजना में भ्रष्टाचार के दावों से हुई। इसके अलावा 2019 के पुलवामा हमले को लेकर सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि सेना को हेलीकॉप्टर देने से इनकार किया गया, जिसके कारण 40 जवान शहीद हुए।

किसान आंदोलन का किया था समर्थन

सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन का खुलकर समर्थन किया था। मलिक ने किसान आंदोलन के दौरान और उसके बाद कई मौकों पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध किया और किसानों की मांगों का समर्थन किया। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी देने की वकालत की और सरकार को चेतावनी दी थी कि किसानों की मांगें न माने जाने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

Related Articles

Back to top button